तय मानकों का पालन किये बिना इथोपिया गए 20 में से 19 भारतीय लौटे
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बेगूसराय: इथोपिया में बंधक बने बिहार, यूपी और हिमाचल प्रदेश के 29 में से 20 भारतीय की वापसी हो गई। वतन वापसी में मदद करने वाले ह्युमन राइट्स अम्ब्रेला फाउंडेशन (एचआरयूएफ) के फाउंडर चेयरमैन और अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार कार्यकर्ता विशाल रंजन दफ्तुआर ने यह जानकारी दी। दफ्तुआर ने कहा कि एक-दूसरे देश में जब आप अपनी सरकार के गाइडलाइंस का पालन किए बिना जाते हैं और फिर फंस जाते हैं तो स्थिति खराब हो जाती है।

तय मानकों का पालन किये बिना इथोपिया गए 20 में से 19 भारतीय लौटे 1
विशाल रंजन दफ्तुआर

अगर इन पर इथोपिया में कोई केस हो जाता तो वतन वापसी बेहद मुश्किल हो जाती। इनको इथोपिया ले जाने वाले एजेंट पर भी कड़ी कार्रवाई और इनसे जुड़े अन्य मुद्दों पर भी उचित एक्शन का प्रयास होगा।

काम करने गए कुछ भारतीय श्रमिक वहां नेतागिरी करके माहौल को खराब कर रहे थे। इससे वतन वापसी की राह में बाधा उत्पन्न हो रही थी। सोशल मीडिया पर इथोपियन कंपनी इशू ग्लेन का नाम इससे बदनाम हो रहा था। इस आधार पर कंपनी इन पर केस करके एक लंबे समय तक इथोपिया की जेल में बंद करवा सकती थी। ऐसी कोई कार्रवाई नहीं हो इसके लिए विशेष प्रयास करने पड़े। सभी भारतीय श्रमिकों को उक्त कंपनी से माफी भी मांगनी पड़ी।

छह जुलाई को 2, 7 जुलाई को 5, आठ जुलाई को 7 और 10 जुलाई को उत्तर प्रदेश, बिहार और हिमाचल प्रदेश के पांच लोग दिल्ली के रास्ते घर लौट आए हैं। जबकि, गोपालगंज के बैरिस्टर सिंह तकनीकी कारणों से अगले सप्ताह लौटेंगे। दफ्तुआर ने कहा कि इस मामले में 19 जून को पहल की गई थी। जिस पर त्वरित कार्रवाई हुई। यह एचआरयूएफ का सफल 7वां अंतर्राष्ट्रीय मिशन है। इथोपिया से जिन भारतीयों की वतन वापसी हुई है, उसमें समाज के सभी वर्गों के लोग शामिल हैं।

उन्होंने बताया कि इन सभी भारतीय श्रमिकों का मार्च तक का वेतन भुगतान कराया जा चुका है। एग्रीमेंट अवधि पूरी होने के पहले ही इन सभी की वतन वापसी करवाई गई है। ये लोग भारत सरकार के मानक नियमों के तहत वहां नहीं गए थे। पहली सर्वोच्च प्राथमिकता सभी की वतन वापसी की थी जो पूरी हो गई। इथोपिया से इन सभी की स्वदेश वापसी के लिए बेगूसराय के मुकेश कुमार पाठक ने गुहार लगाई थी।

उन्होंने बताया कि ये लोग 2022 में इथोपिया गए थे। वहां सरिया बनाने वाली कंपनी ऐशू पीएलसी ग्लेन कंपनी में काम कर रहे थे। कंपनी में एक मजदूर के साथ हुए गंभीर हादसे के बाद यह सभी भारत लौटना चाहते थे। लेकिन कंपनी इन सभी का पासपोर्ट नहीं लौटा रही थी और अगले साल अगस्त में पूरी होनेवाली एग्रीमेंट की अवधि का हवाला देकर लगातार प्रताड़ित कर रही थी।

बिहार में बेगूसराय के अमित कुमार पाठक, छपरा के विजेन्द्र कुमार राय और रोहित कुमार, गोपालगंज के राममणि यादव, सिवान के राजकुमार यादव, संजय यादव और शंभू कुमार भगत व शिवहर के शंकर कुमार, उत्तर प्रदेश में देवरिया के अजय सिंह, अमर लाल, दिनेश मिलन, कुशीनगर के नागेन्द्र गुप्ता, सुधीर पाठक, मुन्ना कुमार यादव, महाराजगंज के दुर्ग विजय मौर्य, गोरखपुर के विनोद मौर्य, प्रयागराज के सुरज यादव, जौनपुर और विपिन सिंह। हिमाचल प्रदेश के सुरेन्द्र कुमार घर आ गए हैं। जबकि गोपालगंज के बैरिस्टर सिंह भी बहुत जल्द आ जाएंगे।

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