उपेन्द्र कुशवाहा ने साफ कर दिया कि उन्हें तेजस्वी का नेतृत्व में बिहार विधानसभा चुनाव लड़ना मंजूर नहीं है. यह बात उन्होंने खुलकर तो नहीं कही लेकिन इशारों ही इशारों में उन्होंने कहा कि आरजेडी अगर चेहरा बदलता है तो सभी रूठे साथियों को एक मंच पर फिर से लाया जा सकता है.
महागठबंधन से रिश्ते को लेकर रालोसपा कार्यकारिणी की बैठक हुई. जिसमें पार्टी के सभी वरिष्ठ नेता समेत जिलाध्यक्षों ने हिस्सा लिया. बैठक में महागठबंधन में रहने या नहीं रहने को लेकर विस्तार से चर्चा की गयी. पार्टी नेताओं से कुशवाहा ने उनकी राय जानने की कोशिश की.
बैठक में मौजूद पार्टी नेताओँ ने कुशवाहा को निर्णय लेने के लिए अधिकृत किया. इसक बाद उपेन्द्र कुशवाहा ने कहा कि बहुत जल्द पार्टी और कार्यकर्ता के हितों को ध्यान में रखते हुए फैसला लूंगा. अब वो घड़ी आ गयी है कि कोई बड़ा निर्णय लिया जाए. क्योंकि हमारी लड़ाई बड़ी है.
कुशवाहा ने यह भी कहा कि नीतीश कुमार के सामने एक ऐसा चेहरा होना चाहे जो उऩ्हें हरा सके. तेजस्वी के चेहरे पर नीतीश कुमार को हराया नहीं जा सकता है. महागठबंधन में सहयोगियों को इज्जत नहीं दी जा रही है. उनकी उपेक्षा की जा रही है.
पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव माधव आनंद ने भी गठबंधन को आईसीयू में चले जाने की बात करते हुए कहा कि रालोसपा को कम आंकना किसी के लिए भूल होगी. हमारी पार्टी आम लोगों की पार्टी है. जिसका जनाधार है.
बता दें कि आरजेडी ने रालोसपा को निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र करार दे दिया है. पार्टी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि एनडीए से अलग होने के बाद महागठबंधन में कुशवाहा को काफी इज्जत दी गयी. लेकिन अब उनकी अंतरात्मा जाग गयी है. ऐसे में वो निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र है.