कनाडा- आस्ट्रेलिया में कब कुचले जाएंगे खालिस्तानी

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आर.के. सिन्हा

अब तक जो मोटा-मोटी कनाडा में हो रहा था, वह अब ऑस्ट्रेलिया में भी होने लगा है। इन दोनों ही देशों में खालिस्तानियों की भारत विरोधी हरकतें लगातार बढ़ रही हैं। ये लफंगे खालिस्तानी कनाडा और आस्ट्रेलिया में भारतीय नागरिकों के साथ मारपीट कर रहे हैं और हिन्दू मंदिरों पर पथराव करने से भी बाज नहीं आ रहे हैं। चूंकि ये दोनों देश भारत के मित्र माने जाते हैं, इसलिए वहां पर हो रही घटनाएं हरेक भारतीयों के लिए चिंतित होना जरुरी है । कुछ भटके हुए नौजवान, जो अपने को खालिस्तानी कहते हैं, खुलकर भारत के खिलाफ मैदान में आ गए हैं। इन्होंने तिरंगा लेकर चल रहे भारतीयों पर आस्ट्रेलिया में हमला किया। वायरल वीडियो में कुछ लोग खालिस्तानी झंडा लहराते हुए नजर आ रहे हैं। कुछ भारतीय नागरिक अपने हाथों में तिरंगा लेकर आगे बढ़ रहे हैं, तभी खालिस्तानी उन पर हमला बोल देते हैं। उपद्रवियों के हाथ में लोहे की रॉडें थीं, जिससे वे देशभक्त हिंदुस्तानियों को मार रहे थे। ये खालिस्तानी अपने को सिख फॉर जस्टिस का मेंबर बता रहे थे। ये संगठन खालिस्तान की मांग करता है।

पर हैरानी इस बात की है कि आस्ट्रेलियाई पुलिस खालिस्तानियों पर लगाम लगाने में अब तक तो नाकाम रही है। उसका निकम्मापन साफतौर पर दिखाई दिया। खालिस्तान समर्थक भारतीयों पर लाठियों से हमला करते रहे और वहां की काहिल पुलिस त्वरित एक्शन लेने में असफल रही। दरअसल खालिस्तान और कश्मीर का सपना देखने वाले कुछ मुट्ठीभर गुमराह लोगों को लगता है कि उनके ख्वाब पूरे हो जाएंगे। वे याद रख लें कि उनके सपने कभी भी साकार नहीं होंगे। भारत की 130 करोड़ जनसंख्या देश की एकता और अखंडता के सवाल पर एक है। इस संबंध में किसी तरह का समझौता देश स्वीकार नहीं करेगा। भारत अखंड रहेगा। इस बारे में अब कोई बहस नहीं हो सकती।

आस्ट्रेलिया में अपने को खालिस्तानी कहने वाले हमारे प्यारे तिरंगे का भी अपमान-अनादर कर रहे थे। उनकी हरकत से सारा देश गुस्से में है। ये गिनती में बहुत थोड़े थे और नारेबाजी कर रहे थे। भारत सरकार अवश्य ही आस्ट्रेलिया और कनाडा की सरकारों के संपर्क में होगी। इन दोनों देशों की सरकारों से यह भी कहा गया होगा कि इन चिर असंतुष्ट तत्वों को कसा जाए। ये लातों के भूत बातों से नहीं, भरपेट मार खाने से ही संतुष्ट होंगे I ये भारत की एकता और अखंडता को ललकारने की असफल कोशिश कर रहे हैं। आपका किसी व्यक्ति या सरकार से विरोध हो सकता है। आप उसके खिलाफ आंदोलन या प्रदर्शन करने को स्वतंत्र हैं। यहाँ तक तो लोकतंत्र में हर नागरिक को अनुमति है पर, कोई भारतीय तिरंगे का अपमान नहीं सहेगा। तिरंगे में हरेक हिन्दुस्तानी की जान बसती है।

खालिस्तानी आतंकियों ने पंजाब में हजारों बेगुनाह लोगों का खून बहाया है। इनकी वजह से हजारों बच्चे अनाथ और हजारों औरतें विधवा हो गईं। ये सारा देश जानता है। पर, ये याद रखें कि जब देश ने इन पर जवाबी हल्ला बोला था तो ये त्राहि-त्राहि कर रहे थे। बचे-खुचे कनाडा, आस्ट्रेलिया, ब्रिटेन वगैरह में चले गए थे।

अगर बात कनाडा की करें तो वहां पर खालिस्तानी सबसे ज्यादा एक्टिव हैं।  कनाडा में हिंदुओं के मंदिरों में भी तोड़फोड़ की गई है और भारत विरोधी चित्र बनाए गए हैं। कनाडा के ब्राम्पेटन प्रांत में यह घटना हाल ही में हुई है। जाहिर है, इस घटना से भारतीय समुदाय बहुत आहत है। ऑस्ट्रेलिया में भी हिंदू मंदिर पर हमला हुआ। उसमें भी खालिस्ता्न समर्थकों का हाथ माना जाता है। कनाडा में बार-बार इस तरह की निंदनीय घटनाएं हो रही हैं। जुलाई 2022 में कनाडा के रिचमंड हिल इलाके में एक विष्णु मंदिर में महात्मा गांधी की एक मूर्ति को खंडित कर दिया गया था। सितंबर 2022 में कनाडा के बीएपीएस स्वामीनारायण मंदिर को कथित खालिस्तानी तत्वों ने भारत विरोधी भित्ति चित्रों के साथ विकृत कर दिया था। हैरानी की बात है कि कनाडा की पुलिस बार-बार होने वाली इन घटनाओं को रोक पाने में बुरी तरह असफल हो चुकी है। उसका निकम्मापन सारी दुनिया के सामने है। इसके साथ ही कौन भूल सकता है  कनिष्क विमान हादसे को। मांट्रियाल से नई दिल्ली आ रहे एयर इंडिया के विमान कनिष्क को 23 जून 1985 को आयरिश हवाई क्षेत्र में उड़ते समय, 9,400 मीटर की ऊंचाई पर, बम से उड़ा दिया गया था और वह अटलांटिक महासागर में गिर गया था। इस आतंकी हमले में 329 लोग मारे गए थे, जिनमें से अधिकांश भारतीय मूल के कनाडाई नागरिक थे। कनाडा में जिस तरह से भारत विरोधी घटनाएं घटित होती रही हैं उससे साफ है कि वहां भारत विरोधी ताकतें सरकार के हाथ से निकल चुकी हैं। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो नकारा साबित हुए हैं। ये वही हैं जो भारत में चले कथित किसानों के आंदोलन का समर्थन कर रहे थे। तब ट्रूडो  कह रहे थे कि “कनाडा दुनिया में कहीं भी किसानों के शांतिपूर्ण प्रदर्शन के अधिकारों की रक्षा के लिए खड़ा रहेगा।” पर ट्रूडो को यह याद नहीं रहा कि उनके देश में भारत विरोधी तत्व खुलकर अपनी गतिविधियों को चला रहे हैं। वहां पर जब मंदिरों पर हमले होते हैं तो उन्हें नहीं दिखाई देता। उन्हें पता नहीं चलता जब वहां पर भरातीय तिरंगे का अपमान होता है। क्या उनके देश की खुफिया एजेंसिया इतनी घटिया हैं कि उन्हें पता ही नहीं है कि वहां पर खालिस्तानी तत्व सक्रिय हैं? खालिस्तानियों की हरकतों को लेकर शिकायत आस्ट्रेलिया या कनाडा की सरकारों को मूक दर्शक बनकर नहीं रहना होगा। उन्हें भारत-विरोधी तत्वों पर कठोर एक्शन लेना चाहिए। हालांकि अभी तक दोनों देशों की पुलिस ने शरारती तत्वों पर जरूरी कार्रवाई नहीं की है। आस्ट्रेलिया-कनाडा को याद रखना होगा कि इनके भारत से बहुत पुराने राजनयिक संबंध हैं। दोनों में  बड़ी तादाद में भारतीय मूल के लोग रहते हैं और वे उन्हीं के देश को समृद्ध कर रहे हैं। ये आपसी संबंध उसी स्थिति में मजबूत होंगे जब उन देशों में भारत विरोधी तत्वों को कुचला जाएगा। हालांकि फिलहाल तो उपर्युक्त दोनों देशों की सरकारें हाथ पर हाथ रखकर बैठी हुई हैं।

(लेखक वरिष्ठ संपादक, स्तंभकार और पूर्व सांसद हैं)

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