पटनाः चार सलाना स्नातक कोर्स, फीस वृद्धि के खिलाफ आइसा (AISA) के नेतृत्व में बिहार भर के छात्र राजभवन मार्च के लिए जुटेंगे। आइसा बिहार के विश्वविद्यालयों में नियमित सत्र करने, शिक्षकों कर्मचारियों की स्थाई नियुक्ति करने का मुद्दा भी प्रमुखता से उठाएगा। इस बात की जानकारी आइसा के राष्ट्रीय महासचिव और पालीगंज विधायक संदीप सौरव ने दी। उन्होंने कहा कि मोदी राज में उच्च शिक्षा पर लगातार हमले हो रहे हैं। इन 9 वर्षों में देश के बेहतरीन विश्विद्यालयों को निशाना बनाकर बदनाम किया जा रहा है। फंड कटौती, फीस वृद्धि, छात्रवृति में कटौती, सीट कटौती, आरक्षण में कटौती, शैक्षणिक भगवाकरण और निजीकरण की नीतियां लाई गई है। इसके साथ ही बिहार के तमाम विश्विद्यालयों में सत्र नियमित नहीं चल रहा है और छात्र- छात्राओं को समय पर डिग्री नहीं मिल पा रही है, जिसके कारण विद्यार्थियों का पूरा भविष्य अंधकारमय हो चुका है। बिहार में चार सालाना स्नातक कोर्स जायज नहीं है। राजभवन इसको थोप रहा है।
वहीं आइसा के कार्यकारी महासचिव प्रसेनजीत कुमार ने कहा कि नई शिक्षा नीति 2020 का मुख्य उद्देश्य ऑटोनोमस के नाम पर उच्च शिक्षा के लिए दिए जाने वाले सरकारी अनुदान को खत्म करना है। यूजीसी अब अनुदान नहीं देगी बल्कि HEFA (हाइयर एजुकेशन फंड अथॉरिटी) से कर्ज लेना होगा। विश्विद्यालयों को संसाधनों के लिए खुद पर निर्भर होना होगा, जिसके लिए वह छात्रों से वह रुपए वसूली करेगा, तो गरीब-मजदूर घर से आने वाले बच्चे शिक्षा से दूर हो जाएंगे। इसलिए राजभवन मार्च उन गरीब-मजदूर घर से आने वाले बच्चे के भविष्य के लिए है।
दूसरी तरफ आइसा राज्य अध्यक्ष विकाश यादव ने कहा कि नई शिक्षा नीति 2020 समावेशी शिक्षा के खिलाफ है।बिहार में चार सालाना स्नातक कोर्स वापस लेने की मांग को ले कर आइसा 17 जुलाई को राजभवन मार्च करेगा।चार सालाना स्नातक कोर्स बेतहाशा फीस वृद्धि कर रहा है।फीस वृद्धि गरीबों से कैंपस से बाहर कर देगा। यह विश्वविद्यालयों को हाथों में देने की तैयारी है। बिहार भर में इसका पुरजोर विरोध हो रहा है।
आइसा राज्य सचिव सबीर कुमार ने कहा कि आइसा राज्य भर के विश्वविधालयों में नियमित सत्र – नियमित कक्षा की मांग उठाते रहा है। बिहार के सभी विश्वविद्यालयों में सत्र लेट से चल रहा है। राज्यपाल सत्र ठीक करने के बजाय बिहार के विश्वविद्यालयों में जबरन नयी शिक्षा नीति थोप दिए। यह शिक्षा नीति पूर्णतः गरीब विरोधी हैं और कैंपस को निजीकरण की ओर धकेलने का काम करेगा।
आइसा राज्य उपाध्यक्षा प्रीति ने कहा कि सरकार एक तरफ तो संस्थानों की फंडिंग रोक रही है तो वहीं दूसरी तरफ अपने भगवाकरण के एजेंडे को बढ़ाने के लिए पाठ्यक्रम,प्रवेश,नियुक्ति और प्रशासन पर नियंत्रण रख रही है।इसी के परिणामस्वरूप एनसीईआरटी ने जातिगत और धर्म आधारित संबंधी पाठों ,मुगल इतिहास के पाठों को हटा दिया गया है।जहां एक तरफ केंद्र सरकार बेटी बचाओ – बेटी पढ़ाओ योजना के तहत लड़कियों को पढ़ाने की बात करती है,वहीं सरकार ऐसे महंगी शिक्षा नीति लाकर लड़कियों को पढ़ाई से दूर कर रही है।