पटनाः बिहार में शिक्षा विभाग के अधिकारी केके पाठक का चर्चा खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा। विद्यालय से लेकर विश्वविद्यालय तक सभी कर्मचारियों के जुबान पर शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक ही है। दरअसल शिक्षा विभाग और राजभवन के बीच तकरार बढ़ता ही जा रहा है। एसीएस केके पाठक द्वारा कुलपतियों का वेतन रोकने और विश्वविद्यालयों के खाते को फ्रीज किए जाने के बाद राजभवन एक्शन में आ गया है। राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर ने आगामी तीन मार्च को सभी विश्वविद्यालय के कुलपतियों की बैठक बुलाई है। राज्यपाल के प्रधान सचिव रॉबर्ट एल चौंगथु ने सभी कुलपतियों को पत्र भेजकर बैठक में मौजूद रहने को कहा है।
दरअसल, केके पाठक ने बीते बुधवार को राज्य के सभी कुलपतियों, रजिस्ट्रार और परिक्षा कंट्रोलर की बैठक बुलाई थी लेकिन राजभवन से अनुमति नहीं मिलने के कारण किसी भी पदाधिकारी ने बैठक में भाग नहीं लिया था। राजभवन का स्पष्ट निर्देश था कि विश्वविद्यालय के अधिकारी राजभवन के अधीन हैं और राजभवन के निर्देश का उन्हें पालन करना है। शिक्षा विभाग विश्वविद्यालय या राजभवन के काम में हस्तक्षेप नहीं कर सकता है। राजभवन के निर्देश पर केके पाठक की बैठक में न तो कोई कुलपति पहुंचे और ना ही विश्वविद्यालयों के अन्य पदाधिकारी।
शिक्षा विभाग की ओर से मिली चेतावनी के बावजूद भी कुलपतियों ने राज्यपाल सह कुलाधिपति के ही दिशा-निर्देशों का पालन किया। बैठक में सिर्फ दो विश्वविद्यालयों की ओर से तीन प्रतिनिधि ही शामिल हुए। जिसके बाद शिक्षा विभाग ने एक्शन लिया और शिक्षा विभाग की ओर से स्पष्टीकरण पूछा गया कि 28 फरवरी की महत्वपूर्ण बैठक में उपस्थित नहीं हुए, क्यों नहीं आप पर प्राथमिक दर्ज की जाए? इसके साथ सभी विश्वविद्यालयों के बैंक खातों के संचालन पर भी शिक्षा विभाग ने रोक लगा दी है।
शिक्षा विभाग के इस आदेश के बाद राजभवन आर-पार के मूड में आ गया है। राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ अर्लेकर के प्रधान सचिव रॉबर्ट एल चौंगथु ने सभी कुलपतियों को पत्र भेजकर तीन मार्च को बैठक के लिए बुलाया है और सभी कुलपतियों को बैठक में मौजूद रहने को कहा गया है। तीन मार्च को होने वाली इस बैठक को काफी अहम माना जा रहा है।