पटनाः नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) तीसरी बार केंद्र की सत्ता संभालने जा रहे है। इस बीच एनडीए सरकार के गठन को अंतिम रूप देने के लिए मैराथन बैठकों का दौर जारी है। ऐसे में अगले केंद्रीय मंत्रिमंडल में किसे जगह मिले इसे लेकर भी बड़ा मंथन जारी है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक भाजपा कथित तौर पर मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में कई मंत्रियों को हटाने पर विचार कर रही है। साथ ही पुरानी सरकार में बेहतर प्रदर्शन करने वाले मंत्रियों के काम का भी आकलन किया जा रहा है। इसके अलावा सहयोगी पार्टियों को कौन विभाग दिया जाए। इस बात को लेकर खूब चर्चा की जा रही है। साथ अहम मंत्रालय को लेकर नजरे सत्ताधारी दल के साथ गबंधन के सहयोगियों की भी नजर कड़ी हुई है।
कई केंद्रीय मंत्री चुनाव हार गए
नरेंद्र मोदी की नई सरकार में सहयोगी पार्टियों की अहम भूमिका होगी। इसलिए भाजपा अपने कोटे के कई मंत्रियों (Minister) को किनारा कर सहयोगी दलों के सांसदों को अहम मंत्रालय देगी। भाजपा से हटाए जाने वालों में वे मंत्री भी शामिल हो सकते हैं जो हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों में हार गए हैं। उन्हें या तो संगठनात्मक जिम्मेदारी दी जाएगी या वे राज्यसभा में जा सकते हैं। मोदी के दूसरे कार्यकाल के लगभग 19 मंत्री बड़े अंतर से चुनाव हार गए हैं। इनमें प्रमुख स्मृति ईरानी, राजीव चंद्रशेखर, आरके सिंह और अर्जुन मुंडा, जो सभी कैबिनेट मंत्री हैं।
एनडीए नेताओं को मिलेगी बड़ी जिम्मेदारी
भाजपा नेतृत्व एनडीए की सरकार में नए चेहरे लाने के लिए तैयार है, जिन्हें चुनावी हार का सामना करना पड़ा या जो मामूली अंतर से जीते। कथित तौर पर चार मंत्रियों पर ऐसी कार्रवाई की जा सकती है। इसमें स्मृति ईरानी, अर्जुन मुंडा और आरके सिंह चुनाव हार गये हैं तो इनकी छुट्टी होनी तय है। वहीं सूत्रों की माने तो भाजपा (BJP) नेतृत्व मामूली जीत के अंतर वाले सांसदों को मंत्रिमंडल में मंत्री के रूप में शामिल करने के लिए अनिच्छुक था। आगामी मंत्रिमंडल को क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व, जातिगत गतिशीलता और प्रशासनिक क्षमता को दर्शाते हुए एक संतुलित मंत्रिमंडल बताया जा रहा है। यह भी कहा जा रहा है कि “भाजपा कोटे” के कुछ प्रमुख मंत्रालयों में बदलाव किए जा रहे हैं। ऐसा ही एक उदाहरण वित्त मंत्रालय और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय हो सकता है।
बड़े मंत्रालय पर फंसा पेंच
वहीं जनजातीय मामलों का मंत्रालय एनडीए के सहयोगी दल के पास जाने की संभावना है, जबकि बिजली मंत्रालय टीडीपी या जेडीयू के पास जा सकता है। राज्य मंत्री स्तर के अन्य प्रमुख मंत्री जो चुनाव हार गए हैं, वे अजय कुमार मिश्रा, सुभाष सरकार, कैलाश चौधरी, संजीव बालियान, रावसाहेब दानवे, कुशल किशोर, निरंजन ज्योति और महेंद्र नाथ पांडे। सूत्रों की माने तो रेल मंत्रालय को लेकर बड़ा पेंच है। जदयू सहित अन्य दलों की इस पर निगाह है। ऐसे में अगर रेल मंत्रालय भाजपा के पास रहता है, तो राज्य मंत्री के दो पदों में से एक जेडी(यू), टीडीपी या शिवसेना शिंदे गुट के पास जा सकता है।”
पटना से लेकर दिल्ली तक चर्चा
भाजपा के सहयोगी जदयू (JDU) के नेताओं ने पार्टी अध्यक्ष और बिहार के सीएम नीतीश कुमार के साथ विचार-विमर्श किया। हालांकि क्षेत्रीय पार्टी ने इस मुद्दे पर आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा है, लेकिन सूत्रों ने कहा कि वह बिहार में खोई जमीन को वापस पाने के लिए कुछ महत्वपूर्ण मंत्री पद पाने की कोशिश कर रही है। वहीं बिहार से अब तक मंत्री रहे गिरिराज सिंह, नित्यानंद राय को फिर से शामिल किया जाए या नहीं इसे लेकर क्षेत्रीय और जातीय समीकरणों पर विचार किया जा रहा है।
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