ओम बिरला दूसरी बार लोकसभा के अध्यक्ष निर्वाचित हो गए हैं। इस तरह उनका राजधानी के 20 अकबर रोड पर ही सरकारी आवास रहेगा। पहली लोकसभा के 1952 में गठन के साथ ही जामुन और अमलतास के पेड़ों से लबरेज अकबर रोड के 20 नंबर के बंगले का भारतीय संसद के निचले सदन से अटूट संबंध कायम हो गया था। वो रिश्ता अब भी बना हुआ है। दरअसल, 1952 में कांग्रेस के गणेश वासुदेव मावलंकर लोकसभा के निर्विरोध अध्यक्ष चुने गए थे। मावलंकर जी को 20 अकबर रोड का बंगला आवंटित हुआ। उसके बाद इसी डबल स्टोरी बंगले में लोकसभा अध्यक्ष रहते रहे।
मावलंकर जी के 1956 में निधन के बाद शेष कार्यकाल के लिए उनके स्थान पर कांग्रेस के ही अनंतशयनम अयंगार से लेकर ओम बिरला 20 अकबर रोड में ही रहे। लुटियन जोन में गिनती के ही सरकारी बंगले डबल स्टोरी हैं। उनमें एक यह भी है। इसका निर्माण 1925 तक हो गया था। यानी इसे बने हुए अब लगभग 100 वर्ष होने जा रहे हैं। इस बीच, ये बताना मुनासिब होगा कि 10 राजाजी मार्ग (पहले हेस्टिंग रोड) का बंगला भी डबल स्टोरी है। इसी बंगले में दो पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम और प्रणब कुमार मुखर्जी भी रहे।
अगर इतिहास के पन्नों को खंगालें तो पता चलेगा कि 20 अकबर रोड में सरदार हुकुम सिंह, नीलम संजीव रेड्डी, बलराम जाखड़, रवि राय, शिवराज पाटिल, पी.ए. संगमा, जीएमसी बालयोगी, मीरा कुमार और सुमित्रा महाजन भी रहे। इन सबने लोकसभा स्पीकर के पद को सुशोभित किया। 12वीं लोकसभा के अध्यक्ष बालयोगी का इसी 20 अकबर रोड में रहते हुए निधन हुआ था। वे देश के पहले दलित समुदाय से लोकसभा अध्यक्ष बने थे।
बलराम जाखड़ को 22 जनवरी, 1980 को लोकसभा का अध्यक्ष निर्वाचित किया गया। यद्यपि जाखड़ को पीठासीन अधिकारी के रूप में पिछला कोई अनुभव नहीं था, तथापि उन्हें सौंपी गई नई भूमिका के बहुत बड़े उत्तरदायित्व से वह बिल्कुल भी विचलित नहीं हुए। जाखड़ ने सातवीं लोकसभा में सदन की कार्यवाही का जिस तरीके से संचालन किया, उसकी सर्वत्र सराहना की गई और वह सभा के सभी वर्गों के प्रिय बन गए। इसलिए, दिसम्बर, 1984 के आम चुनाव में उनके राजस्थान के सीकर संसदीय निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा के लिए पुनः निर्वाचित होने पर वे नई सभा की भी अध्यक्षता करने के लिए स्वाभाविक पसंद बने। सोलह जनवरी, 1985 को उन्हें एक बार फिर सर्वसम्मति से आठवीं लोकसभा का अध्यक्ष निर्वाचित किया गया।
दिसम्बर, 1989 में आठवीं लोकसभा का कार्यकाल पूरा होने पर जब जाखड़ ने अध्यक्ष पद का त्याग किया तो उन्हें स्वतंत्र भारत में लगातार दो बार लोकसभा की पूर्ण अवधि के लिए बने रहने वाले एक मात्र अध्यक्ष का अनूठा गौरव प्राप्त हुआ। यह अवधि (अर्थात् 22 जनवरी, 1980 से 18 दिसम्बर, 1989 तक) एक दशक से मात्र एक माह कम थी। अब ओम बिरला लगातार दूसरी बार लोकसभा के अध्यक्ष बने हैं। इस तरह वो जाखड़ के बाद लोकसभा का अध्यक्ष बनने वाले दूसरे राजनेता बन गए हैं।
इस बीच, सुमित्रा महाजन 20 अकबर रोड में रहते हुए सांसदों के लिए भोज की मेजबानी करती रहती थीं। उनकी दावतों में मेहमान मेंगो रबड़ी, रबड़ी मालपुआ, श्रीखंड, भुट्टे का खास व्यंजन, साबूदाना खिचड़ी, मूंग दाल कचौरी, कैरी पना और ठंडाई के अलावा अन्य व्यंजनों का आनंद लेते थे। कहते हैं, सुमित्रा महाजन युवा सांसदों से विशेष रूप मिला करती थीं ताकि उन्हें संसद की कार्यवाही के संबंध में विस्तार से जानकारी दे सकें। 20 अकबर रोड के बंगले में बदलते वक्त के साथ बहुत से बदलाव भी हुए। उदाहरण के रूप में इसमें 1978 में लिफ्ट लगाई गई थी। उस दौर में इसमें लोकसभा के अध्यक्ष के.ए. हेगड़े रहा करते थे। इसके बेडरूम पहली मंजिल में हैं। उनकी सेहत को देखते हुए लिफ्ट लगाई गई थी। यह आठ बेडरूम का बंगला है। इससे पहले शायद ही किसी बंगले में लिफ्ट लगी हो। 20 अकबर रोड के बंगले के आगे-पीछे बड़े से बगीचे हैं। उनमें भांति-भांति के पौधे और फूल लगे हुए हैं। बंगले के पिछले वाले हिस्से में सेवकों के घर भी हैं।
अकबर रोड पर आजादी के बाद से ही सबसे शक्तिशाली और महत्वपूर्ण हस्तियां रहती रही हैं। अकबर रोड का आगाज इंडिया गेट से होता है और यह सड़क रेस कोर्स तक जाती है। करीब पौने तीन किलोमीटर लंबी इस सड़क के दोनों तरफ कुल जमा 26 सरकारी बंगले हैं। इधर कुछ प्राइवेट बंगले भी हैं। अकबर रोड पर ही रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी, उमा भारती, सुरेश प्रभु जैसे शक्तिशाली मंत्री भी रहे हैं। इधर के बंगलों की छतों पर आपको सुबह-शाम मोर मंडराते हुए मिल जाएंगे। संयोग से इसी अकबर रोड के 24 नंबर के बंगले में 1978 से कांग्रेस का मुख्यालय भी चल रहा है। दरअसल, एक जमाने में इस बंगले को बर्मा हाउस भी कहते थे। तब इसमें बर्मा (म्यांमार) की भारत में एंबेसेडर दा खिन केय रहा करती थीं। वो म्यांमार की शिखर नेता आंग सान सू की मां थीं। इसी सड़क पर इंदिरा गांधी मेमोरियल ट्रस्ट भी है। इसी अकबर रोड के 12 नंबर के बंगले में विजय लक्ष्मी पंडित रहा करती थीं। वो देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की छोटी बहन थीं।
आपको याद होगा कि कुछ समय पहले अकबर रोड का नाम महाराणा प्रताप रोड के नाम करने की भी नाकाम कोशिशें हुई थीं। तब कुछ लोगों ने अकबर रोड के संकेतक पर महाराणा प्रताप रोड का पोस्टर चस्पा कर दिया था। महाराणा प्रताप मेवाड़ के शासक थे और उन्होंने ताउम्र अकबर से लोहा लिया था। बहरहाल, अकबर रोड नाम के फिलहाल बदलने की कोई संभावना नहीं है। इसी तरह से यह भी तय है कि आगे भी 20 अकबर लोकसभा अध्यक्ष का सरकारी आवास रहेगा।