पटना: वैचारिक रूप से समाज में समृद्धि लाने की दिशा में लेखकों को संघर्ष करते रहने की आवश्यकता है। जनवादी लेखक संघ पटना के 10 वें जिला सम्मेलन में प्रतिरोध की संस्कृति और लेखक विषय पर उक्त बातें प्रमुख वक्ता डॉ.अभिषेक कुंदन ने कही। एग्जिबिशन रोड के घमण्डी राम सभागार में विजय कुमार सिंह की अध्यक्षता में आयोजित इस कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए संघ के प्रांतीय सचिव कुमार वीनीताभ ने जनवाद पसंद लेखकों को एकजुट होने की अपील की । वक्ता प्रो.जिकरुल्लाह खान ने लेखकों के समक्ष पूंजीवाद को एक बड़ी चुनौती बताया। सम्मेलन को संबोधित करने वालों में अरुण मिश्रा, राजकिशोर, शंकर साह आदि शामिल थे। इस मौके पर संयोजक कुलभूषण गोपाल ने प्रतिनिधियों के समक्ष प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। विषय परिवर्तन रजनीश कुमार गौरव ने किया।
अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए मजदूर नेता मंजूल कुमार दास ने मौजूदा दौर में साहित्यकारों की भूमिका पर विस्तार से चर्चा की। वरिष्ठ विचारक अरुण कुमार मिश्र, प्रगतिशील लेखक संघ के अनीश अंकुर, जेपी, सुजीत कुमार, अनिल कुमार,मनोज कुमार पाण्डेय एवं अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने सम्मेलन को संबोधित किया।इस अवसर पर लेखिका डॉ.सीमा रानी की अध्यक्षता में आयोजित काव्य गोष्ठी में सुरेन्द्र शर्मा विशाल, संतोष कुमार सिंह राग, पृथ्वी राज पासवान, अवधेश प्रसाद ,रजनीश कुमार गौरव, अनिल कुमार सुमन, संतोष सिंह ” राख ” सीमा रानी आदि ने हिस्सा लिया।इस अवसर पर जनवादी लेखक संघ पटना की नई कार्यकारिणी समिति का भी गठन किया गया, जिसमें अध्यक्ष श्रीराम तिवारी, प्राच्य प्रभा के संपादक विजय कुमार सिंह कार्यकारी अध्यक्ष, डॉ.सीमा रानी उपाध्यक्ष, कुलभूषण गोपाल सचिव एवं राजीव रंजन कोषाध्यक्ष चुने गए है। स्वागत एवं धन्यवाद ज्ञापन बी.प्रसाद ने किया।