राजद का ढोंगी अंबेडकरवादी स्वरुप सामने आया : हम प्रवक्ता

By Team Live Bihar 1 View
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गया: सुप्रीम कोर्ट ने 1 अगस्त को ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए अनुसूचित जाति में कोटे के अंदर कोटे को मंजूरी का फैसला सुनाया था। संविधान पीठ ने 7-1 के बहुमत से फैसला सुनाया। लेकिन अब आरक्षण में वर्गीकरण का मामला धीरे-धीरे गरमाता जा रहा है। आरक्षण में वर्गीकरण को लेकर राजद के नेता विरोध में हैं। आंदोलन का रूप देने में जुटे हैं। वहीं ‘हम’ हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) इस मसले पर केंद्र और सुप्रीम कोर्ट के कदम को जायज ठहराने में जुटा है।

मंगलवार को गया में आरक्षण के वर्गीकरण को लेकर आक्रोश मार्च निकाला गया। जहानाबाद के मखदुमपुर से राजद विधायक सतीश दास के नेतृत्व में ये मार्च निकला। वहीं, मंगलवार की देर रात ‘हम’ के राष्ट्रीय प्रवक्ता इंजीनियर नंदलाल मांझी ने आरक्षण मामले पर अपना बयान जारी किया। इसमें उन्होंने कहा कि कोटा में कोटा जायज है। बीते 76 साल से मलाई खाने वालों को ही आरक्षण में वर्गीकरण का मसला पेट में चुभ रहा है। राजद को आड़े हाथ लेते हुए उन्होंने कहा कि जिस पार्टी का सुप्रीमो ही आकंठ भ्रष्टाचार में डूबा हो और छद्म सेकुलरिज्म के नाम पर राजनीति करता रहा हो, वह युवाओं को भड़काने की कोशिश कर रहा है। वह कहते चल रहे हैं कि आरक्षण खत्म किया जा रहा है। यह गलत है। ऐसे लोग ढोंगी आंबेडकरवादी हैं। आरक्षण को कोई खत्म कर ही नहीं सकता है।
‘हम’ के राष्ट्रीय प्रवक्ता इंजीनियर नंदलाल मांझी ने कहा कि मलाई खाने वाले बिल्कुल नहीं चाहते हैं कि अन्य गरीब परिवार के युवाओं को इसका लाभ मिले। जो लोग इसका विरोध कर रहे हैं, वह स्वार्थी और महादलित विरोधी हैं। समाज उन्हें माफ नहीं करेगी। भीमराव अंबेडकर ने ही आरक्षण नीतियों का प्रत्येक 10 साल की अवधि पर समीक्षा की बात कही थी।

कांशी राम ने भी आबादी के हिसाब से आरक्षण की बात कही थी। देश में 20 अनुसूचित जातियां हैं। उसमें से 2-3 जातियां ही सबसे अधिक आरक्षण का लाभ ले रही हैं। शेष सभी 76 साल बाद भी हाशिए पर हैं। ऐसे में आरक्षण कोटा में कोटा मिलना ही चाहिए।

उन्होंने ‘हम’ के राष्ट्रीय संरक्षक केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी के पक्ष में कहा कि उनके नेता ने आरक्षण में कोटा मिलने की सिफारिश अनुसूचित जाति के हक में कही है। उनका तर्क वाजिब और वर्तमान परिस्थिति के तहत है। कोटा में कोटा मिलना ही चाहिए। ये ढोंगी अंबेडकरवादी हैं जो इसका विरोध कर रहे हैं।

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