पांच पोखर पर खर्च हुए 50 लाख, पानी की जगह दिख रही सूखी मिट्टी
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देवरिया कोठी(मुजफ्फरपुर): पारू प्रखंड की चार पंचायतों में अमृत सरोवर योजना के तहत विकसित किए गए पांच में से चार पोखर बदहाली की पीड़ा झेल रहे हैं। सरकारी स्तर पर जल संरक्षण के लिए इन पांचों पोखर पर करीब 50 लाख रुपए खर्च किए गए। कम से कम 10 से 12 हजार घन फुट पानी भंडारण की व्यवस्था बनाई गई थी, लेकिन ये पोखर स्वयं पानी के लिए तरस रहे हैं। विशुनपुर सरैया, बैजलपुर कमलपुरा, खुटाही पंचायतों में स्थित इन पोखरों का अमृत सरोवर के लिए चयन किया गया था।

इसमें कमलपुरा पंचायत में दो पोखरों को अमृत सरोवर के रूप में विकसित किया गया। इस योजना पर प्रति पोखर करीब 9 लाख 99 हजार रुपए खर्च किए गए। योजना के तहत उन्हीं पोखरों का चयन किया जाना था, जिस पोखर का रकवा कम से कम पांच एकड़ तक फैला हो, लेकिन विशुनपुर सरैया पंचायत के बुढ़ानपुर गांव में स्थित अमृत सरोवर पोखर का रकवा मात्र डेढ़ एकड़ ही है। अगर कमलपुरा पंचायत के पोखर को छोड़ दिया जाए तो अन्य किसी में पानी नहीं के बराबर है। मनरेगा कार्यक्रम पदाधिकारी अजय सहाय ने बताया कि अमृत सरोवर का निर्माण किसानों के फायदे के लिए किया गया है।

हर हाल में तालाबों में पानी का भंडारण कराया जाएगा। वहीं बीडीओ अजीत कुमार सिंह ने कहा कि तालाबों का निरीक्षण कर पानी का भंडारण कराया जाएगा। उद्देश्य दूर- दूर तक नहीं दे रहा दिखाई कमलपुरा के तालाब की पेटी में भी आधा पानी भरा हुआ है। अन्य तालाबों के अंदर जंगली घास-फूस उग आई है। सच्चाई तो यह है कि दो तालाबों में पानी के अभाव में सूखी मिट्टी तक दिखाई दे रही है और धूल उड़ते देखे जा सकते हैं। किसानों व खेतों की बात तो छोड़ दें , जानवर भी पानी के लिए तालाब तक जाते हैं, लेकिन यहां उनकी प्यास नहीं बुझती है।

प्रशासनिक व सामाजिक उपेक्षा के शिकार इन तालाबों पर प्रखंड के पदाधिकारियों एवं जिम्मेदारों की नजर नहीं जा रही है। जल-जीवन- हरियाली के लिए हमेशा अभियान चलाते रहने का दावा करने वाले लोगों को भी इन तालाबों का अस्तित्व बचाने की चिंता नहीं है। यह अलग बात है कि जल संरक्षण के लिए अलग- अलग स्लोगन के पोस्टर व बैनर बांटे जाते हैं और प्रचार-प्रसार किए जाते हैं, लेकिन धरातल पर कार्य करने की बात आते ही लोग खिसक जाते हैं और अपना पल्ला झाड़ लेते हैं। इस योजना पर सरकारी खर्च व्यर्थ जाता दिख रहा है। बुढ़ानपुर गांव के महादेव राय, मो. कासिम, पंसस बीरेन्द्र पटेल सत्यनारायण यादव आदि ने बताया कि अमृत सरोवर से किसानों को कोई फायदा नहीं है।

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