आरा: कैमूर जिले के रामगढ़ रेफरल अस्पताल में एम्बुलेंस नहीं मिलने पर ठेले पर सवार होकर आई एक गर्भवती दलित महिला को देख राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल खड़े हो गए हैं. रामगढ़ बाजार निवासी सुरेन्द्र मुसहर की गर्भवती पत्नी गुड़िया देवी को एम्बुलेंस नहीं मिला तो वह अपने पति के साथ ही ठेले पर सवार होकर रामगढ़ रेफरल अस्पताल पहुंच गई जहां उसकी डिलीवरी हुई . डिलेवरी के बाद भी दलित महिला को घर जाने के लिए एम्बुलेंस नहीं मिला और वह नवजात को गोद में लिए फिर ठेले पर सवार होकर घर के निकल गई. उसके तमाम प्रयासों के बावजूद अस्पताल से घर जाने के लिए उसे एम्बुलेंस नहीं मिल पाया.
रामगढ़ रेफरल अस्पताल में डिलेवरी के लिए कराहती दलित महिला जब आई तब भी लोग पूरे स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल उठा रहे थे और डिलेवरी के बाद जब गोद मे नवजात को ठेले पर लेकर परिवार के साथ जाने लगी तब भी लोगों ने व्यवस्था पर सवाल खड़ा किया. राज्य सरकार के करोड़ों अरबो रूपये खर्च कर स्वास्थ्य सेवाओं को दुरुस्त करने और एम्बुलेंस की खरीददारी करने के बावजूद एक दलित महिला को एम्बुलेंस नहीं मिलने पर ठेले से डिलेवरी के लिए अस्पताल आना और फिर डिलेवरी के बाद नवजात के साथ ठेले पर सवार होकर ही जाने की घटना ने पूरे स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोल कर रख दिया है. इस घटना को जिसने भी देखा सभी ने व्यवस्था पर सवाल उठाये और इस तरह ठेले पर आने और जाने को गलत ठहराया. जब इस पूरे मामले को तस्वीर सहित लोगों ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के समक्ष उठाया तब स्वास्थ्य विभाग हरकत में आया और मोहनिया एसडीएम राकेश कुमार सिंह ने कहा कि इस मामले की वे स्वयं जांच करेंगे. उन्होने कहा कि आखिर किन परिस्थितियों में गर्भवती महिला को एम्बुलेंस नहीं मिला इसकी बारीकी से जांच करेंगे. उन्होने कहा कि अगर इसमें अस्पताल प्रशासन की लापरवाही सामने आई तो इसकी पूरी रिपोर्ट कैमूर के जिलाधिकारी को देंगे और निश्चित रूप से कारवाई करेंगे.