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नालंदा: राज्य सरकार ने किसानों की सहायता के लिए एक बड़ा कदम उठाया है, जिसके तहत प्रदेश के विभिन्न जिलों में 10 नई मिट्टी जांच प्रयोगशालाएं स्थापित की जाएगी। इन प्रयोगशालाओं में से एक नालंदा जिले का ऐतिहासिक शहर राजगीर में स्थापित होगी।
राजगीर में बनने वाली यह प्रयोगशाला जिले की दूसरी सरकारी मिट्टी जांच प्रयोगशाला होगी। वर्तमान में बिहारशरीफ में एक जिलास्तरीय प्रयोगशाला के अलावा गिरियक के घोसरावां और नगरनौसा के दरियापुर में 2 मिनी मिट्टी जांच प्रयोगशालाएं भी अनुदान पर संचालित हैं।

राजगीर में यह नई प्रयोगशाला स्थानीय ई-किसान भवन में स्थापित की जाएगी। परियोजना पर लगभग 75 लाख रुपए का निवेश किया जाएगा। प्रयोगशाला की वार्षिक क्षमता 10,000 मिट्टी के नमूनों की जांच करने की होगी। यह सुविधा किसानों को अपने खेतों की मिट्टी की गुणवत्ता का सटीक विश्लेषण प्राप्त करने में मदद करेगी।

प्रयोगशाला में 12 महत्वपूर्ण पैरामीटरों की जांच की जाएगी। जिनमें पीएच, ईसी, जैविक कार्बन, नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश, सल्फर, जिंक, बोरोन, आयरन, मैंगनीज और कॉपर शामिल हैं। इन परीक्षणों के लिए 8 विशेष मशीनें स्थापित की जाएंगी।

इस नई सुविधा का लाभ राजगीर अनुमंडल के सिलाव, बेन, राजगीर, गिरियक और कतरीसराय प्रखंडों के किसानों को मिलेगा। इससे न केवल किसानों को अपने क्षेत्र में ही मिट्टी की जांच कराने की सुविधा मिलेगी, बल्कि बिहारशरीफ स्थित जिला मिट्टी जांच प्रयोगशाला पर भी दबाव कम होगा।

जिला मिट्टी जांच प्रयोगशाला, बिहारशरीफ के इंचार्ज दुर्गा रंजन ने बताया कि राजगीर में मिट्टी जांच प्रयोगशाला खोलने की स्वीकृति मिल गई है। यदि सब कुछ योजना के अनुसार चला, तो अक्टूबर से प्रयोगशाला स्थापित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। इससे मिट्टी हेल्थ कार्ड बनाने में किसानों को बड़ी सहूलियत मिलेगी।

यह प्रयोगशाला न केवल किसानों को उनकी मिट्टी की गुणवत्ता के बारे में जानकारी देगी, बल्कि उन्हें मिट्टी हेल्थ कार्ड भी प्रदान करेगी। इस कार्ड में दिए गए सुझावों का पालन करके किसान अपनी फसल की उपज में सुधार कर सकेंगे।

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