योगी जी, यदि नहीं सुनेंगे तो आप ही जैसे नेताओं को देश और लोगों को बचाने का कोई दूसरा उपाय करना पड़ेगा। वह भी जल्द ही करना पड़ेगा। क्योंकि खतरा तेजी से बढ़ता जा रहा है।एक उपाय यहां पेश है-मंदिरों की आय से देश भर में बड़े पैमाने पर आत्म सुरक्षा या आत्म बलिदानी दस्ते बनवाइए। साथ ही,देश के सभी मंदिरों पर से सरकारी कब्जे को हटवाइए।उनसे हो रही भारी आय को इसी काम में लगाइए। क्योंकि अन्य धर्मों के पूजा स्थलों पर सरकारी कब्जा नहीं है।’
उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ ने कल आगरा में कहा कि ‘राष्ट्र से बढ़कर कुछ नहीं हो सकता है। यह तब होगा जब हम एक रहेंगे। हम बटंगे तो कटेंगे।’ मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि ‘बांग्ला देश देख रहे हो न,क्या हो रहा है। ऐसी गलती यहां नहीं होनी चाहिए। हम एक रहेंगे तो सुरक्षित रहेंगे।’ योगी जी ने समयोचित बातें कही हैं। आज इसीलिए योगी देश के सर्वाधिक लोकप्रिय मुख्यमंत्री हैं।
इंडिया टूडे (4 सितंबर 2024)के ताजा सर्वे (देश का मिजाज) की चर्चा करूं। उसके तहत योगी जी के बारे में देश भर के (सिर्फ उत्तर प्रदेश के नहीं)एक लाख 36 हजार 463 मतदाताओं से राय पूछी गई। उनमें से 46 दशमलव 30 प्रतिशत लोगों ने मुख्यमंत्री के रूप में योगी को देश में पहले स्थान पर रखा।
क्योंकि लोगों का मानना है कि यूपी की जो मुख्य समस्याएं हैं,उन्हें योगी जी अच्छी तरह समझते हैं और विपरीत परिस्थितियों के बावजूद भारी खतरा उठाकर भी उनके निदान की गंभीर कोशिश में लगे रहते हैं। काश ! विभिन्न राज्यों के अन्य सत्ताधारी नेता भी ऐसा ही करते !
खैर, अब मुख्य बात पर आते हैं। हम कब नहीं बंटे थे ? ब्रिटिश इतिहासकार सर जेआर सिली (1834-1895)ने लिखा है कि ब्रिटिशर्स ने भारत को कैसे जीता। मशहूर किताब ‘द एक्सपेंसन आफ इंगलैंड’ के लेखक सिली की स्थापना थी कि ‘हमने (यानी अंग्रेजों ने) नहीं जीता,बल्कि खुद भारतीयों ने ही भारत को जीतकर हमारे प्लेट पर रख दिया।’ पुस्तक की सिर्फ एक पंक्ति यहां प्रस्तुत है–
‘भारत को जीतने की दिशा में जिस समय हमने पहली सफलता प्राप्त की थी,उसी समय हमने अमेरिका में बसी अपनी जाति के तीस लाख लोगों को ,जिन्होंने इंगलैंड के ताज के प्रति अपनी भक्ति को उतार फेंका था,अनुशासन के तहत लाने में पूरी तरह विफलता का मुंह देखा था।’ यानी,ब्रिटिश काल में भी हम बंटे हुए ही थे।
इस बात के बावजूद हम ब्रिटिश काल में भी बंटे रहे कि उससे पहले के मुस्लिम शासकों ने यहां की बहुसंख्यक आबादी के साथ लगभग वैसा ही सलूक किया जैसा सलूक आज बांग्ला देश के जेहादी तत्व वहां के अल्पसंख्यकों के साथ कर रहे हैं। हम तब भी बंटे थे।राणा प्रताप एक तरफ थे तो मान सिंह दूसरी तरफ।अधिकतर आम लोगों को भी यह पढ़ा दिया गया था–‘को नृप होहिं हमें का हानि ?’ आज इस देश के बहुसंख्यक समाज के जो लोग बांग्ला देशियों और रोहिंग्याओं के समर्थक दलों की मदद कर रहे हैं,उन्हें वोट दे रहे हैं,वे लोग वही पुरानी गलती दोहरा रहे हैं। इस गलती का नतीजा भी पहले जैसा ही खतरनाक होगा।
इसलिए हमारे राष्ट्र की रक्षा हमारी गैर राजनीतिक सेना,अर्ध सैनिक बल और राज्यों की पुलिस तो करेगी ही। पर,उनकी संख्या पर्याप्त साबित नहीं होगी। इनके अलावा आत्म बलिदानी लोगों की बड़ी फौज भी तैयार करनी पड़ेगी।वे गांव -गांव में फैलेंगे। जिस तरह निजी सुरक्षा संगठनों को काम करने की अनुमति सरकार देती है,उसी तरह ‘आत्म बलिदानी दस्तें’ तैयार करने वालों को सरकार मान्यता दे ही सकती है। हमारे आधुनिक कानून के किताब में भी यह दर्ज है कि हमें आत्म रक्षा के लिए हमलावर पर आक्रमण करने का कानूनी अधिकार हासिल है। आत्म बलिदानी दस्तों को मंदिरों की भारी आय से प्रशिक्षित किया जा सकता है।
चाहे तो सरकार ‘देश सुरक्षा कर’ लगा सकती है।उसके जरिए आए पैसों से हम अपनी सेना,अर्धसैनिक बल और पुलिस की संख्या बढ़ा सकते हैं।आधुनिक हथियारों से वे लैस हों। यह सब तैयारी अभी से नहीं होगी तो हम अचानक बड़ी भारी मुसीबत में फंस सकते हैं। फिर तो योगी जी की चेतावनी निरर्थक जाएगी कि ‘बंटेंगे तो कटेंगे।’ जिस तरह की तैयारी दूसरे देसी-विदेशी भारत द्रोही पक्ष की ओर से इस देश को बर्बाद करने के लिए हो रही है,उसके अनुपात में ही और उससे कहीं अधिक मजबूत तैयारी हमारी भी होनी चाहिए। तभी हम इस मिश्रित संस्कृति वाले लोकतांत्रिक देश को मौजूदा स्वरूप में बचा सकेंगे जहां संविधान का शासन चलता है।