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भागलपुर: पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे का लोकसभा चुनाव के दौरान बक्सर से टिकट कटने के बाद से न केवल पार्टी बल्कि शासन-प्रशासन भी उन्हें भूलने लगा है। मामला भागलपुर में करीब 200 करोड़ से बने सुपर स्पेशलिस्ट अस्पताल के उद्घाटन समारोह से जुड़ा है जिसके उद्घाटन में उन्हें आमंत्रित नहीं किया गया ।
इससे आहत अश्विनी चौबे ने सीएम नीतीश कुमार को पत्र लिखा और अपना दर्द बयां किया। इसमें उनका फिर एक बार दर्द छलका ।

अश्विनी कुमार चौबे ने लेटर में लिखा- अपार कष्ट में हूं, खैर… समय बड़ा बलवान होता है। जिस सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के शिलान्यास से लेकर बनने तक लगातार निगरानी और निरीक्षण तत्कालीन मंत्री व पूर्व मंत्री के रूप में मैं करता रहा। 17 फरवरी, 2019 को बेगूसराय से पीएम, तत्कालीन राज्यपाल लालजी टंडन, पूर्व डिप्टी सीएम सुशील मोदी समेत मैं खुद भी वहां शामिल हुआ था। इसके बाद भी मेरा नाम उद्घाटन में नहीं रहना आहत करता है।’

अश्विनी चौबे ने पत्र में कहा है कि ‘निर्माण से लेकर अब तक 2 दर्जन से अधिक बार इस अस्पताल का निरीक्षण कर चुका हूं। लगातार राज्य सरकार से उद्घाटन कराने को लेकर पत्राचार करता रहा, लेकिन उस वक्त नहीं हो सका। अब हो रहा है, यह अच्छी बात है, लेकिन जिस तरह सिर्फ ओपीडी में सलाह, दवा और जांच मायागंज में हो रहा, यह गलत है।

यहां के मरीजों को सुविधा जितनी मिलनी चाहिए, वह नहीं मिल रही है। इंडोर भी शुरू होना था, वह भी नहीं हो पाया। लगातार 10 वर्षों तक बक्सर का सांसद और पांच बार भागलपुर से विधायक, 16 वर्षों तक मंत्री परिषद का सदस्य रहा। इस दौरान कई उल्लेखनीय कार्य किए। इसलिए भी इस जगह से मेरा आत्मीय जुड़ाव स्वाभाविक है। यही वजह है कि हमें इस बात का मलाल है कि अपने कार्यकाल में इसकी शुरुआत नहीं करवा सके।’

जिस वक्त बक्सर से लोकसभा चुनाव में चौबे का टिकट कटा था, उस समय भी उनका दर्द छलका था। उन्होंने कहा था कि मैं कहीं नहीं जा रहा, यहीं रहूंगा। वह विरोध चुनाव के रिजल्ट में भी दिखा और मिथलेश तिवारी की हार हो गई। इसके बाद उनका मंत्री पद भी चला गया। अब एक बार फिर से सुपर स्पेशलिस्ट अस्पताल के उद्घाटन में उन्हें आमंत्रित नहीं करने से मामले ने तूल पकड़ लिया है।

लोकसभा चुनाव के लिए टिकट नहीं मिलने के बाद चौबे लगातार बगावती तेवर दिखा रहे हैं। बेटिकट होने के बाद वे बक्सर में बीजेपी के लिए वोट मांगने नहीं गए। चुनाव के बाद अब वे लगातार भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं। बिना नाम लिए वे उन्हें पार्टी में आयातित नेता बता रहे हैं।
सम्राट चौधरी जहां नीतीश कुमार के नेतृत्व में 2025 का विधानसभा चुनाव लड़ने की बात कर रहे हैं तो अश्विनी चौबे अकेले दम पर चुनाव लड़ने की बात कर रहे हैं। वहीं, सूत्रों की माने तो उनका किसी राज्य के राज्यपाल बनाए जाने की चर्चा केंद्रीय नेतृत्व में चल रही है।

भाजपा के जानकार की माने तो अश्विनी चौबे की संघ में मजबूत पकड़ है। संघ प्रमुख मोहन भागवत से सीधे उनके कनेक्शन हैं। बचपन से ही वे संघ से जुड़े हैं। वे शुरुआत से ही भाजपा की राजनीति करते आए हैं। उनकी गिनती भाजपा के समर्पित कार्यकर्ता के रूप में होती है। राज्य और केंद्र में मंत्री रहते हुए उन पर कोई बड़ा आरोप नहीं लगा है। अश्विनी चौबे की राह में सबसे बड़ा रोड़ा उनकी उम्र है। वे 72 साल से ज्यादा के हैं, ऐसे में एक्टिव पॉलिटिक्स में पार्टी उनका इस्तेमाल करे, इसकी संभावना कम ही दिखाई पड़ती है।

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