कुछ समय पूर्व महाराष्ट्र के बदलापुर के एक स्कूल में केजी में पढ़ने वाली दो बच्चियों के साथ शारीरिक शोषण के मामले में मुख्य आरोपी अक्षय शिंदे की एनकाउंटर में मौत पर बवाल मच गया है। इस मुद्दे पर इस वक्त महाराष्ट्र की राजनीति में उबाल आ गया है। जहां एक तरफ मुख्य मंत्री एकनाथ शिंदे ने इसे सेल्फ डिफेंस में उठाया गया कदम बताया। वहीं, कांग्रेस ने एनकाउंटर पर सवाल उठाते हुए इसे गलत करार दिया। बड़ा सवाल यह है कि एक तरफ रेप जैसे मामलों में सख्ती से निपटने के लिए कांग्रेस की लीडरशिप वाली केंद्र सरकार निर्भया एक्ट लेकर आई थी, लेकिन आज वही कांग्रेस अब इस घटना पर सवाल क्यों उठा रही है ?
बदलापुर एनकाउंटर के बाद ना सिर्फ शारीरिक शोषण का शिकार हुई दो बच्चियों के घर वाले खुश हैं बल्कि पूरे बदलापुर में खुशी का माहौल है। सभी का मानना है कि बच्चियों से गलत काम करने वालों को उनके किए की सजा मिली और उनकी मौत के साथ इस मामले में सही इंसाफ हुआ है। शहर में पटाखे फोड़े जा रहे हैं। ये कहना गलत नहीं होगा कि इस वक्त बदलापुर में जश्न का माहौल है। कांग्रेस पार्टी के लिए सबसे बड़ी चिंता आरोपी अक्षय शिंदे की एनकाउंटर में मौत नहीं बल्कि महाराष्ट्र में जल्द होने वाले विधानसभा चुनाव हैं।
साल 2012 में जब निर्भया कांड हुआ था तो लोग सड़कों पर उतर आए थे। तब देश में मनमोहन सिंह की सरकार थी। बच्चों से यौन शोषण के मामलों से सख्ती से निपटने के लिए बेहद सख्त पोक्सो एक्ट बनाया गया, जिसमें दोषी के लिए उम्र कैद से लेकर फांसी तक का प्रावधान किया गया। कांग्रेस पार्टी अक्सर इस कानून को बनाने का श्रेय भी लेती है और लेना भी चाहिए। क्योंकि कानून कड़े होने से ही आरोपियों के हौसले पस्त होते हैं। अब कांग्रेस पार्टी को राज्य में नवंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव सामने दिख रहे हैं। ऐसे में उन्हें पता है कि इस एनकाउंटर के बाद लोगों के मन में भाजपा और उसके सहयोगी दलों के बीच सहानुभूमि बढ़ेगी। यूपी के मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ का मॉडल अगर महाराष्ट्र में फेमस हुआ तो सीधे तौर पर बीजेपी, एकनाथ शिंदे की शिवसेना और अजित पवार की पार्टी को इसका फायदा मिलेगा।
महाराष्ट्र के ताजा राजनीतिक हालातों पर नजर डालें तो इस वक्त वहां खिचड़ी पकी हुई है। साल 2019 में वहां भाजपा और शिवसेना ने मिलकर चुनाव जड़ा था लेकिन मुख्य मंत्री पद को लेकर दोनों पार्टियों में तकरार हो गई। इसके बाद उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर सरकार बनाई। यह सरकार ज्यादा दिन नहीं टिक सकी। शिवसेना से एकनाथ शिंदे गुट अलग हो गया और उन्होंने जून 2022 में भाजपा के समर्थन से नई सरकार का गठन किया। बाद में शरद पवार की एनसीपी में भी फूट पड़ गई। अजित पवार गुट भी एकनाथ शिंदे की सरकार में शामिल हो गया। मौजूदा वक्त में एक तरफ कांग्रेस के साथ शिवसेना का उद्धव और एनसीपी का शरद पवार गुट है तो दूसरी तरफ भाजपा के साथ शिवसेना का एकनाथ शिंदे और एनसीपी का अजित गुट है। कांग्रेस यह मुद्दा बना रही है कि भाजपा दूसरे दलों में तोड़फोड़ कर सत्ता तक पहुंचने में लगी है। ऐसे में बदलापुर एनकाउंटर हवा का रुख भाजपा की तरफ मोड़ सकता है।
दूसरी तरफ महाराष्ट्र के विपक्षी गठबंधन महा विकास अघाड़ी की तरफ से इस एनकाउंटर पर सवाल उठाते हुए मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की आलोचना की जा रही है। शिवसेना (उद्धव ठाकरे) की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने इसे महायुति सरकार की अक्षमता करार देते हुए कहा कि मामले के सह आरोपी अभी तक भाग रहे हैं और मुख्य आरोपी का एनकाउंटर कर दिया गया। ऐसा लग रहा है जैसे यह पूरी कहानी राज्य सरकार द्वारा लिखी गई है।
सोशल मीडिया साइट एक्स पर सांसद प्रियंका ने राज्य सरकार पर तंज कसते हुए लिखा कि आरोपी मर चुका है और POCSO के तहत अन्य सह आरोपी, जो स्कूल बोर्ड के सदस्य और साथ ही भाजपा पदाधिकारी थे, भाग रहे हैं। अक्षम सरकार द्वारा लागू की गई गोली मारो और भाग जाओ रणनीति का ऐसा किताबी मामला। अगले भाग में देखिए, किसी ने भी 6 साल के बच्चों का यौन उत्पीड़न नहीं किया। राज्य सरकार द्वारा लिखित,प्रायोजित और क्रियान्वित एक कहानी।वहीं शिवसेना यूबीटी के प्रवक्ता आनंद दुबे ने कहा कि गृह मंत्री और पुलिस को मामले की जांच के लिए एक एसआईटी का गठन करना चाहिए क्योंकि इसमें कई संदेह हैं। सरकार और पुलिस को स्पष्टीकरण देना चाहिए और जनता को बताना चाहिए कि क्या हुआ।
बदलापुर के आरोपी के एनकाउंटर पर विपक्षी सवालों पर मुख्य मंत्री शिंदे ने कहा कि कुछ दिनों पहले तक यही विपक्ष उसे फांसी देने की बात कर रहा था, अगर उसने पुलिस पर हमला किया होगा तो क्या पुलिस अपना बचाव नहीं करती? विपक्ष हर बात पर सवाल उठाता है, मुझे लगता है कि यह एक संवेदनशील मुद्दा है और इस पर राजनीति करना गलत है।
इसके बाद घटना की जानकारी देते हुए मुख्य मंत्री ने कहा कि आरोपी के ऊपर उसकी पूर्व पत्नी ने यौन उत्पीड़न का मामला दर्ज कराया था।पुलिस वारंट के साथ उसे जांच के लिए ले जा रही थी। इसी दौरान उसने साथ में मौजूद पुलिस वालों से बंदूक छीन ली और एक पुलिस कर्मी नीलेश मोरे पर गोली चलाई, गोली लगने से पुलिसकर्मी घायल हो गया उसे तुरंत ही अस्पताल में भर्ती कराया गया। इसी दौरान पुलिस की तरफ से आत्मरक्षा में की गई कार्रवाई में अक्षय शिंदे को भी गोली लग गई। उसे अस्पताल ले जाया गया, जहां पर उनकी मौत हो गई।