Jitiya Festival
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पटनाः राजधानी पटना सहित बिहार के सभी जिलों में महिलाएं जितियां के मौके पर उपवास करती है। बता दें कि सनातन संस्कृति में अपने संतान की लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य की कामना के लिए जितिया व्रत की पुरातन परंपरा रही है। बिहार और उत्तर प्रदेश में प्रचलित इस जितिया पर्व में माताएं पूरी एक तिथि निर्जला उपवास रखकर जीमूतवाहन की आराधना करती है।

इस व्रत की शुरुआत एक खास और अनोखी परंपरा से होती है, जो व्रत से एक दिन पहले निभाई जाती है। निर्जला व्रत शुरू करने से पहले सोमवार को महिलाओं ने परंपरागत मान्यताओं के अनुसार मड़ुआ की रोटी और मछली का सेवन किया। हर व्रती को माछ-मड़ुआ उपलब्ध हो, इस लिए यह मान्यता है कि आज के दिन जो जितना बांटता है, उसके संतान की आयु में उतनी बढ़ोतरी होती है। सुबह सूर्योदय से पूर्व महिलाएं ओठगन (अल्पाहार) करके निर्जला व्रत की शुरूआत की।

इस दिन माताएं रात्रि में भगवान शिव जी और माता पार्वती की मूर्ति बनाकर मौन रहकर पूजा करती है। पूजा पूरी कर लेने के बाद 21 दाना चना या मूंग अपनी संतान की दीर्घायु और खुशहाली के लिए भगवान में चढ़ाने के बाद उस चना या मूंग को निगलते है। उसके बाद बेटा जुतिया नाम से 16 गांठ वाली एक माला बनाए जाती है या बाजार में भी मिल जाती है। उसे धारण करती है।

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