पटनाः बिहार विधान सभा के माननीय अध्यक्ष नन्दकिशोर यादव ने आस्ट्रेलिया के सिडनी में आयोजित 67वें राष्ट्रमंडल संसदीय सम्मेलन के दौरान बिहार के प्रतिनिधि के रूप में प्लेनरी सत्र के दूसरे अंतराल में “बेंचमार्किंग, मानक और दिशानिर्देश: सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाकर संसदीय संस्थानों को मजबूत करना” विषय पर अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि जब लोकतंत्र के कामकाज में सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाने से संस्थानों की गुणवत्ता बढ़ती है और वे जनता की समस्याओं को बेहतर तरीके से हल करने में सक्षम होते हैं। लोकतांत्रिक संस्थाओं को मजबूत करने के लिए बेंचमार्किंग, मानक और दिशानिर्देश बहुत महत्त्वपूर्ण उपकरण हैं।
बेंचमार्किंग के माध्यम कोई भी संस्थान अन्य संस्थानों में अपनाई गई सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाकर अपनी प्रणाली को समृद्ध करते हैं। मानक वे मूलभूत सिद्धांत हैं जिन्हें संस्थान अपनी कार्य प्रणाली में लागू करते हैं। लोकतंत्र में ये मानक नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करते हैं, सत्ता के दुरुपयोग को रोकते हैं और सरकारी सेवाओं की निष्पक्षता सुनिश्चित करते हैं। इसके अलावा संविधान, लोकतांत्रिक सिद्धांतों और अंतरराष्ट्रीय नीतियों आदि पर आधारित दिशानिर्देश भी लोकतंत्र की संस्थाओं के लिए आवश्यक हैं। वे प्रशासनिक दृश्यता और जवाबदेही के साथ-साथ नीतियों के कार्यान्वयन में स्पष्टता और समन्वय सुनिश्चित करते हैं। इन तीन पहलुओं के प्रभावी कार्यान्वयन से लोकतांत्रिक संस्थाओं में अनुशासन और जवाबदेही आती है।
भारतीय संसद ने अपने कामकाज में कई मानकों को अपनाया है और कई मानकों को स्थापित किया है। जैसे: संविधान के मूल सिद्धांतों के अनुरूप पांच साल के नियमित अंतराल पर होने वाले चुनाव देश की संसदीय प्रणाली को मजबूत बनाते हैं। संसद सचिवालय का ‘डिजिटल संसद मोबाइल ऐप’ सभी संसदीय सेवाएं ऑनलाइन प्रदान करता है। इसने संसदीय संस्थाओं की कार्यवाहियों तक मीडिया की पहुंच आसान बनाया है। साथ ही, इससे सदन की कार्यवाही आम जनता के लिए आसान और समझने योग्य बन गई है। एक राष्ट्र एक विधायी मंच यानी राष्ट्रीय ई-विधान एप्लीकेशन (नेवा) को अपनाना ताकि भारत के सभी विधायी निकाय एक ही मंच पर आ सकें, भारतीय संसद की महत्त्वपूर्ण पहल है जो एक मानक स्थापित कर रही है।
संसदीय शोध और प्रशिक्षण संस्थान (PRIDE) द्वारा संसद और संसदीय कर्मचारियों को प्रशिक्षित करना संसदीय प्रणाली की गुणवत्ता को बढ़ाता है। सांसदों की दक्षता को बढ़ाने के लिए निरंतर प्रयास करना संसद का एक महत्वपूर्ण कार्य है। संसदीय अनुसंधान एवं सूचना समर्थन (PRISM) सांसदों की क्षमता को बढ़ाता है तथा उनकी भागीदारी को व्यापक बनाता है। भारत ने महिला आरक्षण अधिनियम,2023 पारित किया है जो महिलाओं के लिए विधायी निकायों में 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित करता है। मैं भारत के बिहार राज्य से आता हूं, जहां स्थानीय स्वशासन निकायों में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है। यह एक क्रांतिकारी कदम है जिसने लैंगिक समानता के लिए एक मानक स्थापित किया है। संसदीय प्रणाली में मानकों को अपनाना एक सतत प्रक्रिया है। सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाकर हम यह सुनिश्चित करते हैं कि हमारी संसद लोकतंत्र के आधार पर पारदर्शी और लोगों के प्रति जवाबदेही वाली बनी रहे।
ये भी पढ़ें…विक्रमशिला-कटेरिया गंगा रेल पुल इतने साल में बनकर होगा तैयार, रेल मंत्रालय ने जारी किया टेंडर