पटनाः भाकपा-माले की पटना में आयोजित राज्य स्थायी समिति की बैठक में आज विगत महीने राज्य में निकली पदयात्रा के दौरान जनता के विभिन्न हिस्सों से उठे सवालों को लेकर आंदोलन के तीसरे फेज और फिर पटना में एक विशाल महाजुटान आयोजित करने पर विचार-विमर्श हुआ। बैठक में माले महासचिव का. दीपंकर भट्टाचार्य के साथ-साथ पार्टी के वरिष्ठ नेता स्वदेश भट्टाचार्य, राज्य सचिव कुणाल, अमर, धीरेन्द्र झा, मीना तिवारी, केडी यादव, शशि यादव, पूर्व सांसद रामेश्वर प्रसाद, आरा सांसद सुदामा प्रसाद, नेता विधायक दल महबूब आलम, सत्येदव राम आदि मुख्य रूप से शामिल थे।
बैठक में विगत 16 से 26 अक्टूबर तक राज्य के विभिन्न हिस्सों में निकाली गई बदलो बिहार न्याय यात्रा और 27 अक्टूबर को पटना में आयोजित बदलो बिहार न्याय सम्मेलन के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा हुई. राज्य सचिव कुणाल ने कहा कि पदयात्रा के दौरान हमने जिन मुद्दों को उठाया उसने दलित-गरीबों से लेकर जीविका-आशा-रसोइया-आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और स्थानीय स्तर पर चल रहे कई आंदोलनों को हमारी ओर आकर्षित किया है. खासकर, दलितों पर बढ़ती हिंसा के खिलाफ विभिन्न् जिलों में व्यापक आक्रोश देखा गया. अपनी मांगों को लेकर विभिन्न तबकों ने अपना स्मार पत्र सौंपा. भूमि सर्वे और स्मार्ट मीटर को लेकर गुस्सा चरम पर है तो दलितों-गरीबों में वास-आवास की गहरी चाहत दिखी. इसके पहले अगस्त-सितंबर महीने में पार्टी द्वारा चलाए गए हक दो-वादा निभाओ अभियान के तहत राज्य के तकरीबन 300 प्रखंडों पर आवासीय भूमि, पक्का मकान और महागरीब परिवारों के लिए एकमुश्त 2 लाख रु. देने की मांग पर जुझारू प्रदर्शन किए गए. इन प्रदर्शनों में जनता के विभिन्न हिस्सों की शानदार भागीदारी रही. पदयात्राओं ने इस बात को तय कर दिया है कि बिहार की जनता राज्य में बदलाव चाहती है.
धीरेन्द्र झा ने कहा कि इन्हीं आंदोलनों के दबाव में नीतीश सरकार ने अपने कैबिनेट में आवास की जमीन के लिए दलित-गरीबों के लिए एक लाख रु. सहायता राशि देने की घोषणा की है. लेकिन यह भी दलित-गरीबों के साथ एक क्रूर मजाक ही है. आज की तारीख में कहीं भी एक लाख रु. में तीन डिसमिल जमीन नहीं मिल सकती है. इसे हम अपने आंदोलन के तीसरे फेज का मुद्दा बनायेंगे और – जो गरीब जहां बसा है पहले उस जमीन का पर्चा दो – के नारे के साथ सरकार को घेरने का काम करेंगे.
नेता विधायक दल महबूब आलम ने कहा कि विधानसभा के आगामी सत्र में जीविका कार्यकर्ताओं पर नीतीश सरकार के हमले, माइक्रोफाइनांस कंपनियों के मकड़जाल में फंसकर आत्महत्या की बढ़ती घटनाओं, सभी प्रकार के कर्ज की माफी, पेंशन राशि में बढ़ोतरी, गरीबों के लिए 200 यूनिट फ्री बिजली, आरक्षण को 9 वीं अनुसूची में शामिल करने और बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने जैसे प्रश्नों को मजबूती से उठाया जाएगा.