आरा: भोजपुर जिले के आरा स्थित जिला समाहरणालय के सभागार में बिहार के उपमुख्यमंत्री सह जिले के प्रभारी मंत्री विजय कुमार सिन्हा की अध्यक्षता में मुख्यमंत्री ग्रामीण सेतु योजना एवं मुख्यमंत्री समग्र शहरी विकास योजना की संचालन समिति की बैठक आयोजित की गई.
बैठक में इन योजनाओं के कार्यान्वयन एवं उसके प्रगति की समीक्षा हुई . बैठक में आरा,जगदीशपुर, तरारी,अगियांव के विधायक, एमएलसी, जिला परिषद अध्यक्ष, जिलाधिकारी तनय सुल्तानिया, एसपी मिस्टर राज, उप विकास आयुक्त डॉ. अनुपमा सिंह, नगर निगम की मेयर, नगर आयुक्त सहित कई पदाधिकारी शामिल थे.
बैठक मे समीक्षा के दौरान जिलाधिकारी ने मुख्यमंत्री समग्र शहरी विकास योजना और मुख्यमंत्री ग्रामीण सेतु योजना के अंतर्गत क्रियान्वित योजनाओं और प्रावधानों के बारे में विस्तृत जानकारी दी. उन्होंने बताया कि इस योजना का मुख्य उद्देश्य नगर निकायों के उन पथों को राष्ट्रीय राजमार्ग या पथ निर्माण विभाग के प्रमुख सड़कों से लिंक सड़कों के रूप में जोड़ना है जो जनोपयोगी हों और इसमें अधिक आबादी को लाभान्वित करने वाली सड़कों को प्राथमिकता देना है. सड़कों का चयन करते समय पर्यटन स्थलों, शैक्षणिक संस्थानों, अस्पतालों आदि का विशेष ध्यान रखा जाना है.
इसके अलावे सड़क जाम की समस्या का समाधान करते हुए यातायात के बढ़ते दबाव को कम करना और यातायात संचालन को सुगम बनाना भी इस योजना का उद्देश्य है. सड़कों के बीच डिवाइडर के साथ अंडरग्राउंड केबलिंग, स्ट्रीट लाइटिंग, मास्क लाइट का प्रावधान और जल निकासी के लिए नालियों का निर्माण भी किया जाना है. समीक्षा के दौरान संचालन समिति के सदस्यों ने अपने-अपने क्षेत्रों में आने वाली समस्याओं को भी उठाया. बैठक को सम्बोधित करते हुए उपमुख्यमंत्री ने कहा कि अब तक प्राप्त योजनाओं में उपयोगिता के आधार पर प्राथमिकता दी जाए. उन्होंने जिलाधिकारी और नगर निगम के अधिकारियों से कहा कि योजनाओं के चयन के समय नालों की सफाई और शहर में व्याप्त गंदगी के निपटारे को ध्यान में रखा जाए.
उन्होंने यह भी बताया कि मुख्यमंत्री समग्र शहरी विकास योजना में प्राथमिकता निर्धारण में छोटी योजनाओं और उनकी उपयोगिता दोनों को महत्व दिया जाए. मुख्यमंत्री ग्रामीण सेतु योजना के अंतर्गत योजना स्थल का निरीक्षण करके रिपोर्ट तैयार की जाए. उन्होंने कहा कि योजनाओं का चयन करते समय मापदंडों को ध्यान में रखते हुए प्राथमिकताओं के आधार पर योजनाओं का निर्धारण किया जाए. बैठक के बाद एक सप्ताह के भीतर सभी सदस्यों को प्रोसिडिंग उपलब्ध करा दी जाय.