
कांग्रेस द्वारा संसद में अमित शाह के डॉ. भीमराव अम्बेडकर पर दिए भाषण की एक क्लिप साझा कर बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा करने की कोशिशों पर पानी फिरता दिख रहा है। इस क्लिप के जरिये कांग्रेस ने शाह पर अंबेडकर का अपमान करने का आरोप लगाया था। भाजपा ने जवाबी हमला किया। यहां तक कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी आरोपों का जवाब देने आए। मल्लिकार्जुन खड़गे और प्रियंका गांधी सहित अन्य कांग्रेस नेताओं ने अमित शाह से माफी की मांग की थी। भाजपा और अमित शाह ने वीडियो क्लिप में हेराफेरी का आरोप लगाया है ।
गृह मंत्री अमित शाह का कहना है कि भाजपा सभी कानूनी विकल्पों की जांच करेगी। संसद के अंदर और बाहर जो भी कानूनी कार्रवाई की जा सकती है, सभी संभावनाओं पर विचार किया जाएगा।कांग्रेस ने अपनी पुरानी चालें चलीं और गलत तथ्य पेश करके समाज को गुमराह करने का प्रयास किया। उन्होंने कहा कि वह ऐसी पार्टी से आते हैं जो कभी आंबेडकर का अपमान नहीं करेगी।
गौरतलब है कि राज्यसभा में 17 दिसंबर को संविधान पर चर्चा करते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने भीम राव अंबेडकर को लेकर बयान दिया था, जिस पर कांग्रेस सहित विपक्षी दलों ने जमकर हंगामा मचा रखा है। कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि अमित शाह ने अपने भाषण के दौरान संविधान निर्माता बाबा साहेब का अपमान किया है।
प्रधानमंत्री मोदी ने एक्स पर कहा कि अमित शाह ने राज्यसभा में अंबेडकर का अपमान करने वाली कांग्रेस पार्टी के काले इतिहास को उजागर किया है।
अगर कांग्रेस और उसका सड़ा हुआ इकोसिस्टम यह सोचता है कि उनके दुर्भावनापूर्ण झूठ उनके कई वर्षों के कुकर्मों, खासकर डॉ. अंबेडकर के प्रति उनके अपमान को छिपा सकते हैं, तो वे बहुत बड़ी गलतफहमी में हैं। भारत के लोगों ने बार-बार देखा है कि कैसे एक वंश के नेतृत्व वाली पार्टी ने डॉ. अंबेडकर की विरासत को मिटाने और एससी/एसटी समुदायों को अपमानित करने के लिए हर संभव गंदी चाल चली है। प्रधानमंत्री मोदी ने कांग्रेस पर अंबेडकर को भारत रत्न देने से इनकार करने और संसद के सेंट्रल हॉल में उनके चित्र को जगह न देने का आरोप लगाया।
अमित शाह ने कांग्रेस के बारे में बोलते हुए कहा था कि वह बार बार संविधान का हवाला देती है पहले वह खुद को आईने में देखे । कांग्रेस ने संविधान में बोलने की आजादी कम करने का संशोधन किया, मौलिक अधिकारों में कटौती का संशोधन किया, चुनाव हारने की आशंका के कारण विधानसभाओं का कार्यकाल बढ़ाने का संशोधन किया, अपनी कुर्सी बचाने के लिए प्रधानमंत्री के कामों की न्यायिक जांच पर रोक लगाने का संशोधन किया, जबकि नरेन्द्र मोदी की सरकार ने एक देश एक टैक्स के लिए संविधान में संशोधन किया। पिछड़ा आयोग को संवैधानिक दर्जा दिया।
महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण के लिए संशोधन किया। गरीबों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने के लिए संशोधन किया। अमित शाह ने कहा कि ये सारे उदाहरण देखने के बाद कोई भी समझ सकता है कि संविधान को लेकर कांग्रेस की मंशा और नरेंद्र मोदी की नीयत में क्या फर्क है। अमित शाह ने कहा कि कांग्रेस अपनी पुरानी मानसिकता से उबर नहीं पाई है, आज भी वो समान नागरिक संहिता का विरोध कर रही है लेकिन भाजपा लोकतांत्रिक तरीके से कॉमन सिविल कोड सभी राज्यों में लाएगी।
ये अमित शाह का कांग्रेस पर अब तक का सबसे करारा हमला था क्योंकि भाजपा इन्हीं तीन बातों के आधार पर अपने आप को कांग्रेस से अलग बताती है। अमित शाह ने तुलना करके बताया कि कांग्रेस ने जब जब संविधान में संशोधन किए तो उसका उद्देश्य कुर्सी बचाना था और जब जब मोदी सरकार ने संशोधन किए तो मकसद गरीबों और पिछड़ों को ज्यादा अधिकार देने का था। अमित शाह ने जो उदाहरण दिए, उन्हें समझने की जरूरत है। अमित शाह ने गिनाया कि कांग्रेस ने संविधान में जो संशोधन किए, वो अभिव्यक्ति की आजादी पर पाबंदी लगाने के लिए थे, आम नागरिकों के मौलिक अधिकार छीनने के लिए थे। अमित शाह की ये बात सही है और इमरजेंसी के काले दिन इसका सबसे बड़ा उदाहरण हैं।
संविधान को लेकर भाजपा पर तीन तरह के आरोप लगाए जाते हैं। अमित शाह ने इन तीनों का जवाब दिया। राहुल गांधी बार बार संविधान की कॉपी लहराकर कहते हैं कि भाजपा संविधान को बदलना चाहती है, आरक्षण को खत्म करना चाहती है। अमित शाह ने एक के बाद एक कई उदाहरण गिनाए, बताया कि मोदी सरकार ने पिछड़ों और गरीबों को अधिकार देने के लिए संविधान में कैसे बदलाव किया। दूसरा आरोप ये लगता है कि भाजपा वोट बैंक की राजनीति करती है, मुसलमानों को परेशान करती है। इसके जवाब में अमित शाह ने शाह बानो केस और तीन तलाक कानून का उदाहरण दिया। उन्होंने याद दिलाया कि कांग्रेस ने मुस्लिम महिलाओं का हक़ छीना और भाजपा ने मुस्लिम महिलाओं को उनका हक दिलाया, तीन तलाक से मुक्ति दिलाई।
तीसरा आरोप भाजपा पर ये लगाया जाता है कि वो ईवीएम में गड़बड़ी करके चुनाव जीतती है। इसका भी अमित शाह ने स्पष्ट जवाब दिया। अमित शाह ने उदाहरण देकर पूछा, एक ही दिन में दो राज्यों के चुनाव नतीजे आए। महाराष्ट्र में ईवीएम खराब और झारखंड में ईवीएम अच्छी कैसे हो सकती है? हालांकि अमित शाह के जवाब के बाद भी विपक्ष के नेता ये मुद्दा छोड़ेंगे ऐसा नहीं लगता क्योंकि मंगलवार को ही उद्धव ठाकरे ने महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस की सरकार को ईवीएम की सरकार कह दिया। इन सब आरोप प्रत्यारोप के बाद कांग्रेस को पहले अपना चेहरा आईने में देखना चाहिए ।