बर्ड फ्लू : कुक्कुट प्रक्षेत्र में मुर्गे की बिक्री पर रोकहोली में चिकन खाने वालों को सावधान रहने की सलाह

3 Min Read

भागलपुर, संवाददाता
एक बार फिर भागलपुर बर्ड फ्लू के प्रभाव के दायरे में आ गया है। ऐसे में यदि आप होली चिकन खाने की सोच रहे हैं, तो सावधान हो जाएं ! इसकी दस्तक के साथ बरारी रोड स्थित कुक्कुट प्रक्षेत्र में एंट्री पर रोक लगा दी गई है। पशुपालन विभाग के पदाधिकारी और कर्मचारी भी सेनिटाइजेशन के बाद ही वहां प्रवेश कर पाएंगे। स्थिति को देखते हुए पटना से किलिंग ऑपरेशन की एलआरएस टीम भागलपुर पहुंच गई है। बर्ड फ्लू में मरने वाली मुर्गियों को जलाकर परिसर में ही दफनाये जाने का निर्देश है।
डीएम और एसएसपी की ओर से संयुक्त आदेश भी जारी कर दिया गया है। साथ ही कुक्कुट प्रक्षेत्र से मुर्गे की खरीद-बिक्री पर भी रोक लगा दी गई है। वहां से करीब तीन किलोमीटर के दायरे में भी पटना से आई टीम सर्वे करेगी। फिर सर्वे रिपोर्ट के आधार पर आगे कार्रवाई की जाएगी।
बरारी रोड स्थित सरकारी पोल्ट्री फार्म के सहायक निदेशक डॉ. शिवेंद्र चौधरी ने बताया कि 3 मार्च को यहां से सैंपल जांच के लिए कोलकाता स्थित रीजनल डिजीज डायग्नोस्टिक लैब में भेजा गया था। वहां से जांच रिपोर्ट 6 मार्च को आई। रिपोर्ट में एच 5 एन1 वायरस पाये जाने की पुष्टि हुई। यह इनफ्लुएंजा वायरस है। एच 5 एन 1 सबसे खतरनाक वायरस है। यह मुर्गियों में तेजी से फैलता है और इससे उनकी मौत हो जाती है।
बता दें कि करीब दो साल पहले भी भागलपुर में बर्ड फ्लू के प्रकोप से कई मुर्गियों की जान चली गई थी। इसका असर चिकन के कारोबार पर भी पड़ा था। भागलपुर के बरारी कुक्कुट फार्म के 10 किलोमीटर के दायरे में चिकन और अंडे की दुकानों को बंद करा दिया गया था। इसमें पटना से आई टीम ने वार्ड नंबर 27, 28, 29 से मुर्गों, चूजों और अंडों को इकट्ठा कर कुक्कुट फार्म के गड्ढे में दफन किया था।
जानकारी के मुताबिक, इस प्रक्रिया को किलिंग ऑपरेशन कहा जाता है। इसको लेकर जगह-जगह अंडों और मुर्गों की दुकान को बंद कराई गई थी। साथ ही बर्ड फ्लू की आशंका के बाद सुंदरवन वंचित और पुनर्वास केंद्र में भी छिड़काव किया गया था, ताकि इसका संक्रमण वहां तक न पहुंच सके। इस बार भी इस दिशा में पहल की जाएगी।
बर्ड फ्लू का एवियन इन्फ्लुएंजा वायरस से संक्रमित अन्य जानवरों में श्वसन स्राव, विभिन्न अंगों, रक्त या पशु के दूध सहित अन्य शारीरिक तरल पदार्थों में वायरस मौजूद हो सकता है। एवियन इन्फ्लुएंजा वायरस से मानव संक्रमण तब हो सकता है, जब वायरस किसी व्यक्ति की आंख, नाक या मुंह में चला जाता है या सांस के जरिए शरीर में प्रवेश करता है।

Share This Article