आरा, विशेष संवाददाता
धान का कटोरा कहे जाने वाले रोहतास के सोनाचूर चावल को जीआई टैग मिल सके, इसकी कोशिश में थोड़ी गति आई है. जिलाधिकारी उदिता सिंह ने सोनाचूर चावल को जीआई टैग दिलवाने के लिए जीआई निबंधन कार्यालय, चेन्नई को अनुशंसा भेजी है. उम्मीद की जा रही है कि जीआई निबंधन कार्यालय अपना अप्रूवल जल्द ही देगा। सोनाचूर चावल के जीआई टैग को लेकर यहां के किसान उत्सुक हैं हालांकि सोनाचूर चावल की गुणवत्ता के बावजूद अभी तक टैग नहीं मिलने मायूसी है जिसे दूर करने की कोशिश जिलाधिकारी ने की है.
जीआई टैग एक ऐसा संकेतक है जो किसी उत्पाद की भौगोलिक उत्पति और विशिष्ट गुणों को दर्शाता है. यह टैग अंतर्राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा अधिकारों और टीआरआईपीएस समझौते के तहत मान्यता प्राप्त होता है. किसानों की खुशहाली की बात पीएम मोदी भी करते हैं जिसमे वोकल फॉर लोकल का जिक्र है और सोनाचूर चावल की विशेषता ऐसी है जिससे इसे ग्लोबल होने में देर नहीं लगेगी। रोहतास के किसानों के चावल का उचित मूल्य भी मिलेगा और उनकी आर्थिक स्थिति भी बदल जाएगी.
जिला प्रशासन इस टैग को लेकर आश्वस्त भी है और इससे जुड़े कुछ आवश्यक कदम भी उठाये गए हैं. रोहतास के उप विकास आयुक्त के मार्गदर्शन में ‘रोहतास सोनाचुर धान उत्पादक संघ’ का गठन कर उसका सोसाइटी निबंधन कराया गया है.यह कदम जीआई टैग प्रक्रिया में महत्वपूर्ण माना जा रहा है. सोनाचूर चावल को जीआई टैग दिलाने के लिए वनस्पति अनुसंधान इकाई बिक्रमगंज, बिहार कृषि विश्वविद्यालय भागलपुर, आत्मा रोहतास, कृषि विभाग और जिला प्रशासन मिलकर काम कर रहे हैं. यह संयुक्त प्रयास न केवल किसानों को लाभ पहुंचाएगा बल्कि सोनाचुर धान को वैश्विक मंच भी देगा. जल्द ही रोहतास की मिट्टी में उपजे सोना चूर चावल दुनिया भर के देशों में रहने वाले लोगों की थाली तक अपनी पहुंच बनाने की स्थिति में आ सकता है.
सोनाचूर चावल के जीआई टैग के लिए डीएम ने भेजी अनुशंसा
