पटनाः बिहार सरकार शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने को लेकर लगातार काम कर रही है। इसी के तहत बड़ा फैसला लिया गया है। सरकारी प्राइमरी स्कूलों में पहली से पांचवीं तक के बच्चों की किताबें अब बदल जाएंगी। इससे कक्षा एक से पांचवीं तक के एक करोड़ से अधिक बच्चे नई पाठ्य पुस्तकें पढ़ेंगे। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत राज्य में स्कूली पाठ्यक्रम तय करने का फार्मूला तैयार किया गया है। यह फार्मूला बिहार पाठ्यचर्चा की रूपरेखा 2025 के नाम से तैयार हुआ है। इसका ड्राफ्ट राज्य शिक्षा शोध एवं प्रशिक्षण परिषद ने अपने आधिकारिक वेबसाइट पर अपलोड किया है।
राज्य शिक्षा शोध एवं प्रशिक्षण परिषद के एक अधिकारी ने बताया कि तय नियमों के आधार पर राज्य में स्कूली शिक्षा का सिलेबस तय होगा. उसके बाद तय सिलेबस के हिसाब से अलग-अलग कक्षाओं के लिए किताबें बनेंगी. पहली से पांचवीं कक्षा तक के लिए नई किताबें बनाने की प्रक्रिया तेजी से चल रही है. वहीं छठी से बारहवीं तक के छात्र-छात्राओं के लिए NCERT की ही पुस्तकें ली गई हैं. पहले नौवीं दसवीं कक्षा में गणित और विज्ञान तथा ग्यारहवीं-बारहवीं के लिए कला, वाणिज्य एवं विज्ञान की NCERT की किताबें यथावत लागू थीं।
राज्य शिक्षा शोध एवं प्रशिक्षण परिषद की वेबसाइट पर अपलोड ड्राफ्ट पर आम लोगों से सुझाव और फीडबैक ई-मेल के माध्यम से मांगा गया है। इसके लिए 20 मई तक का समय दिया गया है। बता दें कि स्कूली पाठ्यक्रम का फार्मूला तय करने के लिए पटना विश्वविद्यालय एवं नालंदा ओपन विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. रास बिहारी सिंह की अध्यक्षता में कमेटी बनी थी।
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