सुरेंद्र किशोर (पदमश्री प्राप्त वरिष्ठ पत्रकार )
सेवियत संघ सरकार ने सन 1940 में मैक्सिको में छिपे अपने राजनीतिक दुश्मन ट्राटस्की को ढूंढ कर मरवा डाला था। तब यह दुनिया का चर्चित हत्याकांड साबित हुआ था। उसी तरह 1972 में हुए म्यूनिख ओलम्पिक में 11 इजरायली खिलाड़ियों के हत्यारे अरब आतंकियों को मोसाद ने एक -एक कर खोजा और उन्हें मौत के घाट उतारा था। स्टालिन के कट्टर विरोधी ट्राटस्की की हत्या करवाने के लिए सोवियत जासूस ने छल-प्रपंच का इस्तेमाल किया था। 20 अगस्त 1940 को ट्राटस्की की हत्या हुई थी। जैक्सन नमक एक व्यक्ति पहले ट्राटस्की का विश्वासी बना फिर जब वे मैक्सिको में थे तब उनकी हत्या कर दी। स्टालिन के भय से वे मैक्सिकोे में निर्वासित जीवन बिता रहे थे।
कहते हैं स्टालिन ने अपने जासूसों को यह सख्त आदेश दे रखा था कि ‘किसी भी नीति -रणनीति का पालन क्यों न करना पड़े , कोई कार्य पद्धति क्यों न ट्राटस्की ने पहले सोवियत संघ में स्टालिन की तानाशाही का विरोध किया। फिर जब जब स्टालिन ने एक- एक करके अपने राजनीतिक विरोधियों का सफाया करना शुरू किया तो ट्राटस्की विदेश भाग गये। ट्राटस्की ने मैक्सिको में शरण ली । वहां भी वह स्टालिन की सख्त आलोचना करते हुए, या यूं कहें कि उन्हें गालियां देते हुए स्थानीय अखबारों में लेख लिखते थे। उन्होंने यह सोचा था कि शायद स्टालिन के लिए मैक्सिको दूर पड़ेगा। पर, ट्राटस्की गलत सोच रहे थे।
सोवियत जासूसों ने उनकी हत्या के लिए वहां भी एक छल के जरिए पक्का प्रबंध करा दिया।
जासूसों ने पता लगाया कि मैक्सिको में ट्राटस्की का कौन ऐसा भक्त है जिसकी बात वह सुनते हैं । पता चला कि वह एक लड़की है। सोवियत जासूसों ने ट्राटस्की की एक और कमजोरी का लाभ उठाया। ट्राटस्की किसी भोलेे भाले दिखने वाले अजनबी पर आसानी से विश्वास कर लेते थे। जासूसों ने उनकी इस कमजोरी का भी लाभ उठाया। जैक्सन नामक भोला -भाला दिखने वाले एक व्यक्ति को जासूसों ने ट्राटस्की की भक्त लड़की से पहले मित्रता करवा दी।
उस लड़की को जैक्सन के खतरनाक मनसूबे का कोई संकेत तक नहीं मिला। फिर जैक्सन का परिचय उसी लड़की ने ट्राटस्की से करवा दिया।
उस लड़की का ट्राटस्की के यहां अक्सर आना-जाना था। ट्राटस्की ने उस पर विश्वास कर लिया।
मैक्सिको के अखबारों में ट्राटस्की, सोवियत संघ में स्टालिन के अत्याचारों व ज्यादतियों की जो ‘झूठी -सच्ची कहानियां’ लिखते थे। उससे मैक्सिको में भी ट्राटस्की का एक प्रशंसक वर्ग तैयार हो गया था। जैक्सन का मैक्सिको के उस किलानुमा घर में आना -जाना शुरू हो गया जिसमें पूरी सुरक्षा के साथ ट्राटस्की रहते थे। जैक्सन की रूचि भी लेख लिखने में थी। ट्राटस्की उससे अपने लेख के विषयों पर चिचार- विमर्ष करते थे। पर जैक्सन को एकांत में ट्राटस्की से मुलाकात का इंतजार था। ट्राटस्की ने 20 अगस्त 1940 को एक लेख पर विचार के लिए जैक्सन को एकांत में आमंत्रित किया।
उसी दिन का जैक्सन को इंतजार था। उस दिन वह रेन कोट पहन कर गया। संतरी ने पूछा तो उसने बताया कि आज बारिस की आशंका है। पर अपनी कुटिल योजना के तहत उसने अपने रेन कोट में कटार,रिवाल्वर और कुदाल छिपा रखी थी। ट्राटस्की का जब पूरा ध्यान लेख पढ़ने में था तो जैक्सन ने निगाह बचाकर अपनी कुदाल निकाली और पीछे जाकर जोर से कुदाल से उनके सिर पर वार कर दिया। इस वार से सिर पर तीन इंच गहरा घाव बन गया। ट्राटस्की बुरी तरह घायल होकर चिल्लाने लगे। 24 घंटे में ही ट्राटस्की के प्राण पखेरू उड़ गये।
मैक्सिको की अदालत में जैक्सन पर मुकदमा चला। पुलिस ने यह साबित कर दिया कि वह रूसियों का खुफिया एजेंट था और ट्राटस्की की हत्या करने के लिए ही जाली पासपोर्ट पर मैक्सिको भेजा गया था। उसे बीस साल की कैद की सजा हुई। सजा के दौरान उसने अपने अपराध और उसके पीछे के षड्यंत्र के बारे में किसी से कुछ भी नहीं कहा। सजा की अवधि पूरी करने के बाद जैक्सन सोवियत संघ चला गया।
इसी प्रकार 1972 में अरब आतंकवादियों ने म्यूनिख ओलम्पिक में 11 इजरायली खिलाड़ियों की हत्या कर दी थी। बाद के वर्षों में इजरायली खुफिया एजेंसी ‘मोसाद’ ने उन सारे षड्यंत्रकारी हमलावरों को खोज -खोज कर एक- एक कर मार डाला । वे इजरायल सरकार के डर से अलग -अलग देशों में जा छिपे थे।
मोसाद ने करीब 20 वर्षों में यह टास्क पूरा किया था। हत्यारों को मोसाद ने बारी-बारी से इटली, फ्रांस, ब्रिटेन ,लेबनान,एथेंस और साइप्रस में नाटकीय आपरेशन के जरिए मारा।
यदि इजरायल ने 234 अरब छापामारों को रिहा कर दिया होता तो सन् 1972 में 11 इजराइली ओलम्पिक खिलाड़ियों की जान बच जाती। पर, व्यापक देशहित में इजरायल ने उन आतंकवादियों के सामने झुकना मंजूर नहीं किया, जिन्होंने म्यूनिख ओलम्पिक के दौरान 11 इजराइली खिलाड़ियों को बंधक बना रखा था।
छापामारों को रिहा करने से इनकार कर देने पर 11 खिलाड़ियों को अरब आतंकवादियों ने मार डाला। उस दौरान जर्मन पुलिस की कार्रवाई में चार छापामार
भी मारे गये। तीन पकड़े गये। पर एक भागने में सफल हो गया।
हां, बाद के वर्षों में इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद ने उन सारे षड्यंत्रकारी हमलावरों को खोज -खोज कर एक- एक कर मार डाला जो 11 इजराइली खिलाड़ियों की हत्या में शामिल थे और तत्काल पकड़े जाने के बाद भी बाद में छोड़ दिए गए थे।
जब सोवियत संघ और इजरायल ने विदेशों में छिपे अपने दुश्मनों को मौत के घाट उतारा
