बिहार के लोगों को खेल के प्रति जागरुक करने के लिए नीतीश सरकार की ओर से बड़ा फैसला लिया गया है। इस कड़ी में नीतीश सरकार ने राज्य के 9 प्रमंडलों में खेल गांव बनाने का फैसला किया। वहीं राजधानी पटना में 100 एकड़ में राज्य का सबसे बड़ा खेल गांव बनेंगे। इन खेल गांवों में ओलंपिक स्तर की सुविधाएं दी जाएगी। सहरसा और पूर्णिया में जल्द ही निर्माण कार्य शुरु होगा।
दरभंगा में भी जमीन मिल गयी है। इसके हस्तांतरण की कार्रवाई चल रही है। मुजफ्फरपुर में इंजीनियरिंग कॉलेज की जमीन खेल गांव के लिए चिह्नित की गई है। भागलपुर में तिलका मांझी विश्वविद्यालय की जमीन चिह्नित की गई है। इन दोनों संस्थानों से भूमि हस्तांतरण को लेकर अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) लेने की प्रक्रिया चल रही है।
एनओसी मिलते ही, यहां खेल गांव निर्माण की कार्रवाई शुरू कर दी जाएगी। छपरा में जो जमीन चिह्नित की गई थी, वह उपयुक्त नहीं पाई गई है। अब वहां नए सिरे से जमीन की तलाश जिला प्रशासन कर रहा है। इसी तरह गया और मुंगेर में भी जमीन चिह्नित हो गई है और आगे की कार्रवाई चल रही है।
बता दें कि बिहार के सभी 9 प्रमंडलों में खेल गांव का निर्माण होना है। पटना में 100 एकड़ और अन्य जगहों पर उपलब्ध भूमि के अनुसार 15 से 20 एकड़ में खेल गांव बनेंगे। सबसे बड़ा खेल गांव पटना में 100 एकड़ में बनेगा। इसके लिए पुनपुन में निजी जमीन का अधिग्रहण किया जाएगा। जिला प्रशासन को इसके लिए अधियाचना भेजी जा रही है।
पहले चरण के लिए राशि भी स्वीकृत कर ली गई है। विभागीय पदाधिकार निर्माण विभाग प्रस्तुतिकरण से डिजाइन आदि की जानकारी देगा, जिस पर अनुमति प्राप्त करनेके बाद ही खेल गांव का निर्माण शुरू होगा। बिहार में खेल सुविधाओं का विकास तथा ओलंपिक स्तर के खिलाड़ी तैयार करने को लेकर व्यापक स्तर पर सरकार काम कर रही है। इसी क्रम में बिहार के हर प्रमंडल में खेल गांव विकसित किया जा रहा है।
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