रक्सौल, संवाददाता
रक्सौल के नहर चौक स्थित अम्बेडकर पुस्तकालय और डॉ. भीमराव अंबेडकर प्रतिमा स्थल प्रशासनिक उपेक्षा, सामाजिक उदासीनता से असामाजिक तत्वों का अड्डा बन गया है। अब यह अतिक्रमण का शिकार है। एक समय जन चेतना का केंद्र रहे इस स्थल पर 14 अप्रैल 1991 को तत्कालीन राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री रमई राम ने अंबेडकर पुस्तकालय और बाबा साहेब की प्रतिमा का अनावरण किया था। वर्ष 2014 में इंडो-नेपाल बॉर्डर रोड परियोजना के तहत अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई में तत्कालीन सीओ विशेश्वर प्रसाद ने अम्बेडकर पुस्तकालय को ध्वस्त करा दिया। इस कार्रवाई के पीछे कुछ स्थानीय जातिवादी नेताओं की भूमिका सामने आई। इसके बाद बाबा साहेब की प्रतिमा को भी हटाने की कोशिश हुई, जिससे वह क्षतिग्रस्त हो गई। इस कठिन परिस्थिति में रविंद्र कुमार और चंदकिशोर पाल के मुखर विरोध से प्रतिमा संरक्षित रह सकी और ‘अम्बेडकर ज्ञान मंच’ के माध्यम से इस स्थल पर फिर से सामाजिक-सांस्कृतिक गतिविधियां शुरू की गईं जिससे यह पुनः जनचेतना का केंद्र बन सका।
हालांकि पूर्व एसडीएम श्रीप्रकाश और डीएसपी राकेश कुमार के संयुक्त प्रयास से बाबा साहेब की प्रतिमा का मरम्मत एवं उन्नयन किया गया। तब से प्रतिमा वहीं स्थित है, लेकिन एक बार फिर यह स्थल संकट में है। बगल के दुकानदारों द्वारा प्रतिमा स्थल पर अतिक्रमण कर कब्जा किया जा रहा है। नगर परिषद एवं पीडब्ल्यूडी द्वारा लगाए गए ‘अंबेडकर चौक’ के साइन बोर्ड से असामाजिक तत्वों द्वारा छेड़छाड़ की गई और दो बोर्ड अब तक हटाए जा चुके हैं। इस संबंध में जब रक्सौल एसडीएम मनीष कुमार से जानकारी साझा की गई, तो उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि मैं त्वरित कार्रवाई करूंगा। प्रतिमा स्थल से सभी अतिक्रमणकारियों को हटाया जाएगा और आवश्यक कानूनी कार्रवाई की जाएगी। बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर हमारे देश की धरोहर हैं, और उनका यह स्थल भी धरोहर स्वरूप ही देखा जाना चाहिए। हम सबको उनके प्रति सम्मान रखना चाहिए।
रक्सौल का अम्बेडकर स्थल बना असामाजिक तत्वों का अड्डा प्रशासनिक उपेक्षा की मार झेल रहे जन आस्था के प्रतीक को न्याय का इंतजार
