लोकतंत्र को रौंद रहा है ट्रंप प्रशासन

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पुष्परंजन (वरिष्ठ पत्रकार )
आप ट्रंप के पूर्वजों के बारे में पता कीजिये। वो खांटी अमेरिकन्स नहीं हैं। फ्रेडरिक ट्रम्प, डोनाल्ड ट्रम्प के दादा थे। जर्मनी के राइनलैंड वाले इलाके के काल्स्टेड्ट में जन्मे और पले-बढ़े, जो उस समय बावेरिया का हिस्सा था। जर्मन हैं, तो फ्रेडरिक ट्रम्प को सैन्य सेवा में अनिवार्य रूप से कुछ वर्षों के लिए जाना होता। इससे भागना ही फ्रेडरिक ट्रम्प ने तय किया। फ्रेडरिक ट्रम्प किशोरावस्था में नाई का काम करते थे। 7 अक्तूबर, 1885 को अमेरिका के लिए वन वे टिकट लेकर जहाज पर चढ़े, और फिर मुड़ कर नहीं देखा। वह न्यूयॉर्क पहुंचे, जहां उन्होंने अंततः अपना परिवार बसाया और एक रियल एस्टेट व्यवसाय में कर्मचारी से कारोबारी बन गए। फ्रेडरिक ट्रम्प के बेटे और पोते ने इस जर्मन विरासत को पूरी तरह से नकार दिया, इसके बजाय दावा किया कि उनके दादा की जड़ें स्कैंडिनेविया में उत्तर की ओर थीं। ट्रम्प ने अपनी सह-लिखित पुस्तक ‘द आर्ट ऑफ़ द डील’ में दावा किया, ‘मैं एक बच्चे के रूप में स्वीडन से यहां आया था। पिता जर्मन, मां स्कॉटिश।’ इमिग्रैंट बैकग्राउंड वाले वही ट्रम्प, आप्रवासियों के पीछे हाथ धोकर पड़े हैं।
लॉस एंजेलिस में इमिग्रेशन छापों को लेकर हिंसक विरोध हुआ है। लोगों को काबू करने के वास्ते 2,100 नेशनल गार्ड को लॉस एंजेलिस में तैनात किया गया है। इसके अलावा 700 मरीन भेजे गए हैं। अब यहां नेशनल गार्ड की संख्या चार हजार हो गई है। इससे स्थानीय अधिकारियों और कैलिफोर्निया के गवर्नर गेविन न्यूसम की चिंता और बढ़ गई है। न्यूसम पहले ही कह चुके हैं कि ट्रंप इस आग को और भड़का रहे हैं, और वह यही चाहते थे। साफ लगता है, आर्थिक मोर्चे पर फेल ट्रम्प देश का ध्यान आव्रजन नीतियों में उलझाए रखना चाहते हैं। लॉस एंजेलिस में हालात बेकाबू हैं। ट्रम्प के बारे में यही कहा जा रहा है, कि उनका व्यवहार तानाशाहों वाला हो चुका है।
ट्रम्प के जीवनी लेखक टिम ओ ब्रायन ने कहा, ‘बदला वह ऑक्सीजन है, जो उन्हें बचाए रखती है।’ और उन्होंने अपने इर्द-गिर्द ऐसे छोटे-मोटे लोगों को रखा है जो उनकी खूब चापलूसी करते हैं। मसखरे जैसे दिखने वाले लोग कैबिनेट बैठकों में उनका शौर्य बखान करते हैं। फेडरल कम्युनिकेशंस कमीशन के चेयरमैन ब्रेंडन कैर ने तो अपने कॉलर पर सुनहरे रंग का ट्रंप का सिर भी लटका रखा है। ठीक वैसे ही जैसे माओवादी करते थे। अराजकता के सम्राट ट्रंप का जब टैरिफ युद्ध से ध्यान हटता है, वो आप्रवासियों को भगाने की मुहिम में लग जाते हैं।
अमेरिका को ग़ौर से देखें तो यह देश आबाद ही हुआ बाहर से आये लोगों से। राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी द्वारा लिखी गई एक पुस्तक का शीर्षक ही है, ‘ए नेशन ऑफ़ इमिग्रेंट्स’। जब उन्होंने यह किताब लिखी, तब वो सीनेटर थे। इस पुस्तक में औपनिवेशिक अमेरिका से लेकर अब तक के आप्रवासन का इतिहास, और अमेरिका में आप्रवासन कानून को उदार बनाने के प्रस्ताव शामिल हैं। 1965 से पहले, अमेरिकी आव्रजन कानून उत्तरी और पश्चिमी यूरोप के अाप्रवासियों के हित में था, इनकी कोशिश थी, कि एशिया से आप्रवास को प्रतिबंधित किये रखें। 1965 के आव्रजन और राष्ट्रीयता अधिनियम ने एशिया और लैटिन अमेरिका से आप्रवास के दरवाज़े खोल दिए। वर्ष 1990 के आव्रजन अधिनियम ने कानूनी आव्रजन को और भी शिथिल किया, जिससे बाक़ी देशों के अनिवासियों को कानूनी रूप से अमेरिका में प्रवेश करने की अनुमति मिल गई।
34.7 करोड़ की आबादी वाले अमेरिका में विदेश से आये लोगों की संख्या, 2023 में उपलब्ध रिकॉर्ड के अनुसार, चार करोड़ 78 लाख तक पहुंच गई, जो 2022 के मुक़ाबले, 16 लाख अधिक है। यह 2000 के बाद से 20 से अधिक वर्षों में सबसे बड़ी जनसंख्या वृद्धि है। वर्ष 1970 में, अमेरिका में रहने वाले आप्रवासियों की संख्या आज की तुलना में लगभग पांचवां हिस्सा थी। 1965 में कांग्रेस द्वारा अमेरिकी आव्रजन कानूनों में बदलाव किए जाने के बाद इस जनसंख्या की वृद्धि में तेज़ी आई। ठीक से देखा जाये, तो ओरिजिनल अमेरिकी केवल दस फीसद हैं। आज अमेरिका में अनिवासी 1910 के बाद से सबसे ज़्यादा हैं, लेकिन 1890 के 14.8 फीसद रिकॉर्ड से कम मानकर चलिए।
पीईडब्ल्यू रिसर्च सेंटर के आंकड़े बताते हैं, ‘अमेरिका में मेक्सिको से आये आप्रवासी सबसे अधिक हैं। 2022 में यू.एस. में रहने वाले लगभग एक करोड़ छह लाख अाप्रवासी वहीं पैदा हुए थे, जो टोटल यू.एस. आप्रवासियों का 23 प्रतिशत है। तीन साल पहले, अमेरिका में अनिवासियों का सबसे बड़ा समूह इंडो-अमेरिकन्स (6 प्रतिशत), चीनी (5 प्रतिशत), फिलीपीनी (4 प्रतिशत) और अल साल्वाडोर से आने वाले क्रमशः 3 फीसद बताये गए थे। लैटिन अमेरिका (27 प्रतिशत), जिसमें मेक्सिको शामिल नहीं है, लेकिन कैरिबियन (10 प्रतिशत), मध्य अमेरिका (9 प्रतिशत) और दक्षिण अमेरिका (9 प्रतिशत) शामिल हैं। यूरोप, कनाडा और अन्य उत्तरी अमेरिका 12 प्रतिशत, सब सहारा अफ्रीका के (5 प्रतिशत) और मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका (4 प्रतिशत) अनिवासी अमेरिका में बसते हैं।’
ट्रंप प्रशासन, जिसने जनवरी 2025 में अवैध प्रवासियों को देश से बाहर निकालने के नाम पर वोट बटोरे, उसने बार -बार कसम खाई है, कि अमेरिका को ‘अवैध प्रवासियों से मुक्त’ कर दिया जाएगा। ट्रम्प की प्रवासन विरोधी नीतियों का दुष्प्रभाव यूरोप में पड़ने लगा है। फिलहाल लॉस एंजिल्स में नेशनल गार्ड की संख्या चार हजार हो गई है। इससे स्थानीय अधिकारियों और कैलिफोर्निया के गवर्नर गेविन न्यूसम की चिंता और बढ़ गई है। वैसे, यह पहला मौका है जब नेशनल गार्ड को गवर्नर की सहमति के बिना किसी राज्य में भेजा गया है। गवर्नर न्यूसम ने इसे ‘सत्ता का बेशर्मी से दुरुपयोग’ कहा और ऑन द रिकार्ड कहा कि राष्ट्रपति ‘एक ज्वलनशील स्थिति’ को भड़का रहे हैं।
लॉस एंजिल्स (एलए) का ताज़ा अपडेट यह है, कि वहां कर्फ्यू लगाने के तुरंत बाद ‘बड़े पैमाने पर गिरफ्तारियां’ की गई हैं। लूटपाट अराजकता फैलाने के आरोप में 200 लोगों को मंगलवार से पहले ही हिरासत में लिया जा चुका है। एलए में अराजक माहौल का असर न्यूयॉर्क सहित अन्य शहरों पर भी पड़ा है। वहां भी ट्रम्प की नीतियों के विरोध में प्रदर्शन हुए हैं। गिरफ्तारियां भी हुई हैं। ट्रम्प ने 4,000 नेशनल गार्ड और 700 मरीन को भेजने के अपने फैसले का बचाव करते हुए कहा, कि यह कदम ‘एलए’ जैसे शहर को ‘किसी विदेशी दुश्मन द्वारा कब्जा किए जाने’ से बचाने के लिए था।
डेमोक्रेट जिन्हें कभी-कभी वामपंथी, उदारवादी या प्रगतिशील भी कहा जाता है, ट्रंप की आव्रजन विरोधी नीतियों का कैसे मुक़ाबला करते हैं? बड़ा सवाल है। ट्रम्प की रिपब्लिकन पार्टी का सिम्बल है ‘हाथी’। यह हाथी मतवाला होकर लोकतंत्र को रौंद रहा है।

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