भाकपा–माले राज्य सचिव कॉ. कुणाल ने तेलंगाना में 15 मजदूरों की मौत पर गहरा शोक व्यक्त किया है। मरने वालों में 2 बिहार के भी हैं जबकि 16 लोग घायल हैं। कहा कि यह घटना एक बार फिर साबित करती है कि मोदी–नीतीश सरकार प्रवासी मजदूरों के प्रति पूरी तरह असंवेदनशील हैं।
उन्होंने कहा कि चुनाव के समय भाजपा प्रवासी मजदूरों के बीच ‘बिहार दिवस’ जैसे आयोजनों पर करोड़ों रुपये पानी की तरह बहा देती है, लेकिन न तो उन्हें कोई ठोस अधिकार देती है, न ही उनकी सुरक्षा का कोई इंतज़ाम करती है। यह सरकार जानबूझकर बिहार को सस्ते श्रम का आपूर्तिकर्ता बना कर रख देना चाहती है।
राज्य सरकार द्वारा मृतक परिजनों के लिए 4 लाख रुपये और घायलों के लिए 50 हजार रु. मुआवज़ा की घोषणा ऊँट के मुँह में ज़ीरा है। हम मांग करते हैं कि सभी मृतक मजदूरों के परिजनों को कम से कम 10 लाख रुपये की सहायता दी जाए। सभी घायलों का सरकारी सहायता पर इलाज हो। यह दुखद घटना बिहार से लगातार हो रहे पलायन की भयावह सच्चाई को भी सामने लाती है, एक ऐसी सच्चाई जिससे सरकार मुँह मोड़े हुए है।
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