बिहार निर्वाचन आयोग की तरफ से पटना में वोटर वेरिफिकेशन ड्राइव अब जमीनी स्तर पर शुरू हो चुका है। पटना के अलग-अलग इलाके में बीएलओ घर-घर जाकर मतदाताओं से संपर्क कर रहे हैं। उनके साथ एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट भी निगरानी कर रहे हैं। मतदाताओं के घर जाकर बीएलओ फॉर्म बांट रहे हैं और उन्हें यह भी समझा रहे हैं कि उसे कैसे भरना है और कौन-कौन से दस्तावेज देने हैं?
इस फॉर्म में मतदाता को उनका नाम, पता, फोटो, EPIC नंबर, आधार नंबर, जन्म तिथि, मोबाइल नंबर, माता-पिता का नाम जैसी जानकारी देनी है। साथ ही मतदाता को हालिया फोटो लगाना अनिवार्य है। फॉर्म भरने के बाद इसे बीएलओ को वापस देना होगा।
एक जुलाई 1987 से पहले जन्मे लोगों को अपनी जन्म तिथि या जन्म स्थान की पुष्टि के लिए कोई एक वैध दस्तावेज देना होगा। इसके लिए पासपोर्ट, जन्म प्रमाण पत्र, सरकारी पहचान पत्र, बैंक/LIC/पोस्ट ऑफिस से जारी दस्तावेज, शैक्षणिक प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र, निवास प्रमाण पत्र जैसे दस्तावेज मान्य होंगे। वहीं एक जुलाई 1987 से 2 दिसंबर 2004 के बीच जन्मे मतदाताओं को अपने दस्तावेजों के साथ माता-पिता में से किसी एक का वैध दस्तावेज भी देना अनिवार्य होगा।
वहीं इस अभियान को लेकर विपक्ष लगातार सवाल उठा रही है। विपक्ष का आरोप है कि चुनावी साल में अभियान बीजेपी के इशारे पर चलाया जा रहा है और इससे गरीब, दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यक समुदायों के नाम वोटर लिस्ट से हटाए जा सकते हैं। हालांकि, वोटरों में भी इसको लेकर काफी गहमागहमी मची हुई है। मतदाता परेशान हैं कि उनकों क्या करना है और क्या नहीं करना है?
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