संतोष कुमार पाठक (वरिष्ठ पत्रकार)
बिहार में राजद नेता तेजस्वी यादव से लेकर विपक्षी गठबंधन में शामिल तमाम राजनीतिक दल राज्य की कानून व्यवस्था की स्थिति को लेकर नीतीश कुमार की सरकार पर जमकर निशाना साध रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ बिहार की जनता को लालू यादव-राबड़ी देवी के जंगलराज की लगातार याद दिला रहे जेडीयू और भाजपा के नेता सरकार के पक्ष में तर्क दे रहे हैं। लेकिन एनडीए गठबंधन में शामिल और केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार में मंत्री चिराग पासवान के बयान ने एनडीए गठबंधन में खासकर जेडीयू नेताओं में खलबली मचा दी है। लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के मुखिया चिराग पासवान ने पटना के पॉश इलाके में एक बड़े कारोबारी गोपाल खेमका की हत्या को लेकर अपनी ही गठबंधन सरकार पर जमकर निशाना साधा है। चिराग पासवान ने बहुत ही तल्ख अंदाज में इस हत्या को चिंताजनक बताते हुए कहा कि यह हत्याकांड इस बात का संकेत है कि बिहार में कानून-व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो चुकी है। चिराग की पार्टी ने उनके बयान के वीडियो को सोशल मीडिया पर शेयर भी किया।
चिराग ने नीतीश सरकार पर सीधा-सीधा हमला बोलते हुए कहा, जिस तरह से बिहार में अपराध बढ़ा है और कानून-व्यवस्था जिस तरह से ध्वस्त हुई है, यह चिंता का विषय है। मैं केवल एक व्यापारी की हत्या को लेकर नहीं कह रहा हूं हालांकि यह भी चिंता का विषय है क्योंकि ऐसी जगह पर यह घटना घटी है जो पटना का एक पॉश इलाका है। 100 मीटर की दूरी पर जहां थाना है और अधिकारियों के घर हैं। यदि यहां पर ऐसी घटना घट रही है तो सोचिए गांव-देहात में क्या हो रहा होगा? अगर बिहार में एक भी हत्या होती है तो सरकार और प्रशासन के लिए चिंता का विषय होना चाहिए। कहां चूक हुई है, इसे हमें सुधारना होगा और कड़ी से कड़ी कार्रवाई करके हमें एक उदाहरण देना होगा ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं ना घटे। चिराग पासवान का यह बयान विपक्षी नेताओं के बयानों को और ज्यादा मजबूती देता हुआ नजर आता है कि लालू-राबड़ी के जंगलराज की बात करने वाले नीतीश कुमार बिहार की कानून व्यवस्था को नहीं संभाल पा रहे हैं,अपराधी बेखौफ हो चुके हैं और सुशासन पूरी तरह से ध्वस्त हो चुका है।
ऐसे में सबसे बड़ा सवाल तो यही खड़ा हो रहा है कि आखिर चिराग पासवान के बयान के मायने क्या है ? वह चाहते क्या हैं ? यह कोई पहला मौका नहीं है जब चिराग पासवान ने अपने बयान से नीतीश सरकार के लिए असहज स्थिति पैदा की हो। इससे पहले भी वो लगातार कई मौकों पर बिहार की कानून व्यवस्था को ध्वस्त बता चुके हैं। बिहार में इसी वर्ष अक्टूबर-नवंबर में होने वाले संभावित विधानसभा चुनाव को लेकर भी चिराग पासवान ने एनडीए गठबंधन के सामने दुविधा की स्थिति पैदा कर रखी है। एक तरफ वह केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आधिकारिक आवास पर सीट बंटवारे को लेकर हुई बैठक में शामिल होते हैं, लगातार एनडीए गठबंधन को चुनाव में विजयी बनाने की बात करते हैं, बिहार में मुख्यमंत्री की कुर्सी खाली नहीं होने की बात कहते हैं तो वहीं दूसरी तरफ बिहार की सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा करते हैं।
चिराग पासवान के विरोधाभासी बयानों ने बिहार की राजनीति को उलझा दिया है। जरा उनके और उनके बहनोई एवं लोकसभा सांसद अरुण भारती के कुछ बयानों पर नजर डालिए। एक तरफ जहां चिराग कह रहे हैं कि बिहार में मुख्यमंत्री की कुर्सी खाली नहीं है तो दूसरी तरफ वह खुद विधानसभा चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुके हैं। इतना ही नहीं वह बिहार को विकसित बिहार बनाने के लिए बिहार जाने की बात कर रहे हैं। छपरा में एक बार फिर उन्होंने विधानसभा चुनाव लड़ने की बात को दोहराते हुए कहा कि, आज सारण की इस पावन धरती से, आप सबके सामने मैं यह कहकर जा रहा हूं कि हां, मैं चुनाव लड़ूंगा। मैं चुनाव लड़ूंगा बिहारियों के लिए, अपने भाइयों के लिए, अपनी माताओं के लिए, अपनी बहनों के लिए और बिहार में एक ऐसी व्यवस्था तैयार करेंगे, एक ऐसा बिहार बनाएंगे जो सही मायनों में प्रदेश को विकास की राह पर आगे ले जाएगा।
इससे पहले उनके बहनोई अरुण भारती वीडियो जारी कर चिराग पासवान के शाहाबाद क्षेत्र से चुनाव लड़ने का संकेत दे चुके हैं। अरुण भारती को चिराग पासवान ने पार्टी का चीफ व्हिप भी बनाया हुआ है। वह लगातार बयान दे रहे हैं कि बिहार चिराग पासवान को बुला रहा है। ऐसे में सवाल यह खड़ा हो रहा है कि अगर बिहार एनडीए गठबंधन में शामिल चिराग पासवान को बुला रहा है तो फिर नीतीश कुमार कहां जाएंगे ? और अगर बिहार में मुख्यमंत्री की कुर्सी खाली नहीं है तो क्या वह केंद्र की मोदी सरकार में मंत्री का पद और सांसदी सिर्फ एक विधायक बनने के लिए छोड़ेंगे ? उनकी पार्टी को एनडीए गठबंधन में किसी भी सूरत में 30 से ज्यादा सीटें नहीं मिलने वाली है, यह जानने के बावजूद एक तरफ जहां चिराग पासवान बिहार की सभी 243 सीटों पर लड़ने का दावा कर रहे हैं तो साथ ही एनडीए गठबंधन को जीत दिलाने की भी बात कह रहे हैं।
साफ जाहिर हो रहा है कि चिराग पासवान बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर या तो स्वयं कंफ्यूज हैं या फिर अंतिम समय तक बीजेपी और जेडीयू को दुविधा में रखना चाहते हैं। क्योंकि अगर गठबंधन में सिर्फ ज्यादा से ज्यादा सीटें हासिल करने के लिए वह इस तरह का विरोधाभासी बयान दे रहे हैं तो फिर लॉन्ग टर्म में इसका खामियाजा उन्हें ही उठाना पड़ सकता है। लेकिन चिराग ने अपने बयानों से बिहार में ऐसे हालात जरूर पैदा कर दिए हैं कि उनके सहयोगी उन्हें शंका और विरोधी उम्मीद की नजरों से देख रहे हैं।
बिहार की बिगड़ती कानून व्यवस्था और चिराग पासवान की तल्खी
