बिहार में बदलाव का होने जा रहा चुनाव- दीपंकर भट्टाचार्य

By Aslam Abbas 104 Views Add a Comment
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भाकपा-माले महासचिव का. दींपकर भट्टाचार्य ने कहा है कि आने वाला विधानसभा चुनाव बिहार में बदलाव का चुनाव है। 17 अगस्त को सासाराम में जब यात्रा की शुरुआत हुई, तब हमने कहा था कि यह सिर्फ एक यात्रा नहीं, बल्कि एक बड़े जनांदोलन की शुरुआत है. आज इस आंदोलन की गूंज और इसका नारा – वोट चोर, गद्दी छोड़ – बिहार में ही नहीं, देशभर में सुनाई देने लगी है. यही इसकी सबसे बड़ी सफलता है।

जब एसआईआर की प्रक्रिया शुरू हुई, तब कुछ लोगों ने यह सोचा कि बहुत आसानी से लगभग 20 प्रतिशत प्रवासी बिहारियों को ‘बाहरी’ बताकर उनके नाम मतदाता सूची से हटा दिया जाएगा. जिंदा लोगों को मृत घोषित कर दिया गया, महिलाओं के नाम तक काट दिए गए. लेकिन जनता की एकजुटता के सामने यह साजिश पूरी तरह नाकाम हुई.

9 जुलाई को पटना में इस वोट चोरी के खिलाफ ऐतिहासिक प्रदर्शन हुआ. श्री राहुल गांधी जी द्वारा महादेवन सीट पर वोट चोरी के जो तथ्य सामने लाए गए, उसने इस मुद्दे को एक राष्ट्रीय जनांदोलन का रूप दे दिया. आज यह लड़ाई केवल एक सीट या एक राज्य की नहीं है – यह लोकतंत्र को बचाने की लड़ाई बन गई है. हरियाणा, महाराष्ट्र में भाजपा ने वोट चोरी कर ली, लेकिन बिहार में इसे हम होने नहीं देंगे।

बिहार में पिछले 20 वर्षों से नीतीश कुमार की सरकार है. बात विकास और सुशासन की की जाती है, लेकिन हकीकत में चरम भ्रष्टाचार और अपराधियों का राज है. जनविरोधी योजनाएं लागू की जा रही हैं। बागमती क्षेत्र में तटबंध निर्माण के खिलाफ लंबे समय से स्थानीय जनता संघर्षरत है. आश्चर्य की बात है कि जहाँ इंद्रपुरी जलाशय का निर्माण जरूरी होते हुए भी नहीं किया जा रहा, वहीं जनता की मर्जी के खिलाफ, लूट के लिए बागमती पर तटबंध निर्माण कराया जा रहा है।

आने वाला चुनाव बिहार में बदलाव का चुनाव होगा. बिहार में अब सीधे नरेन्द्र मोदी शासन चला रहे हैं, नीतीश कुमार मुखौटा भर रह गए हैं. इस सरकार को बदलना जरूरी है। वोटर अधिकार यात्रा के साथ बिहार की जनता की उम्मीदें जुड़ चुकी हैं. बदलाव का यह संकल्प लगातार फैल रहा है।

यह विडंबना है कि जब-जब आरक्षण की बात आई – चाहे वह कर्पूरी ठाकुर जी के समय की बात हो या 90 के दशक में मंडल कमीशन के लागू होने का समय – उस दौर में जो लोग आरक्षण के खिलाफ उन्माद फैला रहे थे, आज वही लोग सत्ता में बैठकर ओबीसी का नाम लेकर सामाजिक न्याय के आंदोलन को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं. इसलिए, आज सबसे ज्यादा जरूरत है सजग और एकजुट रहने की है. हम सामाजिक न्याय और लोकतंत्र की इस लड़ाई को हर हाल में अंजाम तक पहुँचाएंगे।

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