रैली में इंटरव्यू

5 Min Read


अनिल विभाकरएक बहुचर्चित यात्रा में झंडा थामे आदमी से
रिपोर्टर ने पूछा –
यह किसका झंडा है ?
आदमी ने कहा – हम पढ़ल- लिखल नहीं हैं
हमें नहीं मालूम किसका है?

रिपोर्टर – इस झंडे में यह जो फोटो है इसे पहचानते हो ?
आदमी : पता नहीं कौन है , हम नहीं पहचानते ।

रिपोर्टर : जब यह नहीं पता कि यह किसका झंडा है
तो हाथ में क्यों लिये हुए हो ?

आदमी : मुखिया जी दिये हैं।
बोले हैं इसे लेकर सड़क पर घूमो
बोले हैं पांच सौ रुपया मिलेगा ।

रिपोर्टर : चुनाव में भोट देते हो ?
आदमी : हां देते हैं। कै चुनाव में दिये हैं
रिपोर्टर : तुम्हारा भी नाम वोटरलिस्ट से कटा है क्या ?
आदमी : नहीं, नाम कैसे कट जायेगा ?
रिपोर्टर : दिल्ली के विरोधी दल के एक बड़े नेता बोल रहे हैं वोटरलिस्ट से लाखों लोगों के नाम काट दिये गये हैं।
आदमी : हमारा नाम तो नहीं कटा है।
मेरे गांव के भी किसी आदमी का नाम नहीं कटा है।

रिपोर्टर : जिस नेता जी का इस झंडे में फोटो है वे कह रहे हैं देश में वोट चोरी हो रहा है।
आदमी : सब झूठ है। भोट कैसे चोरी हो जायेगा?
भोट तो पहले चोरी होता था।
पहले तो भोटे नै देवे देता था।
बूथ पर जाने ही नै देता था।
बम- बंदूक चलता था।
डर के मारे बूथ पर हम लोग जाते ही नहीं थे।
और सबका भोट बिना गये पड़ जाता था।

रिपोर्टर : पता है यह यात्रा जिसमें झंडा लेकर चल रहे हो
वोट चोरी के विरोध में निकली है ?
आदमी : हमरा ई सब नै मालूम हो।

रिपोर्टर ने यात्रा में शामिल एक अन्य आदमी से पूछा :-
इस देश के विपक्षी दल के नेता का नाम पता है?
आदमी : हमें नहीं मालूम।
रिपोर्टर : यह किसकी यात्रा है जिसमें तुम आये हो ?
आदमी : हमें नहीं पता।
वार्ड कमिश्नर ने कहा इसलिए आये हैं।
कहा गया है ई झंडा लेके घूमना है सड़क पर।

रिपोर्टर : नेता जी कह रहे हैं देश में वोट की चोरी हो रही है।
आदमी : पता नहीं, हमारा भोट तो चोरी नहीं हुआ।
मेरे गांव में किसी का भी भोट चोरी नहीं हुआ है।

रिपोर्टर : तो नेता जी झूठ बोल रहे हैं क्या ?
आदमी : और क्या, झूठे तो बोल रहे हैं , एकदम झूठ बात है।

रिपोर्टर ने भीड़ में एक तीसरे आदमी से पूछा –
यह किसकी यात्रा है और किसलिए निकली है?
आदमी : मुझे नहीं मालूम।
रिपोर्टर : तो इसमें क्यों आये हो?
आदमी : देखने आये हैं कि कौन आ रहा है।
रिपोर्टर : चुनाव में वोट देते हो?
आदमी : हां पिछली बार दिया है।
रिपोर्टर : वोट सही में चोरी हो जाता है क्या ? तुम्हारा भी चोरी हुआ है क्या?
आदमी : भोट चोरी कैसे हो जायेगा साहब ?
भोट तो पहले लूटा जाता था। बदमाश सब भोटे नहीं देने देता था।
रिपोर्टर : तो वोट चोरी होने का आरोप झूठ है क्या ?
आदमी : हां यह सरासर झूठ है। अफवाह है।
रिपोर्टर : जिसे तुम देखने आये हो उसे देखा ?
आदमी : नहीं देखा। पता नहीं आये भी कि नहीं।
कौन कार में बैठे थे नेताजी पता ही नहीं चला।

रिपोर्टर : देश का प्रधानमंत्री कौन है? नाम जानते हो?
आदमी : प्रधानमंत्री का नाम कैसे नहीं जानेंगे। नाम बताएं क्या ? उनका नाम बच्चा- बच्चा जानता है साहब।
ऐसा प्रधानमंत्री देश में आज तक न हुआ, न होगा।
ई प्रधानमंत्री जब से बने हैं गरीबों की जिंदगी सुधर गई।

रिपोर्टर : विपक्षी दल इन्हें हटाना चाहते हैं।
आदमी : अरे छोड़िये ई सब बात।
बिल्ली के भाग्य से छींका टूटने से रहा।
सपने देखते रह जायेंगे सब।

रिपोर्टर : अब मुझे कुछ नहीं पूछना।
जनता ने जो कहा , सबके सामने है।

( संदर्भ : बिहार में वोटर अधिकार यात्रा)

Share This Article