बिहार की राजधानी पटना में एक बार फिर कांग्रेस नेताओं का गुस्सा सड़कों पर फूट पड़ा। बिहार युवा कांग्रेस ने प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय, सदाकत आश्रम से मुख्यमंत्री आवास तक घेराव प्रदर्शन निकाला। बारिश और उमस के बावजूद युवा कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने अपनी हिम्मत नहीं हारी और सड़क पर उतरकर सीधा विरोध किया।
राजापुर पुल के पास पुलिस ने बैरिकेडिंग लगाकर प्रदर्शन को रोकने की कोशिश की, लेकिन कार्यकर्ताओं ने बैरिकेडिंग तोड़कर नारेबाजी शुरू कर दी। पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प और संघर्ष देखने को मिला। कई कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया गया, वहीं यूथ कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष उदय भानु चिब को पकड़कर गाड़ी तक ले जाया गया।
युवा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गरीब दास ने भी इस आंदोलन में नेतृत्व किया। प्रदर्शन का मुख्य मुद्दा किसानों की जमीन जबरदस्ती और धमकाकर लेने को लेकर था। पवन खेड़ा ने 15 सितंबर को दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस में आरोप लगाया था कि बिहार में वोट चोरी की व्यवस्था है और यदि वोट चोरी से काम नहीं चलता तो बड़े कारोबारियों को सौंप दिया जा रहा है।

इस प्रदर्शन में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने सड़कों पर धरना देकर अपनी नाराज़गी जताई। पुलिस ने तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज किया, लेकिन कार्यकर्ता पीछे हटने के बजाय और अधिक हिम्मत के साथ आगे बढ़ते रहे। इस दौरान उनके नारों ने पूरे पटना की सड़कों पर राजनीतिक तीव्रता और गुस्से का माहौल बना दिया।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह प्रदर्शन आगामी बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले कांग्रेस की राजनीतिक सक्रियता को दिखाता है। बिहार में चुनाव से पहले कांग्रेस हर मुद्दे पर प्रदेश और केंद्र सरकार को घेर रही है। राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा को प्रदेश में अच्छा समर्थन मिला है, और यह युवा कांग्रेस के प्रदर्शन के साथ मिलकर पार्टी की सशक्त राजनीतिक छवि तैयार कर रहा है।
यूथ कांग्रेस ने भागलपुर में अडाणी को बिजली घर देने के विरोध के अलावा किसानों के मुद्दे को भी प्रमुखता दी। यह आंदोलन यह संदेश देता है कि कांग्रेस युवाओं के माध्यम से जनता के मुद्दों पर लगातार दबाव बनाने का प्रयास कर रही है।