बिहार की धरती पर पहली CWC बैठक: कांग्रेस ने बदली रणनीति, NDA का पलटवार

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Highlights
  • • पटना में आजादी के बाद पहली बार कांग्रेस कार्यसमिति (CWC) की बैठक • मल्लिकार्जुन खरगे, मीरा कुमार समेत कई बड़े नेता मौजूद • सोनिया और प्रियंका गांधी बैठक में अनुपस्थित, राहुल गांधी देर से पहुंचेंगे • बैठक में ‘तेलंगाना मॉडल’ पर चर्चा, जिसे सफलता की कुंजी माना जा रहा है • पवन खेड़ा बोले—“लोकतंत्र बचाने की लड़ाई में कांग्रेस नई रणनीति बना रही” • महागठबंधन करेगा अतिपिछड़ा समुदाय के लिए बड़ा ऐलान • एनडीए ने बैठक को चुनावी राजनीति करार दिया • राजद बोली—“बैठक से पूरे इंडिया गठबंधन को मिलेगा फायदा”

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले सूबे की राजनीति गर्म हो गई है। राजधानी पटना में आजादी के बाद पहली बार कांग्रेस कार्यसमिति (CWC) की बैठक आयोजित हो रही है। इस ऐतिहासिक बैठक को सिर्फ कांग्रेस ही नहीं, बल्कि पूरे ‘इंडिया गठबंधन’ के लिए अहम माना जा रहा है।

 पटना में पहली बार CWC बैठक

कांग्रेस ने अपनी कार्यसमिति की बैठक के लिए इस बार बिहार की धरती को चुना है। सुबह 10 बजे से शुरू हुई इस बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, महासचिव दीपा दास मुंशी, सैयद नासिर हुसैन और पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार समेत कई बड़े नेता शामिल हुए। बिहार कांग्रेस अध्यक्ष राजेश कुमार ने साफ किया कि यह बैठक चुनावी मकसद से नहीं, बल्कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर रणनीति तय करने के लिए है।

बैठक के एजेंडे में ‘वोट चोरी’अमेरिका के डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन द्वारा लगाए गए टैरिफ, राज्य और राष्ट्रीय राजनीति से जुड़े अहम मुद्दे शामिल रहे।

 CWC बैठक से अनुपस्थित बड़े चेहरे

बैठक से सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा अनुपस्थित रहीं। वहीं, राहुल गांधी भी तय समय पर नहीं पहुंच पाए और अब वे सर्विस फ्लाइट से पटना पहुंचेंगे। राजनीतिक जानकार मानते हैं कि उनकी देरी भी कांग्रेस की अंदरूनी रणनीति का हिस्सा हो सकती है।

 पवन खेड़ा का बड़ा बयान

कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा—“यह बैठक लोकतंत्र बचाने की लड़ाई में बेहद अहम है। कांग्रेस अपनी नई रणनीति तैयार कर रही है ताकि जनता के बीच अपनी जमीन फिर से मजबूत कर सके।” उन्होंने तेजस्वी यादव को सीएम फेस बनाए जाने के सवाल पर कहा—“सूरज को बताने की जरूरत नहीं कि वह रोज किधर से निकलेगा।” उनके इस बयान को कांग्रेस की रणनीतिक चुप्पी और राजनीतिक संदेश दोनों माना जा रहा है।

 तेलंगाना मॉडल पर चर्चा

बैठक की खास बात यह रही कि इसमें “तेलंगाना मॉडल” पर भी चर्चा हुई। तेलंगाना में कांग्रेस ने वर्किंग कमेटी की बैठक के बाद जोरदार प्रदर्शन किया और सत्ता में वापसी की थी। अब बिहार में भी कांग्रेस उसी फार्मूले को दोहराने की कोशिश कर रही है। साफ है कि पार्टी बिहार की राजनीति में अब हाशिए पर नहीं, बल्कि केंद्र में आने की तैयारी कर रही है।

 महागठबंधन का अतिपिछड़ा दांव

इसी बीच महागठबंधन आज अतिपिछड़ा समुदाय के लिए बड़ी घोषणा करने जा रहा है। इसमें आरक्षण की सीमा बढ़ाने और चुनाव में ज्यादा भागीदारी देने जैसे अहम बिंदु शामिल हो सकते हैं। इससे साफ है कि विपक्ष जातीय समीकरणों को साधने पर फोकस कर रहा है।

 एनडीए का पलटवार

एनडीए नेताओं ने कांग्रेस की इस बैठक को सिर्फ चुनावी नाटक बताया। भाजपा नेता शाहनवाज हुसैन ने तंज कसा—“दिल्ली में बैठकें करके कांग्रेस शून्य पर सिमट गई थी, बिहार में भी उसका यही हाल होगा।”

वहीं, जद(यू) के नेता नीरज कुमार ने कहा कि कांग्रेस स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का अपमान कर रही है। चिराग पासवान ने भी इसे “दबाव की राजनीति” करार दिया।

 राजद का पलड़ा

राजद नेता सुधाकर सिंह ने कहा कि पटना में सीडब्ल्यूसी बैठक सकारात्मक संदेश देगी। इसका फायदा सिर्फ कांग्रेस ही नहीं बल्कि पूरे ‘इंडिया गठबंधन’ को मिलेगा।

बिहार में कांग्रेस की यह बैठक महज संगठनात्मक चर्चा नहीं, बल्कि राजनीतिक शक्ति प्रदर्शन भी है। तेलंगाना मॉडल से लेकर लोकतंत्र बचाने की रणनीति तक—कांग्रेस पटना से एक बड़ा संदेश देना चाहती है। अब देखना होगा कि यह बैठक कांग्रेस को बिहार की सियासत में कितना मजबूत कर पाती है।

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