बिहार की राजनीति में एक बार फिर सियासी भूचाल आया है। जनसुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी पर गंभीर आरोप लगाते हुए उनकी तत्काल गिरफ्तारी की मांग की है। प्रशांत किशोर का दावा है कि सम्राट चौधरी 1995 में तारापुर की घटना में छह लोगों की हत्या के अभियुक्त रहे हैं और उस समय उनके खिलाफ मामला दर्ज हुआ था।
पीके ने बताया कि उस समय अदालत में सम्राट चौधरी ने दस्तावेज पेश कर खुद को नाबालिग बताया था। 24 अप्रैल 1995 को उन्होंने कोर्ट में हलफनामा देकर अपनी जन्मतिथि 1 मई 1981 दर्ज कराई, जिसके आधार पर उन्हें राहत मिल गई क्योंकि अदालत ने उन्हें नाबालिग माना। उस समय उन्होंने अपना नाम भी सम्राट चंद्र मौर्य बताया।
प्रशांत किशोर ने सवाल उठाया कि सम्राट चौधरी ने 2020 के चुनावी हलफनामे में अपनी आयु 51 वर्ष बताई। इसका मतलब है कि 1995 में उनकी उम्र लगभग 26 साल थी। पीके का दावा है कि ऐसे में सम्राट चौधरी ने कोर्ट में गलत दस्तावेज पेश कर न्यायालय को गुमराह किया। उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राज्यपाल से अपील की कि ऐसे व्यक्ति को उपमुख्यमंत्री पद पर बनाए रखना न केवल संविधान के खिलाफ है बल्कि जनता के साथ भी धोखा है।
प्रशांत किशोर ने चेतावनी दी कि यदि सरकार इस मामले में उचित कार्रवाई नहीं करती है तो वे कोर्ट का दरवाजा खटखटाएँगे। उन्होंने यह भी कहा कि वे राज्यपाल से मिलकर न केवल सम्राट चौधरी की बर्खास्तगी, बल्कि गिरफ्तारी की मांग करेंगे।
इस मामले ने बिहार की राजनीति में नया मोड़ ला दिया है। पीके ने आगे कहा कि सम्राट चौधरी का नाम सिर्फ तारापुर हत्याकांड तक सीमित नहीं है। उनका नाम शिल्पी गौतम हत्याकांड में भी सामने आया था। इस मामले की जांच CBI द्वारा की गई और उस दौरान सम्राट चौधरी से पूछताछ भी की गई थी।
प्रशांत किशोर ने यह स्पष्ट किया कि ऐसे व्यक्ति को उपमुख्यमंत्री बनाना बिहार की राजनीति और संविधान दोनों का अपमान है। उनका सवाल है कि जब किसी नेता पर इतने गंभीर आपराधिक मामले और जांच का इतिहास हो, तो उन्हें सत्ता में बने रहने का कौन सा नैतिक और संवैधानिक अधिकार प्राप्त होता है।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह विवाद आने वाले समय में विधानसभा चुनाव और राज्य की राजनीति पर गहरा प्रभाव डाल सकता है। बिहार के राजनीतिक परिदृश्य में यह मामला सीट-बदलाव, गठबंधन और विपक्ष की रणनीतियों को प्रभावित कर सकता है।
इस खबर ने जनता और मीडिया में भी हलचल मचा दी है। प्रशांत किशोर की सख्त प्रतिक्रिया और सरकार पर दबाव बनाने की रणनीति यह दर्शाती है कि राज्य की राजनीति में कानून, नैतिकता और सत्ताधिकार को लेकर बहस तेज होने वाली है।
अभी यह देखना दिलचस्प होगा कि राज्य सरकार इस मामले में क्या कार्रवाई करती है और सम्राट चौधरी इस विवाद से कैसे निपटते हैं। बिहार की जनता और राजनीतिक समीक्षक इस मुद्दे पर नज़र बनाए हुए हैं, क्योंकि यह केवल एक व्यक्तिगत विवाद नहीं बल्कि राजनीतिक और संवैधानिक सवाल भी खड़ा करता है।