दुर्गा नवमी 2025: मां सिद्धिदात्री की पूजा, शुभ मुहूर्त, हवन और कन्या पूजन का महत्व 

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Highlights
  • • दुर्गा नवमी 2025 की तिथि: 1 अक्टूबर, बुधवार • नवमी तिथि आरंभ: 30 सितंबर शाम 6:06 बजे से • नवमी तिथि समापन: 1 अक्टूबर शाम 7:01 बजे तक • मां सिद्धिदात्री की पूजा से मिलती हैं सभी सिद्धियां • नवमी हवन और कन्या पूजन का विशेष महत्व • पूजा का शुभ मुहूर्त: सुबह 6:14 से शाम 6:07 तक • कन्या पूजन के बाद किया जाता है नवरात्रि व्रत का पारण • दुर्गा नवमी अच्छाई पर बुराई की विजय और शक्ति की पूर्णता का प्रतीक है

शारदीय नवरात्रि का नवां दिन यानि दुर्गा नवमी भक्तों के लिए सबसे महत्वपूर्ण और शुभ तिथियों में से एक माना जाता है। इस वर्ष 2025 में दुर्गा नवमी 1 अक्टूबर, बुधवार को पड़ रही है। यह दिन मां दुर्गा के नवम स्वरूप मां सिद्धिदात्री की उपासना के लिए समर्पित है। शास्त्रों में कहा गया है कि मां सिद्धिदात्री की पूजा से सभी प्रकार की सिद्धियां प्राप्त होती हैं और जीवन से दुखों का अंत होता है।

दुर्गा नवमी 2025 तिथि और समय

नवमी तिथि आरंभ: 30 सितंबर 2025, मंगलवार शाम 6:06 बजे से।

नवमी तिथि समापन: 1 अक्टूबर 2025, बुधवार शाम 7:01 बजे तक।

व्रत पारण: 2 अक्टूबर 2025, बृहस्पतिवार को।

इस दिन भक्त नवमी हवन और कन्या पूजन करते हैं और नवरात्रि के व्रत का पारण करते हैं।

पूजा के विशेष मुहूर्त

हवन मुहूर्त: सुबह 6:14 बजे से शाम 6:07 बजे तक (कुल अवधि – 11 घंटे 53 मिनट)

ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 4:37 से 5:26 बजे तक

प्रातः सन्ध्या: सुबह 5:01 से 6:14 बजे तक

विजय मुहूर्त: दोपहर 2:09 से 2:57 बजे तक

गोधूलि मुहूर्त: शाम 6:07 से 6:31 बजे तक

सायाह्न सन्ध्या: शाम 6:07 से 7:20 बजे तक

निशिता मुहूर्त: रात 11:46 से 12:35 बजे तक (2 अक्टूबर)

इन मुहूर्तों में पूजा करने से मां सिद्धिदात्री की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

दुर्गा नवमी पूजा विधि और महत्व

1. मां सिद्धिदात्री की पूजा –

• इस दिन मां सिद्धिदात्री की प्रतिमा या चित्र को गंगाजल से शुद्ध कर पुष्प, अक्षत, चंदन और नैवेद्य अर्पित किए जाते हैं।

• मां से सभी दुखों को दूर करने और जीवन में सुख-समृद्धि की प्रार्थना की जाती है।

2. हवन का महत्व –

• नवरात्रि की पूर्णाहुति हवन से होती है।

• इसमें देवी-देवताओं, नवग्रहों और मां दुर्गा के लिए विशेष आहुतियां दी जाती हैं।

• यह हवन घर में सकारात्मक ऊर्जा और पवित्रता का संचार करता है।

3. कन्या पूजन –

• नवमी के दिन 2 से 10 वर्ष की 9 कन्याओं और एक बालक (भैरव स्वरूप) को आमंत्रित किया जाता है।

• उनके चरण धोकर आसन पर बैठाया जाता है और उन्हें रोली, कुमकुम व पुष्प अर्पित किए जाते हैं।

• उन्हें हलवा, पूरी और काले चने का भोग लगाया जाता है।

• अंत में दक्षिणा या उपहार देकर उनके आशीर्वाद लिए जाते हैं।

4. व्रत पारण –

• कन्या पूजन के बाद भक्त अपने नवरात्रि व्रत का पारण करते हैं और उपवास समाप्त करते हैं।

दुर्गा नवमी का महत्व

• यह दिन बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है।

• मां सिद्धिदात्री को “सिद्धियों की दात्री” कहा जाता है। उनकी पूजा से आध्यात्मिक शक्ति, समृद्धि और आत्मबल की प्राप्ति होती है।

• नवमी पर हवन और कन्या पूजन करने से परिवार पर देवी का विशेष आशीर्वाद बना रहता है।

• माना जाता है कि इस दिन पूजा करने से सभी कष्ट समाप्त होते हैं और जीवन में सकारात्मकता आती है।

वर्ष 2025 की दुर्गा नवमी केवल एक धार्मिक अनुष्ठान भर नहीं, बल्कि आत्मशुद्धि और दिव्यता प्राप्त करने का अवसर है। यह दिन हमें यह संदेश देता है कि भक्ति, श्रद्धा और विश्वास से ही सभी सिद्धियां संभव हैं।

मां सिद्धिदात्री की कृपा से आपके जीवन में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहे। 

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