बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के मद्देनज़र मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 3 अक्टूबर को दोपहर 3:30 बजे कैबिनेट की बैठक बुलाई है। यह बैठक राजनीतिक दृष्टि से बेहद अहम मानी जा रही है, क्योंकि माना जा रहा है कि यह मौजूदा सरकार की आखिरी कैबिनेट बैठक होगी। आचार संहिता लागू होने से पहले सरकार अपने कार्यकाल की उपलब्धियों को मजबूत करने और जनता को राहत देने वाले कई बड़े फैसले लेने की तैयारी में है।
बैठक की अहमियत
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यह बैठक सिर्फ एक औपचारिकता नहीं है, बल्कि इसमें जनकल्याण और विकास से जुड़े कई बड़े प्रस्तावों पर मुहर लग सकती है। शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, बुनियादी ढाँचा और महिला सशक्तिकरण जैसे क्षेत्रों में राज्य सरकार कुछ ऐसे कदम उठा सकती है, जिससे जनता को सीधा लाभ मिले और चुनावी माहौल में एनडीए की स्थिति मजबूत हो।
इस बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ दोनों उपमुख्यमंत्री, सभी मंत्री और शीर्ष प्रशासनिक अधिकारी मौजूद रहेंगे। विभिन्न विभागों से आए अहम प्रस्ताव एजेंडे में शामिल किए गए हैं।
राजनीतिक संदर्भ
बिहार में विधानसभा चुनाव की आहट तेज़ हो चुकी है और आचार संहिता कभी भी लागू हो सकती है। ऐसे में नीतीश सरकार अपने आखिरी कैबिनेट मीटिंग के ज़रिए जनता को संदेश देना चाहती है कि उसने अपने कार्यकाल में जनहित के लिए ठोस काम किए हैं और अंतिम क्षणों तक विकास व राहत देने वाले फैसले ले रही है।
इस बैठक को राजनीतिक हलकों में “मास्टरस्ट्रोक” भी कहा जा रहा है, क्योंकि चुनाव से ठीक पहले अगर सरकार बिजली, शिक्षा, स्वास्थ्य, महिलाओं और युवाओं से जुड़े किसी बड़े प्रस्ताव को मंजूरी देती है तो इसका सीधा असर वोट बैंक पर पड़ सकता है।
संभावित फैसले
हालांकि आधिकारिक एजेंडा सार्वजनिक नहीं किया गया है, लेकिन सूत्रों के अनुसार इन क्षेत्रों से जुड़े प्रस्तावों पर चर्चा संभव है:
• युवाओं के लिए रोजगार और प्रशिक्षण योजनाएँ
• महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने से जुड़े प्रस्ताव
• ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के लिए बुनियादी ढाँचे के विकास प्रोजेक्ट
• शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार से जुड़े निर्णय
• किसानों को राहत देने के लिए पैकेज या योजनाएँ
आखिरी कैबिनेट बैठक का संदेश
यह बैठक नीतीश कुमार के मौजूदा कार्यकाल का आखिरी बड़ा प्रशासनिक कदम होगी। यह न सिर्फ सरकार की उपलब्धियों को समेटने का प्रयास है बल्कि चुनावी रणभूमि में उतरने से पहले जनता के बीच एक सकारात्मक संदेश भेजने की रणनीति भी है।
नीतीश कुमार लंबे समय से बिहार की राजनीति के सबसे प्रमुख चेहरे रहे हैं। उनकी सरकार ने शिक्षा, महिला सशक्तिकरण और कानून-व्यवस्था में सुधार जैसे मुद्दों पर काम किया है। अब अंतिम कैबिनेट बैठक यह तय करेगी कि चुनावी माहौल में जनता के बीच उनकी छवि कितनी मजबूत बन पाती है।
3 अक्टूबर की यह बैठक सिर्फ कैबिनेट का एक सामान्य आयोजन नहीं बल्कि चुनाव से पहले की रणनीति का अहम हिस्सा है। यह तय है कि नीतीश कुमार और उनकी टीम चाहती है कि आचार संहिता लागू होने से पहले जितने भी बड़े फैसले लिए जा सकते हैं, उन्हें जनता तक पहुँचाया जाए।
अब देखना होगा कि इस बैठक से क्या ठोस निर्णय सामने आते हैं और वे आगामी विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार और एनडीए के लिए कितने फायदेमंद साबित होते हैं।