पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में हाल के दिनों में हिंसक झड़पों और व्यापक विरोध प्रदर्शन ने पूरे इलाके को थम सा दिया है। संयुक्त अवामी एक्शन कमेटी (JAC) द्वारा बुलाई गई हड़ताल के दौरान तीन पुलिसकर्मियों समेत कम से कम 12 लोगों की मौत हुई। स्थानीय नागरिक पाकिस्तान सरकार की 38 मांगों को पूरा न करने और सेना की दमनकारी नीतियों के खिलाफ सड़कों पर उतर आए हैं।
हड़ताल और मौतों का हाल
हड़ताल के दौरान पाकिस्तान सेना और रेंजर्स ने निहत्थे नागरिकों पर अंधाधुंध गोलियां चलाई। रिपोर्ट्स के अनुसार, मीरपुर, मुजफ्फराबाद और धीरकोट जैसे क्षेत्रों में हजारों लोग सड़कों पर विरोध जता रहे हैं। पाकिस्तान सरकार की ओर से भेजी गई सुरक्षा बलों ने पुलिस और प्रदर्शनकारियों को निशाना बनाया।
स्थानीय पत्रकारों के मुताबिक, कई पुलिसकर्मी भी गोलीबारी में मारे गए, जबकि आम नागरिकों की संख्या भी बढ़ रही है। इंटरनेट ब्लैकआउट, संचार अवरुद्ध और मीडिया सेंसरशिप ने इस क्षेत्र में वास्तविक स्थिति को दुनिया से छुपाने का प्रयास किया है।

जनता की मांगें और सामाजिक असमानताएँ
स्थानीय नागरिक पर्याप्त रोजगार, मुफ्त शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं की मांग कर रहे हैं। पाकिस्तान सरकार ने गैर-कश्मीरी आबादी को विशेष आरक्षण और अधिकार दे रखे हैं, जबकि स्थानीय कश्मीरी नागरिकों को समान नागरिक अधिकार नहीं मिलते।
एवामी एक्शन कमेटी की मांगें पूरी तरह जायज हैं, जिसमें शामिल हैं:
• मुफ्त और समान शिक्षा।
• सभी नागरिकों के लिए मुफ्त स्वास्थ्य सेवा।
• रोजगार के अवसर और उद्योग की स्थापना।
• गैर-कश्मीरी आबादी को दिए गए आरक्षण का समाप्तिकरण।
स्थानीय लोग पिछले 76 वर्षों से पाकिस्तान की दमनकारी नीतियों का शिकार हैं और अब उनका सब्र टूट चुका है।
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सरकार की प्रतिक्रिया और मीडिया सेंसरशिप
शहबाज शरीफ की सरकार ने विरोध को काबू में करने के लिए इस्लामाबाद से विशेष सुरक्षा बल मुजफ्फराबाद भेजे। हालांकि, स्थानीय जनता और पत्रकार इस दमन के बावजूद अपनी आवाज उठा रहे हैं।
पाकिस्तानी मीडिया ने हड़ताल और गोलीबारी की वास्तविक तस्वीरों को छुपाया, लेकिन स्थानीय स्वतंत्र पत्रकार जैसे इमरान रियाज ने स्थिति की रिपोर्टिंग जारी रखी।
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निष्कर्ष
पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में नागरिकों का संघर्ष लोकतंत्र, शिक्षा और समान अधिकारों के लिए है। सरकार की दमनकारी नीतियों के बावजूद, स्थानीय लोग अपनी मांगों और आजादी की लड़ाई जारी रखे हुए हैं। यह स्थिति पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय छवि पर गंभीर असर डाल सकती है और वैश्विक समुदाय के ध्यान की मांग करती है।
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