(वरिष्ठ पत्रकार)
महेश खरे
पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में भारी आक्रोश
पीओके (पाकिस्तान नियंत्रित कश्मीर) की गलियों में आज “इंकलाब आएगा” और “हल्ला बोल” जैसे नारों की गूँज फिर सुनाई दे रही है। स्थानीय लोग पाकिस्तान के अत्याचार और भ्रष्ट शासन से तंग आकर खुले आम आज़ादी की मांग कर रहे हैं। फिलहाल पाकिस्तान सरकार ने कुछ मांगें मान ली हैं, लेकिन जनता का भरोसा अब भी पूरी तरह नहीं बना है।
भारत और पीओके: ऐतिहासिक और भावनात्मक जुड़ाव
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघ चालक डॉ. मोहन भागवत ने पीओके को भारत का हिस्सा बताया है। वहीं रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने भी कहा कि एक दिन पीओके की जनता खुद भारत में शामिल होने की मांग करेगी। स्थानीय लोग जब जम्मू-कश्मीर आते हैं, तो वहां की अमन-चैन और प्रगति देख कर पीओके की स्थिति पर हैरान रहते हैं।
यह भी पढ़े : https://livebihar.com/bihar-chunav-2025-dates/
बढ़ते अत्याचार और जीवन यापन की समस्याएँ
पीओके में बढ़ती महंगाई, बेरोजगारी, भुखमरी और स्वास्थ्य तथा शिक्षा जैसी सेवाओं की कमी ने जनता की जिंदगी मुश्किल कर दी है। पाकिस्तान की सरकार युवाओं को भटकाकर भारत विरोधी गतिविधियों में लगा रही थी, लेकिन अब इसका विरोध सड़क पर खुलकर दिख रहा है।
मुनीर की सेना और जनता का संघर्ष
हाल ही में हुए विरोध प्रदर्शन में निहत्थे लोगों पर फायरिंग हुई, जिसमें 46 लोग मारे गए और 150 से अधिक घायल हुए। खैबर पख्तूनवा में बमबारी में रात में सोते हुए 30 से अधिक लोग मारे गए। पीड़ित परिवार यह सवाल कर रहे हैं कि अपने ही मुसलमान नागरिकों पर गोली क्यों चल रही है।

पाकिस्तान की दोहरी मानसिकता और मानवाधिकार
दुनिया के कई देश मानवाधिकार मुद्दों को उठाते हैं, लेकिन पीओके, खैबर पख्तूनवा और बलूचिस्तान में पाकिस्तान की कार्रवाई पर कोई गंभीर प्रतिक्रिया नहीं देते। भारत ने तत्काल इस पर चिंता जताई और पाकिस्तान को जवाबदेह ठहराया।
भविष्य की राह: पीओके में आजादी की संभावना
पीओके की जनता का साहस और विद्रोह बढ़ रहा है। सेना की वर्दी को नीलाम करने जैसी घटनाएँ दर्शाती हैं कि जनता अब मौत के डर से मुक्त हो चुकी है। भविष्य में यह क्षेत्र भारत से मिलने की मांग कर सकता है।
Also Follow us: https://www.youtube.com/@LIVEBIHARDigitalNetwork