Bihar Chunav 2025: सत्ता विरोधी लहर में नीतीश कुमार – क्या बचा पाएंगे अपना गढ़?

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बिहार चुनाव 2025 में नीतीश कुमार के सामने भ्रष्टाचार, पलायन और विपक्ष की चुनौती—क्या वे फिर करेंगे कमाल?
Highlights
  • • नीतीश कुमार बिहार के सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने का रिकॉर्ड बना चुके हैं। • बिहार चुनाव 2025 उनके लिए अब तक की सबसे कठिन चुनौती है। • महिला रोजगार योजना में 1.21 करोड़ महिलाओं को ₹10,000 की सहायता मिली। • प्रशांत किशोर और विपक्ष दोनों ने भ्रष्टाचार के मुद्दे पर उन्हें घेरा है। • बिहार में रोजगार और पलायन मुख्य चुनावी मुद्दे बन रहे हैं। • एनडीए में अब भी नीतीश मुख्य चेहरा बने हुए हैं।

नीतीश कुमार — बिहार के सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री का रिकॉर्ड और नई चुनौती

बिहार के राजनीतिक इतिहास में नीतीश कुमार वह नाम हैं जिन्होंने सत्ता में स्थायित्व और प्रशासन में सुधार की नई मिसालें कायम कीं। बिहार के सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने का रिकॉर्ड उनके नाम दर्ज है। लेकिन बिहार चुनाव 2025 उनके लिए किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं।

गुड गवर्नेंस, सड़क और बिजली की क्रांति, महिला सशक्तिकरण और जातीय संतुलन की राजनीति—इन सब पर नीतीश की पकड़ अब तक अटूट रही है। पर इस बार माहौल कुछ अलग है। विपक्ष में ऊर्जा है, सहयोगियों में संदेह, और जनता के बीच उम्मीदें और सवाल दोनों हैं।

बिहार चुनाव 2025 में नीतीश के सामने तीन बड़ी मुश्किलें

स्वास्थ्य और भ्रष्टाचार के आरोप

पहली बार विरोधी दलों ने नीतीश कुमार की छवि पर सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं।
स्वास्थ्य को लेकर कटाक्ष, मंत्रियों पर भ्रष्टाचार के आरोप, और प्रशासनिक लापरवाही के मुद्दे लगातार उछाले जा रहे हैं।

Bihar Chunav 2025: सत्ता विरोधी लहर में नीतीश कुमार – क्या बचा पाएंगे अपना गढ़? 1

विपक्ष की एकजुटता और नई स्पर्धा

राजद, कांग्रेस और वामदल इस बार नयी ऊर्जा के साथ मैदान में हैं।
साथ ही प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी ने चुनावी समीकरण को जटिल बना दिया है। उनका भ्रष्टाचार विरोधी एजेंडा एनडीए और महागठबंधन दोनों के लिए चुनौती बन गया है।

पलायन और रोजगार का संकट

बिजली, सड़क और महिला सशक्तिकरण के बावजूद बिहार से पलायन का सिलसिला नहीं थमा है।
रोजगार के अभाव में आज भी लाखों युवा दूसरे राज्यों में जा रहे हैं। यही मुद्दा नीतीश के विकास मॉडल पर सवाल उठाता है।

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उपलब्धियां जो आज भी नीतीश को अलग बनाती हैं

नीतीश कुमार के शासन में बिहार ने बदलाव जरूर देखा है।
• 24 घंटे बिजली अब अधिकांश घरों तक पहुंच चुकी है।
• सड़क और पुल-पुलिया नेटवर्क से यातायात में सुधार आया है।
• महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में वे अग्रणी रहे हैं।
• लालू राज का अपहरण उद्योग समाप्त किया।

लेकिन 20 साल के शासन के बाद भी गरीबी और बेरोजगारी की समस्या जस की तस है। यही वह बिंदु है जहां नीतीश के आलोचक हमला बोल रहे हैं।

महिला वोट बैंक — नीतीश का सबसे बड़ा ट्रम्प कार्ड

चुनाव से ठीक पहले मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना के तहत नीतीश ने 1.21 करोड़ महिलाओं को 10-10 हजार रुपये उनके खाते में भेजे।
यह आर्थिक सहायता उनके महिला वोट बैंक को फिर से सक्रिय कर सकती है।
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि यह चुनावी गेम-चेंजर साबित हो सकता है क्योंकि बिहार की महिला मतदाता हमेशा से नीतीश के साथ रही हैं।

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नीतीश बनाम प्रशांत किशोर — नई सियासी जंग

प्रशांत किशोर (PK) अब केवल रणनीतिकार नहीं, बल्कि एक राजनीतिक चुनौती बन चुके हैं।
वे कहते हैं कि नीतीश का विकास मॉडल अब अप्रभावी हो गया है।
हालांकि उन्होंने तेजस्वी यादव और कांग्रेस पर भी हमला बोला है, जिससे विपक्ष का भी नुकसान हो सकता है।

यह दिलचस्प है कि PK की चुप्पी—कि उनकी पार्टी से मुख्यमंत्री कौन होगा—नीतीश के पक्ष में जा सकती है।

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निष्कर्ष — क्या नीतीश फिर करेंगे ‘कमाल’?

हालात मुश्किल हैं, लेकिन इतिहास गवाह है कि नीतीश कुमार हमेशा विपरीत परिस्थितियों को अपने पक्ष में मोड़ लेते हैं।
अगर इस बार भी उन्होंने जनता के भरोसे का समीकरण साध लिया, तो बिहार चुनाव 2025 में वे एक बार फिर “कमबैक किंग” बन सकते हैं।

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