करवाचौथ व्रत 2025: मासिक धर्म और गर्भावस्था में व्रत के नियम और उपाय

आपकी आवाज़, आपके मुद्दे

4 Min Read
गर्भावस्था और मासिक धर्म में करवाचौथ व्रत के नियम और सावधानियां
Highlights
  • • करवाचौथ का व्रत इस साल 10 अक्टूबर 2025 (शुक्रवार) को मनाया जाएगा। • महिलाएं इस दिन 16 श्रृंगार कर अपने पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। • मासिक धर्म में व्रत रखना संभव है, लेकिन पूजा सामग्री को स्पर्श करने से बचना चाहिए। • गर्भावस्था में महिलाएं व्रत रख सकती हैं, लेकिन डॉक्टर की सलाह और स्वास्थ्य को प्राथमिकता दें। • पूजा में शामिल होने के लिए दूसरी सुहागिन से मदद ले सकती हैं और मानसिक रूप से भाग लें। • गर्भवती महिलाएं निर्जला व्रत न रखें, फलाहार या लिक्विड डाइट से व्रत करें। • व्रत का पारण चांद देखने के बाद छलनी से चंद्र दर्शन करके करें। • करवाचौथ व्रत प्रेम, समर्पण और अखंड सौभाग्य का प्रतीक है।

करवाचौथ का पर्व हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इस वर्ष यह 10 अक्टूबर, शुक्रवार को पड़ रहा है। सुहागिन महिलाएं इस दिन 16 श्रृंगार करके अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। हालांकि, कई महिलाओं के मन में सवाल उठते हैं कि मासिक धर्म या गर्भावस्था के दौरान व्रत रखना सही है या नहीं। आइए जानते हैं इसका सही तरीका।

मासिक धर्म के दौरान करवाचौथ व्रत कैसे रखें?

करवाचौथ का व्रत महिलाओं के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है, लेकिन मासिक धर्म के समय पूजा और अनुष्ठान करने में कुछ प्रतिबंध होते हैं।
• व्रत रख सकते हैं: शास्त्रों के अनुसार, मासिक धर्म में भी व्रत रखना संभव है और इसका कोई नकारात्मक असर नहीं होता। आप चांद देखने तक व्रत सामान्य रूप से रख सकती हैं।
• पूजा से परहेज: मासिक धर्म के दौरान करवा माता की प्रत्यक्ष पूजा और पूजा सामग्री के स्पर्श से परहेज करना चाहिए।
• सहायता लें: आप किसी अन्य सुहागिन महिला से पूजा करवा सकती हैं और दूर से मानसिक रूप से पूजा में भाग ले सकती हैं।
• मंत्र जाप: मंत्रों का जाप करते रहें, इससे व्रत का फल आपको पूर्ण रूप से मिलेगा।
• पारण विधि: चांद निकलने के बाद छलनी से चांद के दर्शन करें और पारण करें।

यह भी पढ़े : https://livebihar.com/jyoti-singh-police-controversy-2025/

नोट: घर में महिला न होने पर पति भी नियमों का पालन करके व्रत और पूजा का फल प्राप्त कर सकते हैं।

गर्भावस्था में करवाचौथ व्रत के नियम

गर्भावस्था के दौरान भी कई महिलाएं करवाचौथ का व्रत रखना चाहती हैं। यह पर्व साल में एक बार आता है, इसलिए इसे बीच में छोड़ना कई महिलाओं के लिए कठिन होता है।
• सरगी समय: सूर्योदय से पहले हल्का सरगी ग्रहण करें।
• फलाहार और पेय: व्रत के दौरान फल, जल और अन्य पेय पदार्थ लिया जा सकता है।
• कथा का पाठ: गर्भवती महिलाएं व्रत के दौरान कथा का पाठ करके मानसिक रूप से भाग ले सकती हैं।
• पारण: चांद निकलने के बाद छलनी से चांद के दर्शन करें और विधि पूर्वक पारण करें।
• डॉक्टर की सलाह: गर्भवस्था में व्रत रखने से पहले डॉक्टर की सलाह लेना अनिवार्य है। अगर स्वास्थ्य संबंधी समस्या हो तो व्रत न रखें।

करवाचौथ व्रत 2025: मासिक धर्म और गर्भावस्था में व्रत के नियम और उपाय 1

सावधानी: गर्भवती महिलाओं को निर्जला व्रत के बजाय फलाहार या हल्का उपवास करने की सलाह दी जाती है।

मासिक धर्म और गर्भावस्था में ध्यान रखने योग्य बातें


1. व्रत रखते समय शारीरिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता दें।
2. पूजा सामग्री का स्पर्श न करें, लेकिन मंत्र जाप और मानसिक पूजा जारी रखें।
3. स्वास्थ्य समस्याओं या कमजोरी महसूस होने पर तुरंत व्रत रोक दें।
4. चांद के दर्शन के समय छलनी का उपयोग करें।

Do Follow us. : https://www.facebook.com/share/1CWTaAHLaw/?mibextid=wwXIfr

निष्कर्ष

करवाचौथ व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए प्रेम और समर्पण का प्रतीक है। मासिक धर्म और गर्भावस्था के दौरान भी व्रत रखा जा सकता है, लेकिन शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना आवश्यक है। सही नियमों का पालन करके महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और अपने स्वास्थ्य दोनों की रक्षा कर सकती हैं।

Do Follow us. : https://www.youtube.com/results?search_query=livebihar

Share This Article