भोजपुरी स्टार पवन सिंह से विवाद के बीच ज्योति सिंह का बड़ा ऐलान: काराकाट सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में उतरेंगी

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भोजपुरी स्टार पवन सिंह से विवाद के बीच ज्योति सिंह ने बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में काराकाट सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने का ऐलान किया।
Highlights
  • • ज्योति सिंह काराकाट सीट से निर्दलीय उम्मीदवार • पवन सिंह विवाद के बाद लिया बड़ा फैसला • रामबाबू सिंह का बयान: “पवन ने स्वीकार नहीं किया” • प्रशांत किशोर से मुलाकात के बाद भी निर्दलीय राह • काराकाट में त्रिकोणीय मुकाबला तय • जनता की सहानुभूति ज्योति सिंह के साथ

भोजपुरी सिनेमा और राजनीति—दोनों ही दुनिया में हलचल तब बढ़ गई जब भोजपुरी स्टार पवन सिंह की पत्नी ज्योति सिंह ने बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में काराकाट सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया।
यह फैसला न सिर्फ राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है, बल्कि सोशल मीडिया पर भी इस खबर ने तूफान मचा दिया है।

पिता रामबाबू सिंह ने खुलासा किया कि उनकी बेटी ने यह निर्णय इसलिए लिया क्योंकि पवन सिंह ने उन्हें स्वीकार नहीं किया। इस एक बयान ने भावनाओं, राजनीति और निजी जीवन—तीनों का मिश्रण बना दिया है।

काराकाट से निर्दलीय उतरने की तैयारी — समर्थकों में जोश

भोजपुरी स्टार पवन सिंह से विवाद के बीच ज्योति सिंह का बड़ा ऐलान: काराकाट सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में उतरेंगी 1

सूत्रों के अनुसार, ज्योति सिंह सोमवार को अपना नामांकन दाखिल कर सकती हैं।
उनके समर्थकों के बीच इस फैसले को लेकर खासा उत्साह और जोश देखा जा रहा है।
ज्योति सिंह पिछले लोकसभा चुनाव से ही काराकाट में सक्रिय हैं — वह लगातार जनता से जुड़ाव बनाए हुए हैं, आयोजनों में शामिल होती रही हैं और स्थानीय लोगों से संपर्क में हैं।

यह सक्रियता अब रंग लाती दिख रही है। कई राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि जिस तरह से उन्होंने पिछले कुछ महीनों में अपने जनसंपर्क बढ़ाए हैं, वह “ग्राउंड कनेक्ट” उनकी सबसे बड़ी ताकत बन सकती है।

पिता रामबाबू सिंह का बयान — ‘पवन सिंह ने स्वीकार नहीं किया’

ज्योति सिंह के पिता रामबाबू सिंह ने मीडिया से बातचीत में कहा था —

“अगर पवन सिंह मेरी बेटी को स्वीकार कर लेते, तो वह चुनाव नहीं लड़तीं। लेकिन अब वह काराकाट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतरेंगी।”

यह बयान भावनाओं से भरा और सख्त संदेश देने वाला था।
इससे यह साफ हो गया कि यह चुनाव सिर्फ राजनीति नहीं, बल्कि सम्मान और स्वाभिमान की लड़ाई बन गया है।

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प्रशांत किशोर से मुलाकात के बाद बनी थी चर्चा

कुछ दिन पहले ज्योति सिंह की जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर से मुलाकात हुई थी।
उस समय चर्चा थी कि वे जन सुराज के टिकट पर चुनाव लड़ सकती हैं।
लेकिन अब संकेत मिल रहे हैं कि बात नहीं बनी — जिसके चलते ज्योति सिंह ने स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने का फैसला किया।

राजनीतिक सूत्रों का मानना है कि प्रशांत किशोर और ज्योति सिंह की यह मुलाकात “संभावनाओं की खिड़की” तो खोलती है, लेकिन फिलहाल वे किसी पार्टी से जुड़ी नहीं हैं।

काराकाट सीट पर त्रिकोणीय मुकाबले के संकेत

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काराकाट विधानसभा सीट अब बिहार चुनाव की सबसे दिलचस्प सीटों में से एक बन गई है।
यहां पहले से ही
• भाजपा-माले गठबंधन के अरुण सिंह
• और जदयू के पूर्व सांसद महाबली सिंह
अपना नामांकन दाखिल कर चुके हैं।

अब ज्योति सिंह के उतरने से यह मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है।
राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री के प्रशंसकों का एक बड़ा वर्ग ज्योति सिंह के पक्ष में जा सकता है, जो चुनावी समीकरण बदल सकता है।

स्थानीय जनता की भावना — ‘सहानुभूति ज्योति सिंह के साथ’

सासाराम के स्थानीय निवासी चंद्र मोहन पांडे का कहना है कि

“पवन सिंह और ज्योति सिंह के विवाद को देखते हुए जनता की सहानुभूति ज्योति सिंह के साथ है।”

उनके मुताबिक, पवन सिंह को लोग “दिलफेंक आशिक” के रूप में जानते हैं,
और यही छवि इस चुनाव में उनके खिलाफ जा सकती है।

वहीं, स्थानीय नागरिक शशि कुमार ने कहा कि

“बीते लोकसभा चुनाव में पवन सिंह को मिले वोटों में ज्योति सिंह की बड़ी भूमिका थी। एक महिला उम्मीदवार के रूप में वे लोगों से सीधे जुड़ीं और मतदाताओं को प्रभावित किया।”

इन बयानों से यह स्पष्ट है कि काराकाट में जनता भावनात्मक रूप से ज्योति सिंह के साथ खड़ी दिख रही है।

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राजनीतिक जानकारों की राय — महिला वोट बैंक में बढ़त

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ज्योति सिंह की महिला उम्मीदवार के रूप में उपस्थिति काराकाट सीट पर नया संतुलन बना सकती है।
उनकी छवि एक सशक्त, स्वाभिमानी और संघर्षशील महिला के रूप में उभर रही है।
यही छवि उन्हें न केवल भोजपुरी प्रशंसकों बल्कि आम मतदाताओं के बीच लोकप्रिय बना रही है।

“Jyoti Singh Bihar Election 2025” अब बिहार की राजनीति का एक चर्चित अध्याय बन चुका है।
एक तरफ निजी विवाद, दूसरी तरफ सार्वजनिक सम्मान — इन दोनों के बीच खड़ी ज्योति सिंह का यह कदम भावनात्मक और राजनीतिक दोनों मोर्चों पर प्रभावी साबित हो सकता है।
काराकाट की इस जंग ने बिहार चुनाव में एक नया मोड़ जोड़ दिया है।

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