Jio का Power Move: भारतीय सेना के साथ मिलकर कश्मीर के गुरेज में लगाए 5 नए टावर, 13 हजार फीट पर सैनिकों को मिला कनेक्टिविटी का तोहफा

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गुरेज में 13,000 फीट की ऊंचाई पर जियो और भारतीय सेना ने मिलकर लगाए 5 नए टावर।
Highlights
  • • जियो और भारतीय सेना का संयुक्त मिशन: गुरेज में लगाए गए 5 नए मोबाइल टावर। •13,000 फीट की ऊँचाई पर नेटवर्क: कठिन भौगोलिक क्षेत्र में कनेक्टिविटी संभव हुई। • स्वदेशी 5G टेक्नोलॉजी: जियो ने अपनी Indigenous Full-Stack टेक्नोलॉजी का उपयोग किया। • सैनिकों के लिए दिवाली का तोहफा: अब परिवार से आसानी से जुड़ सकेंगे सैनिक। • डिजिटल इंडिया की सफलता: सेना और प्राइवेट सेक्टर के सहयोग से नया इतिहास। • सियाचिन के बाद गुरेज में सफलता: जियो की ऊँचाई पर एक और जीत।

कश्मीर, एजेंसी।
रिलायंस जियो ने एक बार फिर अपने Power Move से देश का दिल जीत लिया है। इस बार जियो ने भारतीय सेना के साथ मिलकर कश्मीर के बांदीपोरा जिले के गुरेज रीजन में 5 नए मोबाइल टावर स्थापित किए हैं। यह पहल न सिर्फ तकनीकी दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि भारतीय सैनिकों के लिए भावनात्मक रूप से भी बड़ी राहत लेकर आई है। दिवाली के मौके पर जब पूरा देश रोशनी से जगमगा रहा है, तब 13,000 फीट की ऊंचाई पर तैनात सैनिकों को कनेक्टिविटी का तोहफा मिला है।

भारतीय सेना और जियो का संयुक्त प्रयास

Jio का Power Move: भारतीय सेना के साथ मिलकर कश्मीर के गुरेज में लगाए 5 नए टावर, 13 हजार फीट पर सैनिकों को मिला कनेक्टिविटी का तोहफा 1

भारतीय सेना और रिलायंस जियो ने मिलकर यह परियोजना पूरी की है। ‘कुपवाड़ा सेंटिनल्स’ ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर इसकी जानकारी साझा की। पोस्ट में बताया गया कि यह टावर रणनीतिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण अग्रिम चौकियों पर लगाए गए हैं, ताकि वहां तैनात सैनिकों को मजबूत और स्थिर नेटवर्क कनेक्टिविटी मिल सके।

कुपवाड़ा सेंटिनल्स ने लिखा —

“भारतीय सेना और रिलायंस जियो द्वारा गुरेज क्षेत्र में पांच नए मोबाइल टावर स्थापित किए गए हैं। यह इस क्षेत्र में संचार के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है।”

13 हजार फीट पर तकनीकी चमत्कार

ये सभी टावर औसतन 13,000 फीट की ऊंचाई पर स्थापित किए गए हैं। ऐसे ऊँचे और कठिन इलाकों में इंफ्रास्ट्रक्चर बनाना बेहद मुश्किल होता है — लेकिन जियो और भारतीय सेना ने यह चुनौती स्वीकार कर एक उदाहरण पेश किया है।
यह पहल यह दर्शाती है कि भारत न सिर्फ Digital India के नारे तक सीमित है, बल्कि वास्तविकता में भी सबसे कठिन भौगोलिक परिस्थितियों में डिजिटल पहुंच बना रहा है।

सैनिकों के लिए दिवाली का तोहफा

इस कनेक्टिविटी से अब सीमा पर तैनात सैनिक अपने परिवारों से सीधे संपर्क में रह सकेंगे। कठिन परिस्थितियों और बर्फीली सीमाओं पर ड्यूटी करने वाले सैनिकों के लिए यह तकनीकी सुविधा किसी भावनात्मक उपहार से कम नहीं है।
दिवाली जैसे पर्व पर यह कदम सैनिकों के चेहरों पर मुस्कान लाने वाला साबित हुआ है।

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जियो की स्वदेशी 5G टेक्नोलॉजी की सफलता

इस परियोजना में रिलायंस जियो ने अपनी स्वदेशी फुल-स्टैक 5G टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया है। कंपनी ने इक्विपमेंट, इलेक्ट्रॉनिक्स और नेटवर्क टेक्नोलॉजी की जिम्मेदारी निभाई, जबकि भारतीय सेना ने इंफ्रास्ट्रक्चर, बिजली और सुरक्षा की व्यवस्था की।
यह सहयोग न सिर्फ पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप का शानदार उदाहरण है, बल्कि देश में आत्मनिर्भर तकनीकी विकास की दिशा में भी बड़ी उपलब्धि है।

सियाचिन के बाद गुरेज में जियो की जीत

रिलायंस जियो इससे पहले 16,000 फीट ऊंचाई वाले सियाचिन ग्लेशियर पर अपनी सर्विस शुरू कर चुकी है। 15 जनवरी, सेना दिवस से ठीक पहले, जियो ने सियाचिन पर 4G और 5G सर्विस लॉन्च कर इतिहास रचा था। अब गुरेज में 13,000 फीट पर टावर लगाकर कंपनी ने एक और मील का पत्थर हासिल किया है।

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डिजिटल इंडिया की नई परिभाषा

गुरेज जैसे सुदूर क्षेत्रों में नेटवर्क कनेक्टिविटी पहुंचाना सिर्फ एक टेक्नोलॉजिकल कार्य नहीं, बल्कि यह भारत के डिजिटल विकास और राष्ट्रीय सुरक्षा का संयोजन है।
इस कदम से न केवल सैनिकों की सुविधा बढ़ी है, बल्कि स्थानीय लोगों को भी बेहतर संचार सेवाएं मिलने लगी हैं। ग्रामीण इलाकों में इंटरनेट की पहुंच शिक्षा, स्वास्थ्य और रोज़गार के अवसरों को बढ़ाएगी।

सेना-जियो साझेदारी की मिसाल

यह परियोजना साबित करती है कि जब प्राइवेट सेक्टर और सेना एकजुट होकर काम करते हैं, तो किसी भी कठिनाई को पार किया जा सकता है। जियो ने अपनी तकनीक और उपकरण दिए, वहीं सेना ने अपनी रणनीतिक पहुंच और सुरक्षा सुनिश्चित की।
इस प्रकार, यह पहल भारत में सरकार-उद्योग सहयोग की एक प्रेरणादायक मिसाल बन गई है।

जियो और भारतीय सेना की यह संयुक्त उपलब्धि एक संदेश देती है —
“जहां भारतीय सैनिक हैं, वहां अब नेटवर्क भी है।”
13,000 फीट की ऊँचाई पर कनेक्टिविटी स्थापित करना आसान नहीं, लेकिन यह साबित करता है कि भारत अब हर ऊँचाई पर डिजिटल और सामरिक रूप से आत्मनिर्भर हो चुका है।
यह दिवाली भारतीय सैनिकों के लिए सचमुच एक “कनेक्टिविटी का उजाला” लेकर आई है।

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