कार्तिक पूर्णिमा: श्रद्धा और स्नान का सबसे पवित्र दिन
कार्तिक पूर्णिमा हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक माह की अंतिम तिथि होती है, जिसे अत्यंत पवित्र माना गया है। इस दिन स्नान, ध्यान और दान का विशेष महत्व होता है। देशभर में भक्तजन नदी और पवित्र सरोवरों में स्नान कर पूजा-पाठ करते हैं।
कार्तिक पूर्णिमा का यह दिन सिर्फ हिंदू परंपरा के लिए ही नहीं बल्कि सिख समुदाय के लिए भी बेहद खास है, क्योंकि इस दिन गुरु नानक देव जी की जयंती (गुरु पर्व) भी मनाई जाती है।
आस्था, भक्ति और एकता का यह संगम पूरे देश में आध्यात्मिक उत्सव का रूप ले चुका है।
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देशभर में छाई आस्था की लहर – मंदिरों और गुरुद्वारों में उमड़ी भीड़
कार्तिक पूर्णिमा और गुरु पर्व के मौके पर देश के विभिन्न हिस्सों में धार्मिक कार्यक्रमों की धूम रही।
भक्तगण गंगा, यमुना, सरयू और गोदावरी जैसी पवित्र नदियों में स्नान कर मंदिरों में पूजा-अर्चना कर रहे हैं। वहीं, सिख श्रद्धालु सुबह से ही गुरुद्वारों में पहुंचकर विशेष अरदास कर रहे हैं।
गुरुपर्व के अवसर पर हर गुरुद्वारे में कीर्तन, भंडारा और प्रकाश पर्व की झलक देखने को मिली।
महाकालेश्वर मंदिर उज्जैन में विशेष भस्म आरती
उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में इस अवसर पर विशेष भस्म आरती आयोजित की गई।
श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के बीच एक्टर रवि मोहन भी उपस्थित रहे और उन्होंने इस दिव्य आरती में भाग लिया।
मंदिर के गर्भगृह में जब भस्म आरती की ध्वनि गूंजी, तो पूरा माहौल भक्तिमय हो उठा।
वहीं वाराणसी, अयोध्या और प्रयागराज में भी लाखों श्रद्धालुओं ने पवित्र स्नान और दीपदान किया, जिससे घाटों की रौनक अद्भुत हो गई।
गुरु नानक जयंती: शांति और समरसता का संदेश
गुरु नानक देव जी की जयंती के अवसर पर देशभर के गुरुद्वारों में विशेष अरदास और कीर्तन कार्यक्रम हुए।
पंजाब के कैबिनेट मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने अमृतसर स्थित हरमंदिर साहिब पहुंचकर देश और मानवता के कल्याण के लिए अरदास की।
उन्होंने कहा,
“हमारे गुरुओं ने जाति प्रथा का अंत किया था। जो गुरुओं की राह पर चलता है, वह कभी जाति व्यवस्था में विश्वास नहीं करता।”
उन्होंने यह भी कहा कि कुछ लोग पंजाब में अशांति फैलाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन गुरु नानक की शिक्षाएं समाज को शांति, प्रेम और समानता की ओर ले जाती हैं।
यह दिन सिख समुदाय के लिए गौरव और प्रेरणा का प्रतीक बन गया।
ओडिशा में बोइता बंदना: आत्मनिर्भरता और परंपरा का उत्सव
कार्तिक पूर्णिमा का उत्सव ओडिशा में एक अलग ही रंग में मनाया गया। यहां प्राचीन परंपरा “बोइता बंदना” का आयोजन हुआ।
लोग सुबह-सुबह नदी और तालाबों में जाकर छोटी-छोटी नावों का विसर्जन करते हैं।
भाजपा के वरिष्ठ नेता संबित पात्रा ने कहा कि
“कार्तिक का महीना हम ओडिशा वालों के लिए बहुत खास है। अंतिम पांच दिन अत्यंत पवित्र माने जाते हैं और अंतिम दिन यानी कार्तिक पूर्णिमा को बोइता बंदना का आयोजन होता है।”
उन्होंने बताया कि यह परंपरा ओडिशा की समुद्री व्यापार और आत्मनिर्भरता की ऐतिहासिक गवाही देती है।
ओडिशा के व्यापारी प्राचीन काल में दक्षिण एशियाई देशों और अफ्रीका तक अपने स्वदेशी तकनीक से बनी नावों से व्यापार करते थे।
आज भी इस दिन लोग अपनी मनोकामना की पूर्ति और समृद्धि की कामना करते हुए नदी में नाव का विसर्जन करते हैं।
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देशभर में एक ही भाव – आस्था और एकता का उत्सव
देश के विभिन्न हिस्सों में कार्तिक पूर्णिमा और गुरु पर्व का उत्सव एक ही संदेश दे रहा है—आस्था, एकता और सद्भावना।
हिंदू मंदिरों से लेकर सिख गुरुद्वारों तक, हर जगह भक्ति की गूंज और दीपों की चमक दिखाई दी।
यह दिन केवल धार्मिक नहीं, बल्कि आध्यात्मिक और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक बन गया है।
भक्ति और परंपरा का अद्भुत संगम
कार्तिक पूर्णिमा 2025 ने एक बार फिर साबित किया है कि भारत की संस्कृति विविध होते हुए भी एक सूत्र में बंधी है।
मंदिरों की आरती, गुरुद्वारों की अरदास और नदियों में स्नान—हर रस्म एक ही बात कहती है कि आस्था में ही एकता की शक्ति है।
यह पवित्र दिन न केवल धर्म का उत्सव है, बल्कि मानवता, प्रेम और समर्पण का पर्व है।
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