Bihar Elections 2025: प्रशांत किशोर बोले – बिहार में बदलाव की लहर, जनता ने जाति-धर्म की राजनीति को किया खारिज

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प्रशांत किशोर ने बेतिया में जनसभा के दौरान कहा कि बिहार की जनता अब जाति और धर्म की राजनीति से ऊपर उठकर विकास को प्राथमिकता दे रही है।
Highlights
  • • बेतिया में प्रशांत किशोर की बड़ी जनसभा आयोजित हुई। • कहा – जनता अब जाति-धर्म की राजनीति से ऊपर उठ चुकी है। • प्रशांत किशोर ने जन सुराज मिशन को जनता का आंदोलन बताया। • बिहार में इस बार रिकॉर्ड स्तर पर मतदान हुआ है। • उन्होंने कहा – बिहार से भ्रष्टाचार और बेरोजगारी खत्म होगी। • नेताओं से अपील की कि जनता की उम्मीदों को समझें। • सभा में हजारों लोग मौजूद रहे, माहौल जोशीला रहा। • प्रशांत किशोर ने कहा – जनता अब बदलाव का फैसला कर चुकी है।

बेतिया में प्रशांत किशोर की जनसभा में उमड़ी भीड़


बिहार विधानसभा चुनाव 2025 जैसे-जैसे अंतिम चरण की ओर बढ़ रहा है, राज्य की राजनीति में जनभावनाओं की दिशा भी स्पष्ट होती जा रही है। पश्चिमी चंपारण के बेतिया में सोमवार को जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर (PK) ने एक बड़ी जनसभा को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि बिहार की जनता अब जाति और धर्म की राजनीति से ऊपर उठकर विकास और सुशासन को प्राथमिकता दे रही है।
प्रशांत किशोर ने दावा किया कि इस बार राज्य में रिकॉर्ड स्तर पर मतदान हुआ है, जो इस बात का संकेत है कि लोग बदलाव चाहते हैं। उनके भाषण के दौरान मैदान में हजारों की भीड़ मौजूद रही, जिसने “बदलाव चाहिए” के नारे लगाए।

प्रशांत किशोर ने कहा – जनता ने दिया बदलाव का संदेश


प्रशांत किशोर ने अपने भाषण में कहा कि आजादी के बाद पहली बार बिहार में इतनी बड़ी संख्या में वोट पड़े हैं, और यह सिर्फ उत्साह का प्रतीक नहीं बल्कि एक भावनात्मक परिवर्तन (sentiment shift) का संकेत है।
उन्होंने कहा, “यह मतदान यह दिखाता है कि बिहार के लोग जात-पात की दीवारों को तोड़कर अब एक बेहतर समाज और साफ-सुथरे शासन की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं।”
प्रशांत किशोर ने यह भी कहा कि अब जनता ने पुरानी राजनीतिक परंपराओं को नकार दिया है, और आने वाले समय में बिहार में सुशासन की नई नींव रखी जाएगी।

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“जनता ही असली मालिक है” – प्रशांत किशोर

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प्रशांत किशोर ने कहा कि लोकतंत्र में जनता ही सबसे बड़ा फैसला करने वाली होती है, और इस बार जनता ने यह संदेश दे दिया है कि वह अब भ्रष्टाचार और विभाजनकारी राजनीति को स्वीकार नहीं करेगी।
उन्होंने कहा, “हमें यकीन है कि बिहार की जनता जाति, धर्म और पैसे से ऊपर उठकर एक अच्छे समाज के लिए वोट देगी। लोगों ने इतनी बड़ी संख्या में वोट दिया है ताकि बिहार से भ्रष्टाचार खत्म हो।”
इस बयान पर जनता ने तालियों की गूंज से उनका स्वागत किया। प्रशांत किशोर ने कहा कि जनता की यह लहर अब रुकने वाली नहीं है, यह लहर बिहार में एक नया राजनीतिक अध्याय लिखने जा रही है।

नेताओं से की अपील – जनता की उम्मीदों को समझें


प्रशांत किशोर ने सभा के मंच से सभी राजनीतिक दलों और नेताओं से अपील की कि वे जनता की भावना का सम्मान करें और बिहार के विकास के लिए एकजुट होकर काम करें।
उन्होंने कहा, “अब वक्त आ गया है कि हम राजनीति को जाति और धर्म की चौखट से निकालकर विकास के रास्ते पर ले जाएं। बिहार को अब बहाने नहीं, बदलाव चाहिए।”
उन्होंने कहा कि जन सुराज का उद्देश्य बिहार को शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के क्षेत्र में सशक्त बनाना है। इस मिशन में हर नागरिक की भूमिका अहम होगी।

जन सुराज की ताकत – लोगों की भागीदारी


सभा में बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए थे जिन्होंने प्रशांत किशोर के संदेश को गंभीरता से सुना।
प्रशांत किशोर ने कहा कि जन सुराज केवल एक राजनीतिक संगठन नहीं बल्कि एक जन आंदोलन है। इसका मकसद है – “हर नागरिक को सशक्त बनाना और बिहार को एक ऐसा राज्य बनाना जहां विकास, समानता और पारदर्शिता हो।”
उन्होंने कहा कि अगर जनता जागरूक होगी, तो कोई भी नेता बिहार को पीछे नहीं रख सकता।

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बिहार में नए समीकरणों की आहट


बेतिया की यह सभा बिहार की राजनीति के लिए एक नया संकेत लेकर आई है। प्रशांत किशोर की जनसभाओं में बढ़ती भीड़ और युवाओं की भागीदारी से यह साफ दिख रहा है कि बिहार में नए राजनीतिक समीकरण बन सकते हैं।
राज्य की जनता अब पारंपरिक राजनीति से हटकर एक नए नेतृत्व और दृष्टिकोण की तलाश में है।
प्रशांत किशोर का यह भाषण न केवल जन सुराज के लिए बल्कि पूरे बिहार की राजनीति के लिए एक प्रेरणादायक मोड़ साबित हो सकता है।

बिहार में नई उम्मीदों का दौर


प्रशांत किशोर का यह संबोधन बिहार में नई सोच और जागरूकता की लहर को उजागर करता है। उन्होंने जिस स्पष्टता और भावनात्मक अंदाज में जनता को संबोधित किया, उससे यह कहा जा सकता है कि बिहार अब बदलाव की राह पर है।
जनता का उत्साह और वोटिंग प्रतिशत इस बात की पुष्टि करता है कि लोग अब विकास, रोजगार और सुशासन को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रहे हैं।
बिहार की राजनीतिक जमीन पर यह परिवर्तन आने वाले समय में राज्य के भविष्य की दिशा तय कर सकता है।

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