Bihar Vidhansabha Chunav 2025 का दूसरा चरण सिर्फ़ मतदान नहीं बल्कि राजनीतिक क़ाबिलियत, विरासत और जनादेश की असली परीक्षा बन गया है। 20 जिलों की 122 सीटों पर जारी मतदान ने बिहार की सियासत को नए मोड़ पर ला खड़ा किया है। इस चरण में जनता न सिर्फ़ नेताओं की तक़दीर तय कर रही है बल्कि सत्ता के भविष्य की दिशा भी निर्धारित कर रही है।
20 जिलों की 122 सीटों पर मुकाबला, हवा में सिर्फ़ एक सवाल—कौन पास, कौन फेल?
सुबह से ही मतदान केंद्रों पर मतदाताओं की लंबी कतारें यह साफ़ कर रही थीं कि जनता इस बार बदलाव की भूमिका में है। यह चरण बिहार के लिए निर्णायक है क्योंकि इसमें 12 मौजूदा मंत्रियों की साख दांव पर लगी है।
इनमें नीतीश मिश्रा (झंझारपुर), बिजेंद्र प्रसाद यादव (सुपौल), शीला मंडल (फुलपरास), नीरज सिंह बबलू (छातापुर), कृष्णनंदन पासवान (हरसिद्धी), विजय कुमार मंडल (सिकटी), लेशी सिंह (धमदाहा), जयंत राज (अमरपुर), डॉ. प्रेम कुमार (गया टाउन), सुमित कुमार सिंह (चकाई), जमा खान (चैनपुर), और रेणु देवी (बेतिया) शामिल हैं।
इन मंत्रियों की राजनीतिक भविष्य की परीक्षा आज जनता के मतों से तय होगी।
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दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर, जनता की अदालत में सियासी मुकाबला

यह चरण कई वज़नदार नेताओं और राजनीतिक घरानों की साख की परीक्षा भी बन गया है।
पूर्व विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी (सिकंदरा), पूर्व उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद (कटिहार), कांग्रेस विधायक दल के नेता शकील अहमद खान (कदवा), और माले के महबूब आलम (बलरामपुर) जैसे नेताओं की प्रतिष्ठा आज जनता के भरोसे है।
इस बार 24 से अधिक पूर्व मंत्री, कई वर्तमान विधायक और बागी प्रत्याशी भी मैदान में हैं, जिससे मुकाबला और दिलचस्प हो गया है।
घरानेदार सियासत की साख पर भी सवाल
इस चुनाव का एक और चेहरा है — घरानेदार सियासत की परीक्षा।
इमामगंज से जीतन राम मांझी की बहू दीपा कुमारी, बाराचट्टी से मांझी परिवार की ज्योति देवी व तनुश्री मांझी, परिहार से पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रामचंद्र पूर्वे की बहू स्मिता गुप्ता, सासाराम से उपेन्द्र कुशवाहा की पत्नी स्नेहलता, नवीनगर से आनंद मोहन व लवली आनंद के बेटे चेतन आनंद, बेलहर से मंत्री गिरधारी यादव के बेटे चाणक्य प्रकाश, और औरंगाबाद से पूर्व सांसद गोपाल नारायण सिंह के पुत्र त्रिविक्रम सिंह भी जनता के फैसले का इंतज़ार कर रहे हैं।
यह चरण इसलिए भी खास है क्योंकि यहां अस्मिता बनाम आकांक्षा, अनुभव बनाम युवाशक्ति और राजनीति बनाम जनमत का संघर्ष सीधा है।
लोकतंत्र का उत्सव: वोटिंग में उमड़ा जनता का जोश
सुबह-सुबह ही मतदान केंद्रों पर महिलाओं, युवाओं और बुज़ुर्गों की लंबी कतारें दिखीं। ऐसा लगा जैसे जनता ने तय कर लिया हो — “पहले वोट, बाद में नाश्ता।”
बूथों पर उमड़ी भीड़ ने यह साबित कर दिया कि बिहार का मतदाता अब पहले से कहीं अधिक जागरूक और संकल्पित है।
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नेताओं की साख और सत्ता की दिशा अब जनता के हाथों में
झंझारपुर से नीतीश मिश्रा, परिहार से स्मिता गुप्ता, औरंगाबाद से त्रिविक्रम सिंह, सासाराम से स्नेहलता कुशवाहा, और नवीनगर से चेतन आनंद जैसे दिग्गज अब मतदाताओं के फैसले का इंतजार कर रहे हैं।
सिकंदरा से उदय नारायण चौधरी, कटिहार से तारकिशोर प्रसाद, सुपौल से बिजेंद्र प्रसाद यादव और बेतिया से रेणु देवी का भविष्य भी ईवीएम में बंद है।
तीन बड़ी पार्टियों के प्रदेश अध्यक्ष —
लोजपा (रामविलास) के राजू तिवारी (गोविंदगंज),
कांग्रेस के राजेश राम (कुटुंबा),
और हम पार्टी के अनिल कुमार (टेकारी) — भी अपनी साख बचाने में जुटे हैं।
जनता ने दिखाया जनादेश का पावरफुल रूप
20 जिलों की 122 सीटों पर जारी यह मतदान सिर्फ़ एक चुनाव नहीं, बल्कि बिहार की राजनीतिक चेतना का उत्सव है।
जनता का यह उत्साह बता रहा है कि लोकतंत्र अब जागा हुआ है, और वोटरों ने तय कर लिया है कि वे अपने अधिकार का सही उपयोग करेंगे।
अब सबकी नजरें 14 नवंबर 2025 पर हैं, जब चुनाव परिणाम घोषित होंगे और यह साफ होगा कि किसकी किस्मत चमकी और किसका सियासी सफर थम गया।
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