Delhi Blast 2025: लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास धमाके से दहली राजधानी, 12 की मौत और कई घायल — 14 साल बाद आतंकी परछाई से कांपी दिल्ली

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दिल्ली धमाका 2025 में लाल किले के पास खड़ी आई20 कार में हुआ विस्फोट, चारों ओर अफरा-तफरी मच गई।
Highlights
  • • 14 साल बाद दिल्ली में फिर बड़ा धमाका, लाल किले के पास मेट्रो गेट नंबर-1 पर विस्फोट। • आई20 कार में धमाका, चार किलोमीटर तक सुनाई दी आवाज, 12 लोगों की मौत और कई घायल। • कार फरीदाबाद से दिल्ली आई थी, आरडीएक्स बरामदगी से जुड़ा शक। • कार मालिक की पहचान सलमान के रूप में, जिसने कार पुलवामा निवासी तारिक को बेची थी। • डॉ. उमर मोहम्मद पर शक, CCTV फुटेज में दिखा व्यक्ति फरीदाबाद आरडीएक्स केस से जुड़ा बताया जा रहा। • गृह मंत्री अमित शाह तत्काल पटना से लौटे, एलएनजेपी अस्पताल जाकर घायलों से मिले। • सोशल मीडिया पर घृणा और आरोप-प्रत्यारोप, बिना जांच पूरी हुए अफवाहें फैलाई जा रही हैं। • 14 वर्ष बाद आतंकी वारदात, दिल्ली पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों की लापरवाही पर उठे सवाल। • विशेषज्ञों का मानना है, जांच पूरी होने तक किसी समुदाय या व्यक्ति को दोषी ठहराना खतरनाक होगा। • सरकार से मांग, देश के भीतर सक्रिय नफरत फैलाने वाले तत्वों पर कड़ी कार्रवाई हो।

दिल्ली में फिर गूंजा धमाका, 14 साल बाद टूटी सुरक्षा की ढाल

भारत की राजधानी दिल्ली, जिसे देश का सबसे सुरक्षित शहर माना जाता है, एक बार फिर धमाके से दहल गई है। 10 नवंबर की शाम लाल किला मेट्रो स्टेशन के गेट नंबर 1 के पास एक हुंडई i20 कार में हुए विस्फोट ने पूरे इलाके को हिला दिया।
12 लोगों की मौत हो गई, जबकि कई अन्य गंभीर रूप से घायल हुए। यह धमाका इतना भयानक था कि आवाज़ 4 किलोमीटर दूर तक सुनी गई और आग की लपटें आसमान तक उठती नजर आईं।

यह वही दिल्ली है, जिसने 2005 से 2011 के बीच कई आतंकवादी घटनाओं का सामना किया था, लेकिन 14 साल बाद इस तरह की वारदात ने राजधानी की सुरक्षा व्यवस्था और खुफिया एजेंसियों की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

धमाका स्थल और समय: मेट्रो स्टेशन के बाहर खड़ी कार बनी मौत का जाल

Delhi Blast 2025: लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास धमाके से दहली राजधानी, 12 की मौत और कई घायल — 14 साल बाद आतंकी परछाई से कांपी दिल्ली 1

दिल्ली के लाल किला मेट्रो स्टेशन के बाहर यह i20 कार (HR नंबर प्लेट) दोपहर सवा तीन बजे पार्क की गई थी। शाम 6:52 बजे यह कार अचानक तेज धमाके के साथ फट गई।

वक्त वही था जब दिल्ली की सड़कों पर दफ्तर से घर लौटते लोगों की भीड़ होती है। धमाके के तुरंत बाद अफरा-तफरी मच गई, चारों ओर धुआं, आग और चिल्लाहटें गूंजने लगीं।
जो 12 लोग मारे गए, उनमें से कई के शरीर के अंग दूर जाकर गाड़ियों और राहगीरों पर गिरे, जिससे भय और दहशत का माहौल बन गया।

पास की लाजपत मार्केट, भगीरथ पैलेस, जैन मंदिर, गौरी शंकर मंदिर और गुरुद्वारा शीश गंज तक लोग अपनी जान बचाने के लिए भागे।
यह दृश्य दिल्ली ने दशकों में शायद पहली बार देखा — एक भयावह, दिल दहला देने वाला नजारा।

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धमाके से जुड़ी शुरुआती जांच में चौंकाने वाले खुलासे

पुलिस और एनआईए की शुरुआती जांच में सामने आया है कि यह कार फरीदाबाद के बदरपुर बॉर्डर से दिल्ली में घुसी थी।
बदरपुर दिल्ली और हरियाणा की सीमा है, जो सुरक्षा की दृष्टि से हमेशा संवेदनशील मानी जाती रही है।

कार के मालिक का नाम सलमान (निवासी गुरुग्राम) बताया गया है, लेकिन उसका कहना है कि उसने यह कार पुलवामा के तारिक नामक व्यक्ति को बेच दी थी। अब पुलिस आगे के मालिकों और लिंक की तलाश कर रही है।

दिल्ली पुलिस और हरियाणा पुलिस के बीच कोऑर्डिनेशन की कमी पर भी गंभीर सवाल उठे हैं, क्योंकि कुछ दिन पहले ही फरीदाबाद में भारी मात्रा में RDX बरामद हुआ था, फिर भी दिल्ली की सुरक्षा एजेंसियों ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया।

इतिहास दोहराया: दिल्ली ने पहले भी झेले हैं ऐसे खौफनाक धमाके

दिल्ली का इतिहास बताता है कि राजधानी पहले भी कई आतंकी वारदातों से गुजरी है —
• 25 मई 1996: लाजपत नगर सेंट्रल मार्केट में बम धमाके में 16 मौतें।
• 29 अक्टूबर 2005: दिवाली की पूर्व संध्या पर सरोजिनी नगर, नई दिल्ली रेलवे स्टेशन और गोविंद पुरी में धमाके — 62 मृत, 210 घायल।
• 13 सितंबर 2008: पांच बम विस्फोट, 25 लोग मारे गए, 100 से अधिक घायल।
• 7 सितंबर 2011: दिल्ली हाईकोर्ट में बम धमाका — 11 मौतें, 64 घायल।

इन घटनाओं के बाद सुरक्षा को लेकर कई सुधार हुए, लेकिन 2025 का यह धमाका फिर याद दिलाता है कि आतंकवाद कभी पूरी तरह खत्म नहीं हुआ — बस दबा हुआ था, सोया नहीं था।

सोशल मीडिया पर आरोप-प्रत्यारोप, घृणा फैलाने वालों का दौर शुरू

जैसे ही धमाके की खबर फैली, सोशल मीडिया पर राजनीतिक घमासान शुरू हो गया।
कुछ लोगों ने इसे सरकार की लापरवाही बताया, तो कुछ ने धार्मिक रंग देने की कोशिश की।
कुछ ट्रोलर यह तक लिखने लगे कि “बिहार विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण को प्रभावित करने के लिए यह कांड रचा गया है।”

बीजेपी और कांग्रेस समर्थक, दोनों ने एक-दूसरे पर आरोप लगाए।
कई लोगों ने इसे “मुस्लिम आतंकवाद” कहकर निशाना बनाया, तो कुछ ने कहा “यह साजिश देश को बांटने की कोशिश है।”

लेकिन सच्चाई यह है कि जांच अभी जारी है — और ऐसे में बिना सबूत किसी समुदाय या पार्टी पर उंगली उठाना सिर्फ नफरत बढ़ाने का काम करता है।

दिल्ली की सुरक्षा पर सवाल, खुफिया एजेंसियों की भूमिका पर आलोचना

यह धमाका न केवल दिल्ली पुलिस बल्कि राष्ट्रीय खुफिया तंत्र की कार्यशैली पर भी बड़ा सवाल है।
जब फरीदाबाद में RDX मिला, तब सुरक्षा बढ़ाई क्यों नहीं गई?
क्या राजधानी में प्रवेश करने वाले वाहनों की जांच में लापरवाही हुई?

इन सवालों का जवाब देश के नागरिक चाहते हैं। क्योंकि दिल्ली सिर्फ एक शहर नहीं, यह भारत की पहचान है।

प्रधानमंत्री और गृह मंत्री की त्वरित प्रतिक्रिया, जांच में तेजी

घटना की खबर मिलते ही गृह मंत्री अमित शाह पटना से तुरंत दिल्ली लौट आए और एलएनजेपी अस्पताल जाकर घायलों से मिले।
उन्होंने जांच एजेंसियों को 24 घंटे के भीतर रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ट्वीट कर कहा कि “आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति पर कोई समझौता नहीं होगा।”

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सोशल मीडिया पर फैल रही नफरत बन सकती है बड़ा खतरा

धमाके के बाद फैली अफवाहों ने समाज में घृणा और अविश्वास का जहर घोल दिया है।
लोग एक-दूसरे के धर्म पर शक कर रहे हैं, और “कथित सेकुलर” और “कट्टर” दोनों ही पक्ष अपने-अपने एजेंडे चला रहे हैं।

यही समय है जब सरकार को ट्रोलरों और अफवाह फैलाने वालों पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।
जांच पूरी होने तक किसी भी समुदाय या पार्टी को दोषी ठहराना न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है।

आतंक से बड़ी चुनौती अब समाज में फैलती नफरत

दिल्ली ब्लास्ट 2025 सिर्फ एक सुरक्षा विफलता नहीं है, बल्कि यह हमारे समाज की विचारधारात्मक कमजोरी को भी उजागर करता है।
देश के भीतर हिंदू-मुस्लिम के बीच पनपती अविश्वास की दीवार आतंकवाद से भी खतरनाक है।

सरकार को चाहिए कि वह एक ओर दोषियों को कठोर सजा दे, और दूसरी ओर समाज में आपसी सद्भाव को मजबूत करे।
क्योंकि जब तक हम एक-दूसरे पर भरोसा करना नहीं सीखेंगे, तब तक कोई भी सुरक्षा व्यवस्था हमें बचा नहीं सकती।

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