एग्जिट पोल के बाद बिहार में बढ़ी सियासी गर्मी
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के दूसरे और अंतिम चरण का मतदान 11 नवंबर को शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हो गया। इस चरण में 20 जिलों की 122 विधानसभा सीटों पर जनता ने लोकतंत्र के इस महापर्व में अपनी भागीदारी दर्ज कराई। इसके साथ ही बिहार की 243 सीटों पर मतदान प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। अब सबकी निगाहें 14 नवंबर की सुबह 8 बजे से शुरू होने वाली मतगणना पर टिकी हैं।
मतदान के तुरंत बाद आए एग्जिट पोल ने राज्य के राजनीतिक माहौल में नई गर्मी भर दी है। अधिकांश सर्वेक्षणों में यह अनुमान लगाया गया है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए की वापसी संभव है। वहीं, महागठबंधन के घटक दलों ने इन नतीजों को खारिज करते हुए दावा किया है कि जनता ने “बदलाव और बेरोजगारी पर जवाब देने वाला वोट” दिया है।
एग्जिट पोल क्या कहते हैं?
चुनाव के बाद आए प्रमुख एग्जिट पोल्स — मैट्रिज-आईएएनएस, चाणक्य, पीपल्स पल्स और पोलस्ट्रैट — ने बिहार में एक बार फिर एनडीए की सरकार बनने के संकेत दिए हैं। इन सर्वेक्षणों के मुताबिक, एनडीए को बहुमत के पार सीटें मिल सकती हैं, जबकि महागठबंधन पिछड़ता हुआ नजर आ रहा है।
हालांकि, राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि “एग्जिट पोल सिर्फ रुझान हैं, असली फैसला तो ईवीएम खोलेगी।” बिहार की जनता का मिजाज कई बार एग्जिट पोल के विपरीत नतीजे दे चुका है, इसलिए इस बार भी सबकी नजरें 14 नवंबर पर हैं।
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रिकॉर्ड 66.91% मतदान ने दिखाया जनता का जोश

चुनाव आयोग के अनुसार, इस बार रिकॉर्ड 66.91% मतदान हुआ है — जो 1951 के बाद से अब तक का सबसे ऊँचा प्रतिशत है। खास बात यह रही कि महिलाओं की भागीदारी 71.6% रही, जबकि पुरुषों का मतदान प्रतिशत 62.8% दर्ज किया गया।
आयोग ने इसे “बिहार के लोकतंत्र की परिपक्वता और जागरूकता का प्रमाण” बताया है। इस बढ़े हुए मतदान प्रतिशत को सभी राजनीतिक दल अपने-अपने पक्ष में इंटरप्रेट कर रहे हैं। एनडीए इसे अपने शासन के प्रति जनता के विश्वास का संकेत मान रहा है, जबकि महागठबंधन इसे “बदलाव की लहर” कह रहा है।
14 नवंबर को खुलेगा असली जनादेश
14 नवंबर की सुबह 8 बजे से मतगणना शुरू होगी। चुनाव आयोग ने बताया कि पहले रुझान 8:30 बजे तक आने की संभावना है।
इस बार पोस्टल बैलेट की गिनती के नियमों में बदलाव किया गया है — अब अंतिम दो राउंड से पहले ही सभी पोस्टल बैलेट की गिनती पूरी कर ली जाएगी ताकि परिणामों में पारदर्शिता बनी रहे।
दोपहर तक बिहार की राजनीतिक तस्वीर साफ़ होने लगेगी। आयोग के मुताबिक, राज्य भर में 8.5 लाख चुनावकर्मी, 1.4 लाख पोलिंग एजेंट, और 243 जनरल ऑब्जर्वर मतगणना प्रक्रिया की निगरानी करेंगे।
अंतरराष्ट्रीय निगरानी में हुआ बिहार चुनाव
इस बार बिहार चुनाव को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पारदर्शी माना गया है। दिलचस्प बात यह है कि 6 देशों — दक्षिण अफ्रीका, इंडोनेशिया, थाईलैंड, फिलीपींस, बेल्जियम और कोलंबिया के 16 प्रतिनिधि भारत आए थे ताकि वे चुनाव प्रक्रिया का अवलोकन कर सकें।
इन प्रतिनिधियों ने बिहार के मतदान को निष्पक्ष, शांतिपूर्ण और भागीदारीपूर्ण बताया। उन्होंने भारत के लोकतंत्र को दुनिया के सामने एक “शक्तिशाली और प्रेरणादायक उदाहरण” कहा।
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सियासी बयानबाज़ी अपने चरम पर
एग्जिट पोल के नतीजों के बाद बिहार की सियासत पूरी तरह गर्म हो चुकी है। एनडीए खेमे में उत्साह और आत्मविश्वास का माहौल है। भाजपा और जदयू नेताओं का कहना है कि “जनता ने विकास और स्थिरता के पक्ष में वोट दिया है।”
वहीं, महागठबंधन ने एग्जिट पोल को पूरी तरह नकारते हुए कहा है कि “इस बार जनता ने बेरोजगारी, महंगाई और भ्रष्टाचार के खिलाफ वोट किया है।”
दोनों खेमों की ओर से सोशल मीडिया पर भी एक-दूसरे पर हमले तेज़ हो गए हैं। राजनीतिक पंडितों के मुताबिक, अब जब वोटिंग खत्म हो चुकी है, नतीजों से पहले माहौल को प्रभावित करने की कोशिशें भी अपने चरम पर हैं।
ईवीएम खोलेगी बिहार की किस्मत
14 नवंबर को जब ईवीएम की सील खुलेगी, तब बिहार की राजनीति की दिशा तय होगी। क्या नीतीश कुमार एक बार फिर सत्ता में लौटेंगे या तेजस्वी यादव और महागठबंधन बिहार की सत्ता पर कब्ज़ा करेंगे — यह देखना दिलचस्प होगा।
एक ओर एग्जिट पोल की लहर एनडीए की वापसी का संकेत दे रही है, वहीं दूसरी ओर महागठबंधन बदलाव की उम्मीद में डटा हुआ है।
पूरे बिहार की निगाहें अब सिर्फ एक दिन पर टिकी हैं — 14 नवंबर, जब लोकतंत्र के इस पर्व का असली नतीजा सामने आएगा।
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