बिहार राजनीति इस समय ऐसे मोड़ पर खड़ी है, जहां विधानसभा चुनाव में महागठबंधन को मिली करारी हार ने दोनों बड़ी पार्टियों—आरजेडी और कांग्रेस—को झकझोर कर रख दिया है। एक तरफ कांग्रेस दिल्ली में अपने शीर्ष नेतृत्व के साथ विस्तृत समीक्षा कर रही है, वहीं दूसरी ओर आरजेडी पटना में चार से पांच दिन तक चलने वाली फीडबैक प्रक्रिया में जुटी है। यह चुनाव परिणाम न सिर्फ राजनीतिक समीकरण बदल गया है, बल्कि कई नेताओं की नाराजगी, अंदरूनी कलह और नेतृत्व पर सवालों को भी सतह पर ला चुका है।
- Mahagathbandhan की हार: दोनों पार्टियों में बेचैनी क्यों बढ़ी?
- कांग्रेस में अंदरूनी घमासान: नेताओं की नाराजगी खुलकर सामने
- कांग्रेस की चुनावी रणनीति क्यों फेल हुई? वोट चोरी का मुद्दा बेअसर
- आरजेडी की समीक्षा: भोजपुरी गायकों को हार की वजह बताया जा रहा
- कांग्रेस–RJD का भविष्य क्या होगा? विपक्ष की मुश्किलें और बढ़ीं
Mahagathbandhan की हार: दोनों पार्टियों में बेचैनी क्यों बढ़ी?
बिहार में महागठबंधन की दो प्रमुख पार्टियों—कांग्रेस और आरजेडी—को अपनी बुरी हार समझ में ही नहीं आ रही। दोनों यह विश्लेषण करने में जुटी हैं कि आखिर किस रणनीति, किस मुद्दे या किस मामले में इतनी बड़ी चूक हुई कि चुनावी उम्मीदें धराशायी हो गईं। आरजेडी ने बुधवार से ही अपनी समीक्षा प्रक्रिया शुरू कर दी है, जबकि कांग्रेस ने गुरुवार से नया राजनीतिक मंथन आरंभ किया है।
कांग्रेस की समीक्षा बैठक दिल्ली में आयोजित की गई है, जिसमें राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी मौजूद हैं। वहीं आरजेडी पटना में मंगलवार सभी उम्मीदवारों और जिला स्तर के नेताओं से फीडबैक जुटा रही है।
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कांग्रेस में अंदरूनी घमासान: नेताओं की नाराजगी खुलकर सामने

कांग्रेस के अंदर हार के साथ-साथ अंदरूनी उथल-पुथल भी तेज हो गई है। पार्टी में कई नेताओं की नाराजगी अब सामने दिखने लगी है।
• विधानसभा में कांग्रेस विधायक दल के नेता रहे शकील अहमद खां ने इस्तीफा दिया है।
• प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम सोशल मीडिया पर कविता लिखकर नाराजगी जता रहे हैं।
• पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश सिंह नेतृत्व को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।
• महिला विंग की प्रदेश अध्यक्ष पहले ही इस्तीफा सौंप चुकी हैं।
कांग्रेस की चिंता सिर्फ हार नहीं, बल्कि यह भी है कि जीते हुए छह विधायक पार्टी के प्रति अपनी निष्ठा बनाए रखेंगे या पाला बदलेंगे, यह कहना मुश्किल है।
कांग्रेस की चुनावी रणनीति क्यों फेल हुई? वोट चोरी का मुद्दा बेअसर
राहुल गांधी बिहार में “वोट चोरी” के मुद्दे को लेकर बड़ा अभियान छेड़ चुके थे। दो प्रेस कॉन्फ्रेंस भी की गईं। लेकिन चुनाव में इस मुद्दे का जरा भी असर देखने को नहीं मिला। बिहार में मतदाता सूची से नाम गायब होने की शिकायत भी सामने नहीं आई।
कांग्रेस के हारे हुए कई उम्मीदवार दबी जुबान कह रहे हैं कि यह मुद्दा चुनाव में बेअसर रहा। वहीं, सीटों के बंटवारे में बनी खींचतान और टिकट बंटवारे पर लगे आरोपों ने नुकसान बढ़ाया।
इसके साथ ही कांग्रेस के कई नेता मानते हैं कि आरजेडी के साथ गठबंधन की कीमत भी उन्हें चुकानी पड़ी। तेजस्वी यादव के परिवार के नाम के साथ जुड़ा “जंगलराज” का मुद्दा भी कांग्रेस के उम्मीदवारों पर भारी पड़ा।
आरजेडी की समीक्षा: भोजपुरी गायकों को हार की वजह बताया जा रहा
आरजेडी को उम्मीद थी कि इस बार महागठबंधन बहुमत के साथ सरकार बनाएगा। लेकिन परिणाम बिल्कुल उलट निकले। पहली नजर में आरजेडी नेतृत्व का विश्लेषण है कि भोजपुरी गायकों के चुनावी गानों ने उनके खिलाफ वातावरण बनाया।
तेजस्वी के खिलाफ बने इन गीतों में “जंगलराज की वापसी” का संकेत दिया जा रहा था, जो मतदाताओं को प्रभावित कर गया। आरजेडी का मानना है कि इन गानों ने जनता की धारणा पर बड़ा असर डाला।
आरजेडी नेताओं से विस्तृत फीडबैक चार–पांच दिन तक लिया जाएगा, जिसके बाद असली कारण सामने आएंगे।
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कांग्रेस–RJD का भविष्य क्या होगा? विपक्ष की मुश्किलें और बढ़ीं
कांग्रेस और आरजेडी के सामने चुनौती सिर्फ हार की समीक्षा नहीं, बल्कि आगे की रणनीति तैयार करना है। बिहार में महागठबंधन की करारी हार ने दोनों दलों के भीतर विश्वास का संकट बढ़ा दिया है।
इसके साथ ही
• कांग्रेस कर्नाटक में भी कलह से जूझ रही है
• बंगाल में कांग्रेस पहले ही राजनीतिक रूप से समाप्त हो चुकी है
• यूपी और असम के चुनाव अगले दो साल में होने वाले हैं
ऐसे हालात में कांग्रेस को नए मुद्दे तलाशने होंगे। राहुल गांधी द्वारा उठाया गया “वोट चोरी” का मुद्दा बिहार में पूरी तरह असफल साबित हुआ, जिसे लेकर पार्टी और ज्यादा असहज दिख रही है।
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