Operation Bulldozer: मुज़फ्फरपुर में अतिक्रमण पर चला एक्शन फिर फेल, सड़कें फिर कब्जे में लौट आईं

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मुज़फ्फरपुर में Operation Bulldozer के बावजूद अतिक्रमण फिर लौट आया
Highlights
  • • मुज़फ्फरपुर में Operation Bulldozer अभियान लगातार जारी • प्रशासन हटाता है कब्जा, लेकिन दुकानदार-ऑटो फिर सड़क पर • सरैयागंज, कंपनीबाग, सदर अस्पताल रोड की स्थिति यथावत • सीसीटीवी के नीचे भी ऑटो चालकों पर कोई कार्रवाई नहीं • पाँच दिनों की कार्रवाई, लेकिन अतिक्रमण फिर वापस

Operation Bulldozer: मुज़फ्फरपुर में सड़क अतिक्रमण फिर जस का तस, अभियान के बाद भी हालात बिगड़े

मुज़फ्फरपुर में “ऑपरेशन बुलडोजर” को शराबबंदी अभियान की तरह ही बेअसर माना जा रहा है। जिला एवं निगम प्रशासन लगातार कोशिश कर रहा है कि शहर को जाम से मुक्ति मिले, सड़कों से अतिक्रमण हटे और यातायात व्यवस्था सुधरे, लेकिन जमीनी हकीकत बिल्कुल विपरीत दिखाई दे रही है। बार-बार की कार्रवाई के बावजूद सड़क पर अवैध कब्जा, फुटपाथ पर दुकानें और ऑटो-स्टैंड का कब्जा उसी प्रकार जारी है जैसे पहले था।

डीएम के निर्देश पर पिछले शुक्रवार से (रविवार को छोड़कर) अतिक्रमण हटाओ अभियान लगातार चलाया जा रहा है। इस दौरान सौ से अधिक अवैध संरचनाओं पर बुलडोजर चला, कई दुकानें हटाई गईं और फुटपाथ खाली कराया गया। लेकिन जैसे ही प्रशासन की टीम पीछे हटती है, वैसी ही स्थिति वापस आ जाती है।

Operation Bulldozer: अभियान के बाद दुकानदार फिर सड़क पर लौटे, फुटपाथ दोबारा कब्जे में

Operation Bulldozer: मुज़फ्फरपुर में अतिक्रमण पर चला एक्शन फिर फेल, सड़कें फिर कब्जे में लौट आईं 1

शहर के प्रमुख इलाकों—सरैयागंज, कंपनीबाग, सदर अस्पताल रोड—में पहले दिन अतिक्रमण हटवाया गया, रास्ता साफ दिखा, लेकिन जैसे ही टीम आगे बढ़ी, दुकानदार कुछ घंटों के भीतर ही वापस सड़क पर उतर आए।

फुटपाथी दुकानदारों के साथ-साथ स्थायी दुकानदार भी अपनी दुकान से तीन से पाँच फीट तक सामान सड़क पर फैला देते हैं। परिणाम यह कि पैदल यात्री हो या वाहन—दोनों को भारी मुश्किल का सामना करना पड़ता है।

सरैयागंज चौराहा तो स्थिति का सबसे बड़ा उदाहरण है, जहाँ दो बड़ी गाड़ियां एक साथ आने पर तुरंत जाम लग जाता है। यही नहीं—
• चौराहे के चारों ओर ऑटो का तीन अवैध स्टैंड अब भी कायम है
• सरैयागंज नाका के कोने पर फुटपाथी दुकानें लगी हैं
• पंकज मार्केट रोड पर सब्जी और अन्य दुकानों का बाहर तक कब्जा फैला है
• टावर रोड पर मॉल के सामने वाहन की अवैध पार्किंग और दुकानें दोनों मौजूद हैं

मोतीझील स्थित नगर थाना की दीवार से सटे ट्रांसफॉर्मर के नीचे भी दुकानों का जमावड़ा लगा रहता है।

Operation Bulldozer: प्रशासन की कार्रवाई के बाद भी क्यों नहीं हट रहा अतिक्रमण?

पिछले पाँच दिनों से जिले के प्रमुख मार्गों—बैरिया गोलंबर, दादर रोड—तक लगातार अतिक्रमण हटाया गया, लेकिन नतीजा शून्य रहा। टीम में जिला प्रशासन, नगर निगम, स्थानीय थाना और ट्रैफिक विभाग शामिल था, फिर भी हालात में सुधार नहीं आया।

सबसे बड़ी समस्या यह है कि अतिक्रमणकारी पीछे हटने को तैयार ही नहीं हैं, और ऑटो चालक सड़क से अपने अवैध स्टैंड हटाने को तैयार नहीं।

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Operation Bulldozer: ऑटो चालकों की मनमानी, सीसीटीवी के नीचे भी कोई कार्रवाई नहीं

शहर में कई चौक-चौराहों पर सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं। ये कैमरे बाइक और कार का चालान तो तुरंत काट देते हैं, लेकिन अवैध रूप से खड़े ऑटो पर कोई चालान नहीं होता।

यह विडंबना न केवल प्रशासनिक कमजोरी दिखाती है, बल्कि यह भी बताती है कि अतिक्रमण हटाओ अभियान में निगरानी का अभाव है।

Operation Bulldozer: प्रशासन की टीम हटते ही सड़कें क्यों लौट जाती हैं कब्जे में?

अतिक्रमण की वापसी से उत्पन्न समस्याओं की विस्तृत स्थिति


• फुटपाथी दुकानदार स्थायी जगह नहीं मिलने का बहाना बनाकर सड़क पर कब्जा कर लेते हैं
• कई स्थायी दुकानदार जानबूझकर दुकान के बाहर तीन से पाँच फीट तक सामान रख देते हैं
• ऑटो चालक अपने लिए तय स्टैंड पर नहीं जाते और सड़क पर लाइन लगाकर बैठ जाते हैं
• जहाँ-जहाँ अभियान चला, वहाँ कुछ ही घंटों में फिर से कब्जा हो गया

नतीजतन—
हर दिन जाम की समस्या बढ़ती है, अस्पताल जाने वाले मरीज, स्कूल-कॉलेज जाने वाले छात्र, दफ्तर जाने वाले लोग सभी प्रभावित होते हैं।

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Operation Bulldozer: अभियान की सच्चाई – प्रशासन बनाम कब्जाधारी

अभियान का मकसद था सड़कें खाली कराना, ट्रैफिक को सुगम बनाना और शहर को जाम से मुक्त करना। लेकिन जो हालात बने हैं, वह उल्टा साबित हो रहा है।

बार-बार की कार्रवाई भी स्थायी समाधान नहीं दे पा रही है, जिसकी वजह है—
• कार्रवाई केवल कुछ घंटों की
• दुकानदारों का पुनः कब्जा
• ऑटो चालकों पर सख्ती का अभाव
• निगरानी की कमी
• सीसीटीवी के सामने भी बिना चालान के अवैध स्टैंड जारी

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